एमपी के परिवहन विभाग ने यह गड़बड़ी की थी। व्यापमं के माध्यम से महिलाओं के लिए आरक्षित पदों पर भर्ती की जानी थी लेकिन पुरुषों को निुयक्त कर लिया गया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ये नियुक्तियां निरस्त कर दी गईं हैं। राज्य सरकार ने 45 परिवहन आरक्षकों की सेवाएं समाप्त कर दी हैं।
यह भी पढ़ें : Ladli Behna – लाड़ली बहनों को एक और सौगात, मालामाल बना देगी सीएम मोहन यादव की ये योजना व्यापमं ने परिवहन आरक्षकों के 332 पदों के लिए भर्ती परीक्षा ली थी। इनमें से 109 पद महिलाओं के लिए आरक्षित थे। परीक्षा के बाद महिलाओं के लिए आरक्षित पदों पर पुरुषों को नियुक्त कर लिया गया। महिला आवेदकों ने सवाल उठाया तो परिवहन विभाग ने स्पष्टीकरण दिया कि केवल 53 महिलाएं ही पात्र निकलीं इसलिए 56 पदों पर पुरुषों को नियुक्त कर दिया गया।
महिला आवेदक हिमाद्री राजे ने विभाग के इस निर्णय के विरुद्ध हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए याचिका दायर की। 2015 में कोर्ट ने महिलाओं के पदों पर पुरुषों की नियुक्तियों को निरस्त करने को कहा। इस पर राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई। सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल में फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट का निर्णय बरकरार रखते हुए महिलाओं के पदों पर पुरुषों की नियुक्ति निरस्त करने के लिए कहा।
इस पर अमल करते हुए परिवहन सचिव सिबि चक्रवर्ती ने नियुक्तियां निरस्त करने के लिए परिवहन आयुक्त को पत्र लिखा। अब ये नियुक्तियां निरस्त कर दी गई हैं।