भोपाल के केरवा डैम पर एक बार फिर टाइगर दिखने से दहशत फैल गई। यह टाइगर केरवा डैम के पास लॉ यूनिवर्सिटी के पास स्थित मेंडोरा गांव में नजर आया है। कार से गुजर रहे किसी राहगीर ने इसका वीडियो बना लिया। यह वीडियो वायरल हो रहा है। वीडियो चार दिन पुराना बताया जा रहा है। टाइगर स्टेट में अक्सर टाइगर नजर आने पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी अपने भाषणों में कहते रहते हैं कि भोपाल में तो बाघ सड़कों पर बार-बार आ जाते हैं। इतनी पास आ जाते हैं कि उनसे शेकहैंड तक कर लो।
दिग्गज लोगों के हैं बंगले
जिस क्षेत्र में अक्सर बाघ नजर आते हैं, उस इलाके में कई दिग्गज लोगों के बंगले हैं। इनमें से पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह की केरवा कोठी भी है। इसी क्षेत्र में टाइगरों की संख्या 11 बताई जाती है। जबकि इसी क्षेत्र से जुड़े रातापानी और समरधा के जंगलों में बाघों की संख्या 20 के पार बताई जाती है।
जंगल में बन गए कई फार्म हाउस
राजधानी भोपाल के ही कलियासोत से लेकर केरवा डैम क्षेत्र में फैले जंगल और पहाड़ पर कई प्लाट कट गए और कई फार्म हाउस बना दिए गए। पर्यावरण विद और कई वन्य जीव प्रेमी समय समय पर यह बात उठाते हैं कि बाघ जंगल से बाहर नहीं आया है, शहर के कई रसूखदार लोगों ने बाघ के घर में फार्म हाउस, रिसॉर्ट और बंगले बना लिए हैं। जहां देर रात तक पार्टियों का दौर चलता है। ऐसे में कोलाहल के कारण भी बाघ विचलित होकर सड़कों पर आ जाते हैं।
भोपाल का पूरा इलाका था बाघों से घिरा
मध्यप्रदेश के वन विभाग के पास 1960 का भोपाल का नक्शा मौजूद है, जिसमें दिखाया गया है कि भोपाल में कहां-कहां बाघों का ठिकाना था। नक्शे के मुताबिक पुराना भोपाल छोड़ दें तो नए भोपाल का लगभग पूरा इलाका बाघों का था, पर आज इन इलाकों में कंक्रीट की इमारतें खड़ी हैं। 1960 तक भोपाल का केरवा, कलियासोत क्षेत्र बाघों से भरा हुआ था। 1980 के दशक तक इन जंगली इलाकों में जब रसूखदारों ने दस्तक दी तो बाघों के आशियाने उजड़ गए।
पहले भी कई बार नजर आए बाघ
भोपाल शहर के कलियासोत से लेकर केरवा डैम के बीच फैले जंगल में अक्सर ही बाघ सड़क पर या पानी पीने आते है। यह बाघ चूना भट्टी के पास स्थित भोज यूनिवर्सिटी परिसर में कुलपति के बंगले तक पहुंच गया था। वहीं एक बार कलियासोत डैम की सीढ़ियों पर भी बैठा नजर आया था। इससे पहले एक बार बाघ भदभदा डैम स्थित न्यायायिक अकादमी के परिसर में भी घुस गया था।