ये कागजात ऐसी जगह लगाना होगा, जहां यात्री आसानी से पढ़ सके। कंपनी उन्हीं वाहनों को रजिस्टर्ड कर सकेगी, जिसके फिटनेस, बीमा प्रदूषण सर्टीफिकेट और ड्राइवर का लाइसेंस हो। ऐप पर वाहन और ड्राइवर की सभी जानकारी होगी। कंपनी की जिम्मेदारी होगी कि यात्रा खत्म होते यात्री को ई-मेल समेत अन्य तरह से ऑनलाइन यात्रा और किराए की पूरी जानकारी भेजे। नियमों का पालन नहीं करने और कैब ड्राइवर के अपराध करने पर कंपनी और ड्राइवर संयुक्त रूप से जिम्मेदार होंगे।
15 दिन में करना होगा शिकायत का निराकरण
अभी कंपनियां खुद पूरी तरह कैब का संचालन करती हैं। आरटीओ के पास इसका कंट्रोल नहीं है। नए कानून में यह पूरी तरह से आरटीओ के नियंत्रण में आ जाएंगी। इससे इनके संचालन से लेकर शिकायत मिलने पर कार्रवाई तक के अधिकार होंगे। कंपनी की जिम्मेदारी होगी वह शिकायत का 15 दिन में निराकरण करे। ऐसा नहीं होने पर कंपनी को जिम्मेदार माना जाएगा।
लाइसेंस फीस भी तय
कैब के लिए 50 हजार, ऑटो रिक्शा के लिए 25 हजार और मोटरसाइकल के लिए 15 हजार रुपए लाइसेंस फीस निर्धारित की गई है। इसी प्रकार आरटीओ के खिलाफ अपील करने का शुल्क भी निर्धारित किया गया है।
महिला सुरक्षा का रखा विशेष ध्यान
नए नियमों में महिला सुरक्षा का विशेष ध्यान दिया है। कैब में आरटीओ, पुलिस और महिला हेल्पलाइन का नंबर भी लिखना अनिवार्य हो गया है। पैनिक बटन होगा, जिससे खतरा होने पर यात्री उस बटन को दबा सके, जिससे उसे तत्काल मदद मिल सके। वाहन पर सेंट्रल लॉक सिस्टम नहीं होगा। कंपनी से कहा गया है कि महिलाओं को प्राथमिकता देते हुए ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को रखा जाए।
यह होगा जरूरी
इसकी मनाही