भोपाल

108 कुंडीय महायज्ञ: 33 कोटि देव शक्तियों के पूजन के साथ दीं आहुतियां

वैदिक मंत्रों और आध्यात्मिक माहौल से वीराने में भी धर्म और आध्यात्म की बयार बहने लगती है। ऐसा ही कुछ नजर आया रायसेन रोड स्थित जम्बूरी मैदान में।

भोपालDec 18, 2017 / 08:36 am

मनोज अवस्थी

भोपाल। वैदिक मंत्रों और आध्यात्मिक माहौल से वीराने में भी धर्म और आध्यात्म की बयार बहने लगती है। ऐसा ही कुछ नजर आया रायसेन रोड स्थित जम्बूरी मैदान में। यहां रविवार को अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार के मार्गदर्शन में सुबह आठ से दोपहर 12 बजे तक 108 कुंडीय श्रद्धा संवर्धन गायत्री महायज्ञ में वेदमंत्रों के साथ 33 कोटि देव शक्तियों का पूजन हुआ। इसके बाद यज्ञशाला के साथ यज्ञ भगवान को आहुतियां प्रदान की गर्ईं। यज्ञस्थल पर सुबह से ही श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया। यज्ञ तीन पारियों में किया गया। यज्ञ स्थल पर साहित्य व अन्य ग्रंथों के स्टॉल्स लगाए गए।
बाल संंस्कार शाला में दिए संस्कार
महायज्ञ के दौरान इंटरनेट, मोबाइल और टीवी से बच्चों में पनप रही विकृत मानसिकता को दूर करने बाल संस्कार शाला का आयोजन किया गया। इसमें भोपाल शहर से लगभग 85 बाल संस्कार शालाओं से सैकड़ों स्टूडेंट्स पहुंचे। वहीं विभिन्न विषयों पर डॉ. अशोक नेमा, प्रतिमा तोमर, डॉ. योगेंद्र गिरि ने व्याख्यान दिए। वहीं संस्कृतिक कार्यक्रम में प्रेरक गीत गौरव कछवाहा ने प्रस्तुत किया।
11 हजार दीपों से यज्ञ
महायज्ञ में सोमवार को 6-7 बजे सामूहिक जप, ध्यान एवं प्रज्ञा योग व्यायाम, 8-12 बजे तक गायत्री महायज्ञ एवं संस्कार, 3-4 बजे तक गोष्ठी, इसके बाद शाम छह बजे से विराट 11 हजार दीपों से दीप किया जाएगा।
चिकित्सा शिविर लगा
होम्योपैथिक और आयुर्वेदिक चिकित्सा शिविरों का भी आयोजन किया गया। इनमें धर्मार्थ होम्योपैथिक चिकित्सालय और सिविल डिफेंस की ओर से आयोजित शिविर में लगभग 750 मरीजों ने स्वास्थ्य
परीक्षण कराया।

कलश यात्रा के साथ रामचरित मानस कथा शुरू
भोपाल. नेहरू नगर स्थित मनकामेश्वरी मंदिर में रविवार से रामचरित मानस कथा की शुरुआत हुई। इस मौके पर धूमधाम से कलश शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल थे, जगह-जगह कलश यात्रा का स्वागत किया गया।

कलश यात्रा निकाली

भोपाल महानगर जागरुक नागरिक मंच की ओर से आयोजित कलश शोभायात्रा में महिलाएं 501 कलश सिर पर रखकर मंगलगीत गाते हुए चल रही थीं, वहीं श्रद्धालु धर्म पतकाएं लिए हुए थे। बच्चे अलग-अलग देवी देवताओं के वेष में शामिल थे। विधिवत पूजा अर्चना के साथ कथा की शुरुआत हुई। पहले दिन कथावाचक मनोज अवस्थी ने रामचरित मानस के महत्व पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा, गोस्वामी तुलसीदास ने यदि श्रीरामचरित मानस की रचना नहीं की होती तो शायद समाज और रिश्ते के महत्व को हम समझ ही न पाते। वर्तमान में तीन ग्रंथ सर्वोपरि हैं। गीता, भागवत और श्रीरामचरित मानस। गीता योग का विषय है, भागवत वियोग का और श्रीरामचरित मानस प्रयोग का विषय है। इस मौके पर अजय कुमार पांडे, शिवार्चन शुक्ला सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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