सीपीए संभालता है इनकी जिम्मेदारी
मंत्रालय वल्लभ भवन, भारत भवन, व्यावसायिक परीक्षा मण्डल भवन, वाल्मी परिसर, प्रशासन अकादमी परिसर, टीटी नगर स्टेडियम, प्रकाश तरुण पुष्कर, नवीन विधानसभा भवन, लोकायुक्त कार्यालय भवन, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन भवन, शौर्य स्मारक, राज्य संग्रहालय, जनजातीय संग्रहालय, ग्लोबल स्किल पार्क, सिटी कैम्पस आदि सीपीए ने ही विकसित किए।
इनका करना होगा हस्तान्तरण
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के भवन, भोपाल विकास योजना के कुछ मुख्य मार्गों का रखरखाव यहां से होता है, लगभग 40 एकड़ क्षेत्र में एकांत पार्क, 7 एकड़ में मयूर पार्क, चिनार उद्यान, प्रियदर्शनी पार्क, स्वर्ण जयंती पार्क, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी पार्क, शाहपुरा पहाड़ी स्थित मोरवन, मंत्रालय के सामने स्थित सरदार वल्लभ भाई पटेल उद्यान, ई-1 से ई-7 स्थित उद्यानों के अलावा नगर वन, बोरवन का रखरखाव का जिम्मा देना है।
मंत्रालय वल्लभ भवन, भारत भवन, व्यावसायिक परीक्षा मण्डल भवन, वाल्मी परिसर, प्रशासन अकादमी परिसर, टीटी नगर स्टेडियम, प्रकाश तरुण पुष्कर, नवीन विधानसभा भवन, लोकायुक्त कार्यालय भवन, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन भवन, शौर्य स्मारक, राज्य संग्रहालय, जनजातीय संग्रहालय, ग्लोबल स्किल पार्क, सिटी कैम्पस आदि सीपीए ने ही विकसित किए।
इनका करना होगा हस्तान्तरण
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के भवन, भोपाल विकास योजना के कुछ मुख्य मार्गों का रखरखाव यहां से होता है, लगभग 40 एकड़ क्षेत्र में एकांत पार्क, 7 एकड़ में मयूर पार्क, चिनार उद्यान, प्रियदर्शनी पार्क, स्वर्ण जयंती पार्क, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी पार्क, शाहपुरा पहाड़ी स्थित मोरवन, मंत्रालय के सामने स्थित सरदार वल्लभ भाई पटेल उद्यान, ई-1 से ई-7 स्थित उद्यानों के अलावा नगर वन, बोरवन का रखरखाव का जिम्मा देना है।
राजधानी परियोजना प्रशासन को खत्म करने का निर्णय मुख्यमंत्री ने लिया है और जिस प्रक्रिया के तहत एजेंसी को बंद किया जाता है, उसका पालन करते हुए आगे कवायद की जाएगी।
– कवींद्र कियावत, संभागायुक्त
– कवींद्र कियावत, संभागायुक्त
कई बैठकों से विधायक और सदस्य उठा रहे थे एक एजेंसी का मुद्दा
राजधानी में हर वर्ष बरसात के बाद यही स्थिति बनती है। संभागायुक्त कार्यालय में बैठकें होती हैं, कलेक्टर, निगमायुक्त निरीक्षण करते हैं। कुछ दिन पैचवर्क के बाद मामला शांत हो जाता है। कलेक्टोरेट में होने वाली जिला योजना समिति की बैठक में स्थानीय विधायकों, समिति सदस्यों की तरफ से सड़क की एक एजेंसी होने का कई बार प्रस्ताव पारित हुआ। अब जिम्मेदार एजेंसी का निर्णय शासन को करना है।
राजधानी में हर वर्ष बरसात के बाद यही स्थिति बनती है। संभागायुक्त कार्यालय में बैठकें होती हैं, कलेक्टर, निगमायुक्त निरीक्षण करते हैं। कुछ दिन पैचवर्क के बाद मामला शांत हो जाता है। कलेक्टोरेट में होने वाली जिला योजना समिति की बैठक में स्थानीय विधायकों, समिति सदस्यों की तरफ से सड़क की एक एजेंसी होने का कई बार प्रस्ताव पारित हुआ। अब जिम्मेदार एजेंसी का निर्णय शासन को करना है।
यहां होती रही चूक
शहर में कहीं भी सीवर, पानी, टेलीफोन केबल डालने के लिए अनुमति जारी होती है, उसे उसी स्थिति में ठीक करना होता है। लेकिन फौरी तौर पर मिट्टी से भरकर छोड़ दिया जाता है। उदाहरण डीआईजी बंगला रोड।
बरसात शुरू होने के दो माह पहले सड़क खराब होने पर कोई विभाग इसे ठीक नहीं कराता। क्योंकि बरसात के बाद उन्हें फिर से रेस्टोरेशन कराना होता है। ऐसे में वो 70 फीसदी और डैमेज हो जाती हैं। उदाहरण होशंगाबाद रोड।
ठेकेदारों की जमानत राशि जब्त कर सड़क सुधार का काम कराना चाहिए, लेकिन साठगांठ से जब्ती नहीं होती। विभाग फंड के इंतजार में सड़कों पर और गड्ढे होने देता है। नतीजा सड़क पूरी तरह बर्बाद हो जाती है।
शहर में कहीं भी सीवर, पानी, टेलीफोन केबल डालने के लिए अनुमति जारी होती है, उसे उसी स्थिति में ठीक करना होता है। लेकिन फौरी तौर पर मिट्टी से भरकर छोड़ दिया जाता है। उदाहरण डीआईजी बंगला रोड।
बरसात शुरू होने के दो माह पहले सड़क खराब होने पर कोई विभाग इसे ठीक नहीं कराता। क्योंकि बरसात के बाद उन्हें फिर से रेस्टोरेशन कराना होता है। ऐसे में वो 70 फीसदी और डैमेज हो जाती हैं। उदाहरण होशंगाबाद रोड।
ठेकेदारों की जमानत राशि जब्त कर सड़क सुधार का काम कराना चाहिए, लेकिन साठगांठ से जब्ती नहीं होती। विभाग फंड के इंतजार में सड़कों पर और गड्ढे होने देता है। नतीजा सड़क पूरी तरह बर्बाद हो जाती है।
लैब में नहीं कराई मटेरियल की जांच
सड़क बनाते समय उनमें उपयोग होने वाली निर्माण सामग्री (डामर, जीरा गिट्टी, बड़ी गिट्टी, मुरम, उसे समतल करने का तरीका) की जांच भी संबंधित विभाग को करानी चाहिए। पिछले 10 से 20 वर्षों में एक भी सड़क की जांच किसी विभाग ने एक्सपर्ट या लैब में मटेरियल भेजकर नहीं कराई।
इस संबंध में संभागायुक्त कवींद्र कियावत का कहना है कि हर विभाग को निर्देश दिए हैं कि वे तत्काल अपनी सड़कों को ठीक कराएं। रहा सवाल अनुमति और उसकी जमानत राशि का तो उस पर भी विभाग कार्रवाई करते हैं। हम भी इसका रिव्यू कराते हैं।
सड़क बनाते समय उनमें उपयोग होने वाली निर्माण सामग्री (डामर, जीरा गिट्टी, बड़ी गिट्टी, मुरम, उसे समतल करने का तरीका) की जांच भी संबंधित विभाग को करानी चाहिए। पिछले 10 से 20 वर्षों में एक भी सड़क की जांच किसी विभाग ने एक्सपर्ट या लैब में मटेरियल भेजकर नहीं कराई।
इस संबंध में संभागायुक्त कवींद्र कियावत का कहना है कि हर विभाग को निर्देश दिए हैं कि वे तत्काल अपनी सड़कों को ठीक कराएं। रहा सवाल अनुमति और उसकी जमानत राशि का तो उस पर भी विभाग कार्रवाई करते हैं। हम भी इसका रिव्यू कराते हैं।