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Sushma Swaraj Death Anniversary: यह थीं संकटमोचक मिनिस्टर, दिलचस्प हैं इनके राजनीति के किस्से

Sushma Swaraj Death Anniversary: 6 अगस्त 2019 को सुषमा स्वराज का निधन हो गया था..।

भोपालAug 06, 2021 / 02:09 pm

Manish Gite

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मध्यप्रदेश के विदिशा जिले से सांसद रही सुषमा स्वराज के किस्से आज भी याद किए जाते हैं।

भोपाल। विदेश मंत्री, मुख्यमंत्री और मध्यप्रदेश के विदिशा से सांसद रही सुषमा स्वराज को शायद ही कोई भूल सकता है। वे अपने संबोधन से विरोधियों को भी सम्मोहित कर लेती थीं। उनके प्रखर भाषणों में कटाक्ष और आरोप लगाने की ऐसी मर्यादा थी कि आज भी उनके भाषणों को याद किया जाता है। वे 25 साल की कम उम्र में भारत की सबसे कम उम्र की कैबिनेट मंत्री बन गई थीं। निधन से कुछ समय पहले वे प्रधानमंत्री के कद तक भी पहुंच गई थीं। हरियाणा के अंबाला में 14 फरवरी 1952 में जन्मी सुषमा का निधन 6 अगस्त को हो गया था। तब वे विदिशा से सांसद थीं।

 

‘एक किस्सा’ सीरिज के अंतर्गत patrik.com पर प्रस्तुत है सुषमा स्वराज से जुड़े दिलचस्प पांच किस्से, जिसे लोग याद करते हैं…।

 

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जब भारत समेत 48 देशों के नागरिकों को बचाया

बात उस समय की है जब सुषमा भारत की विदेश मंत्री बनाई गई थी। 2015 के दौरान जब यमन में युद्ध जैसे हालात बन गए थे और यमन सरकार और विद्रोहियों में जंग छिड़ गई थी। उन हालातों में हजारों भारतीय जिंदगी और मौत के बीच फंस गए थे। वहां फंसे भारतीयों ने भारत सरकार से मदद मांगी। ऐसे में एक संदेश मिलते ही सुषमा सक्रिय हो गई और दिन-रात अपने लोगों को बचाने के काम में जुट गईं। उसी रात प्लानिंग हुई और ऑपरेशन ‘राहत’ बनाया गया। सुषमा ने विदेश राज्यमंत्री एवं पूर्व आर्मी चीफ वीके सिंह को यमन भेजा। भारतीय वायुसेना के विमानों ने उस देश की जमीन पर कदम रखा और अपने 4640 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया। इसके अलावा 48 देशों के दो हजार नागरिक भी वहां फंसे थे, उन्हें भी भारतीय वायुसेना की मदद से एयरलिफ्ट किया गया। इतनी बड़ी संख्या में किया गया रेस्क्यू ऑपरेशन आज भी दुनियाभर में याद किया जाता है।

 

पाकिस्तान में फंस गया था यह भारतीय

मुंबई निवासी हामिद अंसारी कथित तौर पर ऑनलाइन दोस्त बनी लड़की से मिलने 2012 में अफगानिस्तान के रास्ते पाकिस्तान चले गए थे। बाद में बगैर वीजा के उन्हें गिरफ्तार कर लिया। सजा पूरी होने के तीन साल बाद भी उसकी रिहाई नहीं होने की खबर जब सुषमा कोलगी तो सुषमा ने पहल की और 18 दिसंबर 2018 को आजाद करवा लिया। इसके बाद हामीद के माता-पिता विदेश मंत्रालय में सुषमा से मिलने आए, जहां अंसारी की मां ने कहा ‘मेरी मैडम महान’।

 

मूक-बधिर लड़की को असली मां मिल गई

-ऐसा ही मदद का किस्सा मूकबधिर बच्ची गीता का है, जो भटकते हुए पाकिस्तान की बार्डर में चले गई थी। वहां उसे ईदी फाउंडेशन में पहुंचा दिया गया था। जब पाकिस्तान से गीता की खबर आई तो विदेश मंत्री रहते हुए सुषमा स्वराज ने कहा था कि वो मेरी बेटी है और मैं उस भारत लाउंगी और उसके मात-पिता से मिलवाउंगी। गीता सुषमा स्वराज की जीते जी भारत आ गई, लेकिन उसकी असली मां से मिलने का सपना एक माह पहले ही पूरा हो चुका है। गीता को भारत लाना और असली मां से मिलने का श्रेय भी सुषमा को जाता है।

 

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सिर मुंडाकर पहनूंगी सफेद साड़ी

चुनावों का दौर था, कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए ने भाजपा के एनडीए गठबंधन को हरा दिया था। उस समय कांग्रेस की प्रमुख सोनिया गांधी सरकार का नेतृत्व करने वाली थीं। तब भाजपा सोनिया को प्रधानमंत्री नहीं बनने देने की बात पर अड़ गई थी। जगह-जगह प्रदर्शन हो रहे थे, विदेशी का मुद्दा सभी तरफ छा गया था। तब सुषमा स्वराज के एक बयान ने काफी सुर्खियां बटौरी थीं। तब स्वराज ने कहा था कि “संसद सदस्य बनकर अगर संसद में जाकर बैठती हूं तो हर हालत में मुझे उन्हें माननीय प्रधानमंत्री जी कहकर संबोधित करना होगा, जो मुझे गंवारा नहीं होगा। सुषमा ने यह भी ऐलान कर दिया था कि यदि सोनिया गांधी पीएम बन जाती हैं तो मैं सिर मुंडा कर सफेद साड़ी पहनूंगी, भिक्षुणी की तरह जमीन पर सोएंगी और सूखे चने खाकर गुजारा करूंगी। सुषमा का यह बयान आज भी राजनीतिक लोगों में चर्चा का केंद्र बन जाता है।

 

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जब चुनाव के लिए कन्नड़ भाषा सीख ली

बात चुनाव की थी, सुषमा स्वराज को कर्नाटक के बेल्लारी से चुनाव लड़ाने की तैयारी थी, ऐसे में हिन्दी और अंग्रेजी की प्रखर वक्ता को स्थानीय भाषा की समस्या थी। इस बीच समय निकालकर उन्होंने कन्नड़ भाषा सीखी। कांग्रेस के गढ़ वाली इस सीट पर सोनिया गाधी की जीत पक्की थी। लेकिन, सुषमा ने उन्हें कड़ी चुनौती देने के लिए केवल 30 दिनों में ही कन्नड़ भाषा सीख ली। इस बीच वे चुनाव प्रचार में धाराप्रवाह कन्नड़ में भाषण देने लगी थीं। स्वराज ने सोनिया के खिलाफ विदेशी मूल पर मुद्दा उठाते हुए विदेशी ‘बहू और देसी बेटी’ का नारा दिया था। हालाकि सुषमा 56 हजार से अधिक वोटों से चुनाव हार गई थीं। लेकिन, उनके एक बयान से वे सभी का दिल जीत कर चले गई, जिसमें उन्होंने कहा था कि भले ही वो हार गईं, लेकिन संघर्ष उनके नाम रहा।

 

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हरियाणा की लड़की ने किया प्रेम विवाह

1975 में हरियाणा जैसे राज्य में प्रेम विवाह जैसा कदम उठाना सोचना भी मुश्किल था। उस समय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सुषमा और स्वराज कौशल की पहली मुलाकात पंजाब यूनिवर्सिटी में लॉ डिपार्टमेंट में पढ़ाई के दौरान हुई थी। चंडीगढ़ में साथ-साथ पढ़ाई के दौरान दोनों ने विवाह का फैसला कर लिया। उनकी शादी 13 जुलाई 1975 को हुई थी। बताया जाता है कि उन्हें दोनों ही परिवारों को मनाने के लिए काफी मशक्कत करना पड़ी थी खासकर हरियाणा की सुषमा स्वराज के परिवार में। सुषमा ने यहां भी साहस दिखाया और शादी कर ली। बाद में स्वराज कौशल भारतीय राजनीतिज्ञ बने और सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील भी बने। छह साल तक राज्यसभा सांसद रहते हुए वे मिजोरम के राज्यपाल भी रहे।

 

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चुनाव नहीं लड़ने के फैसले पति को हुई ज्यादा खुशी

मध्यप्रदेश के विदिशा से सांसद रही सुषमा स्वराज ने जब पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान यह घोषणा की थी। इसके बाद सबसे अधिक खुशी उनके पति स्वराज कौशल को हुई। उन्होंने तत्काल ही ट्वीट कर कहा था कि चुनाव नहीं लड़ने के आपके फैसले के लिए धन्यवाद। मुझे याद है एक समय मिल्खा सिंह को भी रुकना पड़ा था। यह दौड़ 1977 से शुरू हुई थी। इसे अब 41 वर्ष हो गए हैं। आप अब तक 11 चुनाव लड़ चुकी हैं। दो बार 1991 और 2004 में चुनाव नहीं लड़ा। क्योंकि पार्टी ने आपको नहीं उतारा। मैं 46 वर्षों से आपके पीछे भाग रहा हूं। अब मैं 19 वर्ष का नहीं हूं। थैंक्यू मैडम।

पुण्य तिथि पर सीएम ने दी श्रद्धांजलि

पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की पुण्य तिथि पर शुक्रवार को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें याद किया है। इस मौके पर इन नेताओं ने उनके कुछ विचार भी साझा किए हैं। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा है कि राष्ट्र एवं समाज की उन्नति के लिए जीवन की अंतिम सांस तक कार्य करने वाली, आदरणीय बहन सुषमा स्वराज जी की पुण्यतिथि पर उनके चरणों में नमन करता हूं। दीदी, आपके मंगल विचारों की पुण्य ज्योत सदैव जनसेवा के पथ को आलोकित कर राष्ट्र व समाज सेवा के लिए हमें प्रेरित करती रहेगी।

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गृहमंत्री नरोत्तम मिश्र ने किया याद

गृहमंत्री नरोत्तम मिश्र ने अपने ट्वीट संदेश में कहा है कि “एक दूसरे पर दोषारोपण करके किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकता बल्कि एकमत होकर ही होता है।” -सुषमा स्वराजर्व विदेश मंत्री, ओजस्वी वक्ता श्रद्धेय #SushmaSwaraj जी की पुण्यतिथि पर शत-शत नमन और विनम्र श्रद्धांजलि। आपके सिद्धांत और विचार जीवनभर हम सभी के लिए प्रेरणादायी रहेंगे।

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