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भोपाल

रानी कमलापति सेतु से छलांग लगाकर जान से कर रहे खिलवाड़

भोपाल. छोटे तालाब पर बने आर्च ब्रिज के नीचे पानी बहुत गहरा नहीं है,लेकिन इसके नीचे पड़ा झांकियों का स्ट्रक्चर यहां से कूदने वालों के लिए मौत का फरमान साबित हो रहा है। सेल्फी या घाट नजदीक होने के लालच में इस पर से छलांग लगाना मौत को दावत देना है।

भोपालFeb 04, 2024 / 07:37 pm

चन्द्र प्रकाश भारती

रानी कमलापति सेतु से छलांग लगाकर जान से कर रहे खिलवाड़

ये जानकारी घाट पर तैनात गोताखोरों ने दी। इस खबर का उद्देश्य भी लोगों को हादसे से बचाने के लिए जागरुक करना है। बचाव दल के गोताखोरों ने बताया कि अगर कोई इसमें डूबता भी है तो उसकी बाड़ी निकालने में गोताखोर दल को खासी मशक्कत करना पड़ती है। पिछले महिने ही इस तरह के हादसे के बाद स्थानीय लोग व गोताखोर इसे लेकर सचेत हुए। शुक्रवार की दोपहर जब दो लडक़े सेल्फी लेने के लिए ब्रिज से छलांग लगाने की तैयार कर रहे थे। तब ही गोताखोर शेख आसिफ उन्हे रोकने के लिए चिल्लाते हुए भागे। लोगों का आता देख डरकर दोनो लडक़े भाग गए। दो जनवरी को एक एक लडक़े की पतंग लूटने के चक्कर में यहां से कूदने पर बाड़ी बीस घंटे की मशक्कत के बाद गोताखोर निकाल सके। उनका कहना था कि बाड़ी नीचे स्ट्रेक्चर में फंस जाने के कारण ऊपर नहीं आ रही थी।
सफाई केबल किनारे की
बताया गया कि झांकियों के विसर्जन के सामय निगम अमला किनारे की सफाई तो कर देता है,लेकिन मिट्टी के साथ बांस-बल्लियों को स्ट्रेक्चर नीचे दबने के कारण ऊपर नहीं आता। नीचे इस तरह के सैकड़ों स्ट्रेक्चर मिट्टी में दबे हुए है। ब्रिज से कूदने वाला पहले इनसे टकराकर घायल होता है और फंस जाता है। ब्रिज से किनारे नजदीक होने के लालच में लोग यहां कूदने की कोशिश करने लगे है।
करोडों के ब्रिज पर नहीं रहती रौनक
41 करोड़ रुपए की लागत से बने इस ब्रिज के शुरू होने के कुछ माह बाद ही इसके ऊपर की लाइटें व कंडक्टर चोरी हो गए, जो आज भी नहीं लगे है। सैलानियों की भीड़ की जगह आसामाजिक तत्वों का जमावड़ा और मनचलों की भीड़ ही यहां अधिक रहती है। फिर भी इस पर रौनक नहीं रहती है।
20 घंटे में निकाली गई थी डूबने वाले की बॉडी
गोताखोरों के अनुसार एक जनवरी को पतंग लूटते हुए एक जवान लडक़ा ब्रिज के ऊपर से तालाब में कूदा था। एक बार अंदर जाने के बाद वह बाहर ही नहीं आया, जबकि डूबने वाला ऊपर आना चाहिए। गोताखोरों ने बीस घंटे मशक्कत की तब जाकर मृतको को बाहर निकाला जा सका। जबकि तालाब ब्रिज के नीचे 20 से 25 फीट ही गहरा है।

-शुक्रवार की सुबह ही दो लडक़े ब्रिज से कूदने की विडियों बनाने के लिए ब्रिज पर कपड़े उतार कर खड़े हो गए थे। हमने घाट से ही उन्हे आवाज देकर रोका। उन्हे पकडऩे ब्रिज पर गए तो वह भाग गए। पिछले महिने इसी तरह पंतग लूटते हुए लडक़ा कूदा था। बीस घंटे में निकाल पाए थे।
शेख आसिफ,गोताखोर,ननि.
– विसर्जन के दौरान कई बार तालाब को अंदर से साफ करने के लिए लिखा जा चुका है। विसर्जन के दौरान झांकियों को गहराई की ओर क्रेन से खींच दिया जाता है। जो स्ट्रेक्चर तैरते मिलते है, उन्हे तो हटा लिया जाता है,लेकिन डूबे स्टे्रक्चर अब भी इसमें हो सकते हैं।
शिव यादव, अध्यक्ष, कमलापति घाट

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