भोपाल

सवा साल बाद दीपावली पर फिर भारतीय बाजार में ड्रेगन की घुसपैठ

– चीनी सामानों से अटी पड़ीं दुकानें…महंगा व परंपरागत डिजाइन के कारण भारतीय उत्पाद पिछड़े..

भोपालOct 26, 2021 / 07:23 pm

Shailendra Sharma

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विजय चौधरी
इंदौर/भोपाल. ‘चीनी सामान का बहिष्कार’, ‘बॉयकाट चीन’ के नारों से समूचा देश गूंज रहा था, जगह-जगह चीनी सामानों की होली भी जलाई गई… बात जून-जुलाई, 2020 की है। चीन से जारी तनाव से देश में यह माहौल बना और बीती दीवाली तक चला भी। बाजार में ‘मेड इन इंडिया’ का बोलबाला रहा। लोगों ने मिट्टी के दिए और भारतीय रोशनी से घरों को रोशन करने की कोशिश की। ‘आत्मनिर्भर भारत’ की बातें होने लगीं, मगर अब लगभग सवा साल बाद फिर से सबकुछ पहले जैसा ही हो गया है। प्रदेश की व्यावसायिक राजधानी इंदौर से लेकर सुदूर बालाघाट के ग्रामीण अंचल तक चीनी सामानों से दुकानें सजी हुई हैं। दीवाली की सजावट के लिए चीन से आए सस्ते और सुंदर सामान खूब बिक रहे हैं। दुकानदार कहते हैं, भारतीय उत्पाद महंगे तो हैं हीं, उनकी गुणवत्ता भी अच्छी नहीं है। न कोई नवाचार है और न ही सामान सुंदर दिखता है। ऐसे में ग्राहक इन्हें क्यों खरीदेगा।

बाजार में चीन के सामानों की भरमार
जब-जब चीन के साथ भारत का गतिरोध बढ़ता है, तो चीनी सामानों के बहिष्कार का माहौल बनने लगता है। लेकिन हकीकत में चीन ने सुनियोजित ढंग से दुनियाभर के बाजारों में कम कीमतों के उत्पादों से कब्जा जमा रखा है। यही वजह है कि जिन देशों के साथ चीन ने व्यापार करना शुरू किया, वहां स्थानीय कंपनियों को मुकाबले से बाहर कर दिया। आज देश में भी हालात ऐसे ही हैं। 74% मोबाइल, 50% टीवी, 70% फार्मा एपीआई और 90% सौर उपकरण बाजार चीन के हवाले है। बीते दशकों में देसी कंपनियां न सिर्फ कच्चे माल, बल्कि बड़े-बड़े कलपुर्जों के लिए चीन पर निर्भर हो गईं।

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चार गुना अधिक आयात
आज भारत निर्यात के मुकाबले चीन से चार गुना से भी ज्यादा आयात करता है। इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटो पार्ट्स से लेकर दवा बाजार में तो चीन की बड़ी हिस्सेदारी हो गई है, जिसे एक झटके में खत्म कर देना नामुमकिन है। चीन पर निर्भरता का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि कोराना काल में जब चीन से आयात बंद कर दिया गया था तो देश में दवाइयों की कीमतें 150 प्रतिशत तक बढ़ गईं। चीन से इलेक्ट्रानिक सामान आयात करने वाले कारोबारी रोहित का कहना है कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि हम चीन से निर्भरता खत्म कर आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ सकते हैं। लेकिन, इसमें लंबा वक्त लगेगा और तब तक भारतीय कंपनियों और ग्राहकों को सस्ते का मोह भी छोडऩा होगा।

 

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कर चोरी से सामान सस्ता
चीन के विभिन्न शहरों से सामान जब भारत पहुंचता है तो कर चोरी के लिए यहां अफसरों-कारोबारियों का पूरा गिरोह सक्रिय हो जाता है। रोहित बताते हैं, ‘सामान सारा एक नंबर में आता है, मगर टैक्स बचाने के लिए बड़े पैमाने पर सौदेबाजी होती है। हम कारोबारियों का लालच यह रहता है कि टैक्स बचाएंगे तो ही सामान सस्ता रहेगा और उसकी खपत बढ़ेगी। न चाहते हुए भी हम अफसरों के साथ सांठगांठ करते हैं।’

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तीन दुकानदार, तीन राय
1. गिफ्ट गैलरी : भारतीय सामान में नयापन नहीं
इंदौर के बिचौली मर्दाना रोड स्थित गुरुकृपा गिफ्ट गैलरी के संचालक सतीश मोदी कहते हैं, ‘हम चाहते हैं कि भारतीय प्रोडक्ट ही बेचें, मगर इनमें कोई नयापन है ही नहीं। मेरी दुकान में घड़ी, चश्मा, खिलौने सब भारतीय भी हैं और चीनी भी, मगर आप स्वयं ही देख लें दोनों का फर्क (सामान दिखाते हुए)। मैं सिर्फ भारतीय सामान रखूं तो दुकान चलेगी ही नहीं।’

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2. चश्मा शॉप : इंडस्ट्री बढ़ाने की सोच चाहिए
सी वन-इवन नाम की चश्मे की दुकान के संचालक हेमंत जैन से जब हमने सवाल किया कि बगैर चाइना के आपका व्यापार कैसे चलेगाï, तो बोले संभव ही नहीं है। उन्होंने बताया, ‘चश्मे की 90 फीसदी सामग्री चीन से आती है। लोकल से लेकर ब्रांडेड कंपनियां तक चीन पर निर्भर हैं। उन्होंने इस इंडस्ट्री को बढ़ाने के लिए नीतिगत सुधार किए हैं। एक ही जगह चश्मे से जुड़ा हर सामान मिलता है। उन्होंने सामान को सस्ता व नया बनाने पर फोकस्ड वर्क किया है, जिसकी भारत में कमी है।’

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3. कास्मेटिक शॉप : चीनी माल सस्ता, इसलिए बिकता है
प्र्रदेश के सबसे बड़े कास्मेटिक मार्केट रानीपुरा की दुकानदार लतिका राजा बताती हैं, ‘चीनी सामान भी हमारी शॉप में है और सस्ता है। चाइना का सामान सस्ता है तब तो बिक जाता है। भारतीय सामान की गुणवत्ता अच्छी है, मगर वह महंगा है इस कारण ग्राहक कम पसंद करते हैं।’

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