पहले दिन किसका श्राद्ध होता है
पितृपक्ष में पहला श्राद्ध प्रतिपदा तिथि का श्राद्ध होता है। यह श्राद्ध उन पितरों के लिए किया जाता है, जिनकी मृत्यु हिंदू पंचांग के अनुसार प्रतिपदा तिथि को हो जाती है। इस दिन पितरों को तर्पण और पिंडदान दिया जाता है। पंडित या पुरोहित की सहायता से श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। परिवार के सदस्यों द्वारा पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की जाती है और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है । श्राद्ध में ब्राह्मण भोज और गरीबों को भोजन व दान देने का भी प्रावधान है।
श्राद्ध विधि
इस दिन श्राद्ध करने वाले व्यक्ति देवी-देवताओं, ऋषियों और पितरों के नाम का उच्चारण करके श्राद्ध करने का संकल्प लेते हैं। इसमें जल में काले मिलाकर पितरों को अर्पित किया जाता है इस प्रक्रिया को तर्पण कहते हैं । इसे तीन बार किया जाता है फिर चावल के बने पिंड बनाकर पितरों को अर्पित किए जाते हैं। यह प्रक्रिया महत्वपूर्ण मानी जाती है और इससे पितरों की आत्मा को तृप्ति मिलती है। श्राद्ध कर्म के अंत में ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है और उन्हें वस्त्र, भोजन, तिल, और अन्य दान दिए जाते हैं। इसे पिंडदान से भी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि ब्राह्मणों को पितरों का प्रतिनिधि माना जाता है।
पितृपक्ष की श्राद्ध तिथियां
17 सितंबर- पितृ पक्ष प्रारंभ, पूर्णिमा का श्राद्ध18 सितंबर- प्रतिपदा तिथि का श्राद्ध (पितृपक्ष आरंभ)-
19 सितंबर- द्वितीया तिथि का श्राद्ध
20 सितंबर- तृतीया तिथि का श्राद्ध
21 सितंबर- चतुर्थी तिथि का श्राद्ध
22 सितंबर- पंचमी तिथि का श्राद्ध
23 सितंबर- षष्ठी और सप्तमी तिथि का श्राद्ध
24 सितंबर- अष्टमी तिथि का श्राद्ध
25 सितंबर- नवमी तिथि का श्राद्ध
26 सितंबर- दशमी तिथि का श्राद्ध
27 सितंबर- एकादशी तिथि का श्राद्ध
29 सितंबर- द्वादशी तिथि का श्राद्ध
30 सितंबर- त्रयोदशी तिथि का श्राद्ध
1 अक्टूबर- चतुर्दशी तिथि का श्राद्ध
2 अक्टूबर- सर्व पितृ अमावस्या, पितृ पक्ष समाप्त