भोपाल आए पंडोखर सरकार से पत्रिका ने बातचीत की, पेश है उसके कुछ अहम अंश—
आप लंबे समय से दरबार लगा रहे हैं, लेकिन कुछ समय से चमत्कारिक दरबारों को लेकर प्रश्नचिन्ह लगने लगे हैं। आप भी दरबार लगाते हैं, इसे लेकर आपका क्या कहना है?
पंडोखर सरकार— मैं पिछले 32 सालों से दरबार लगा रहा हूं। हम दरबार चमत्कार और दिखावे के लिए नहीं लगाते बल्कि लोगों की आस्था है, विश्वास है, यहां कई लोग समस्या लेकर आते हैं और आध्यात्म के जरिए उनकी समस्याओं का निराकरण होता है। लोगों को भरोसा है इसलिए आते हैं। जहां तक प्रश्नचिन्ह लगने की बात है तो हम पर कभी प्रश्नचिन्ह नहीं लगा। हम हर तरह की परीक्षा के लिए तैयार रहते हैं। कई दरबार ऐसे है जहां लोग ***** बनते हैं, इसलिए कई लोग सवालिया निशान लगाते हैं।
हिन्दू राष्ट्र की मांग पर आपका क्या मत है?
पंडोखर सरकार—अगर देश में रामराज्य की स्थापना हो तो हिन्दू राष्ट्र अपने आप बन जाएगा। जरूरत है रामराज्य लाने की। साधु, संतों, गुरुजनों का सत्कार हो, देश में सभी मिलकर रहें, देश की प्रगति में योगदान दें तो हम विश्वगुुरु हो जाएंगे।
रामचरित मानस की चौपाइयों के विवाद कहां तक उचित है?
पंडोखर सरकार—अपने राजनीतिक फायदे के लिए जिन लोगों ने इस तरह का विवाद छेड़ा है, वे निंदा के पात्र है। जो लेकर रामचरित मानस की प्रतियां जला रहे हैं, ऐसे लोग राक्षसी प्रवृत्ति के है।
आप चमत्कार किस तरह से करते हैं, कौन सी विद्या आपके पास है, जिससे लोगों की समस्याओं का समाधान होता हैं?
पंडोखर सरकार— हम चमत्कार, खेल तमाशा दिखाने का काम नहीं करते, न ही हमारे पास कोई तंत्र मंत्र है। हमारी तो पांडव शक्तिपीठ है, यहां हनुमानजी की कृपा से लोगों की समस्याओं का समाधान होता है। यहां आने वाले भक्तों पर उनकी कृपा होती है और बिगड़े काम बनते हैं। यह सब हनुमानजी की कृपा है।
कई माइंड रीडर्स यह भी कहने लगे हैं कि मन की बात बताना कोई चमत्कार नहीं है, बल्कि माइंड रीडिंग है, इसे लेकर आप क्या कहना चाहेंगे?
पंडोखर सरकार— कोई इसे माइंड रीडिंग कहता है तो कोई ट्रिक तो कोई मैजिक कहता है, सबकी अपनी-अपनी सोच है, विज्ञान अलग है और आध्यात्म अलग है। मैं किसी को लेकर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता लेकिन जो लोग माइंड रीडिंग की बात करते हैं, वो लोगों को सोचने के लिए कहते हैं उसे परखने के बाद उसके बारे में बताते हैं. अगर अपनी कला के माध्यम से वे लोगों की समस्या का समाधान करना चाहते हैं तो सामने आएं, हम विज्ञान का विरोध नहीं करते।