कथावाचक पंडित धीरेंद्र शास्त्री हवस का पुजारी सुनकर भड़के हैं। उनका कहना है कि हम अक्सर हवस का पुजारी शब्द सुनते आए हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि हवस का मौलवी क्यों नहीं हो सकता? सोशल मीडिया पर पंडित धीरेंद्र शास्त्री के इस बयान की खूब चर्चा हो रही है।
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श्राद्ध पक्ष में जब सभी अपने पितरों के पिंडदान के लिए बिहार के बोधगया जाते हैं तब बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री भी वहां पहुंचे। वे अपने अनुयायियों को विधि विधान से पितरों का पिंड दान कराने के लिए गया गए। इस दौरान वे कथा भी सुना रहे हैं।
श्राद्ध पक्ष में जब सभी अपने पितरों के पिंडदान के लिए बिहार के बोधगया जाते हैं तब बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री भी वहां पहुंचे। वे अपने अनुयायियों को विधि विधान से पितरों का पिंड दान कराने के लिए गया गए। इस दौरान वे कथा भी सुना रहे हैं।
पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कथा सुनाते हुए इस बात पर क्षोभ जाहिर किया कि सनातन धर्मावलंबी स्वयं अपने धर्म, अपने साधु—संतो, अपने तीर्थों, अपने रीति रिवाजों का मजाक उड़ाते हैं। उन्होंने बताया कि इसके लिए बेहद सुनियोजित तरीके से हिंदुओं का ब्रेन वॉश किया गया।
कथावाचक पंडित शास्त्री ने कहा कि हमने हवस का पुजारी सुना है। उन्होंने सवाल उठाया कि हवस का मौलवी क्यों नहीं हो सकता? इस प्रश्न का पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने खुद ही जवाब भी दिया। उन्होंने बताया कि हमारे दिमाग में बहुत ही प्रायोजित तरीके से ऐसे शब्दों को पहुंचाया और भरा गया है।
पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कहा आपने कभी भी किसी मुसलमान को अपने मौलवियों की हंसी उड़ाते या उनका मजाक बनाते नहीं देखा होगा। केवल हम ही लोग ऐसा करते हैं। पंडित शास्त्री ने कहा कि हम किसी के विरोध में नहीं हैं लेकिन हमारे मंदिरों को पाखंड की दुकान कहा जाता रहा है, साधु- संतों को सरेआम ढोंगी-पाखंडी बताया जाता रहा है।