bell-icon-header
भोपाल

Mere Ram : ये है भारत की दूसरी ‘अयोध्या’, वो मंदिर जहां राजा के रूप में पूजे जाते हैं ‘श्रीराम’, पुलिस देती है रोज सलामी

Orcha Ram Temple: पूरा शहर इन दिनों भगवान श्रीराम की भक्ति में मग्न है। अयोध्या में हो रही प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव की रौनक पूरे शहर में दिखाई दे रही है। शहर में जगह-जगह धार्मिक अनुष्ठान, शोभायात्रा, ध्वज यात्रा, प्रभात फेरियां निकल रही हैं और अनेक अनुष्ठान हो रहे हैं। रविवार को पूर्व संध्या पर भी शहर में जगह-जगह आयोजन होंगे, दीप जलेंगे। शहर के 100 से अधिक मंदिरों में रविवार सुबह से अखंड रामचरित मानस पाठ की शुरुआत होगी, जो सोमवार को सुबह तक चलेंगे। इसी प्रकार सुंदरकांड, हनुमान चालीसा पाठ भी किया जाएगा। इसी कड़ी में हम आपको बताने जा रहे है ओरछा के भगवान श्रीरामराजा सरकार के बारें में……

भोपालJan 22, 2024 / 10:55 am

Astha Awasthi

Orcha Ram Temple

600 साल पुराना है इतिहास

देश में मध्यप्रदेश की पर्यटन नगरी ओरछा इकलौता शहर है जहां केवल भगवान श्रीरामराजा सरकार को वीआईपी माना जाता है और उन्हें ही सशस्त्र सलामी और गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है। वहीं अयोध्या और ओरछा का नाता करीब 600 वर्ष पुराना है। यहां भगवान राम को किसी मंदिर में नहीं, एक महल में पूजा जाता है। यहां बड़ी संख्या में लोग भगवान राम के दर्शन करने के लिए आते हैं। यह भारत का एकमात्र मंदिर है जहां भगवान राम को एक राजा के रूप में पूजा जाता है। महल में उनके लिए हर दिन गार्ड ऑफ ऑनर आयोजित किया जाता है, राजा की तरह पुलिसकर्मियों को मंदिर में गार्ड के रूप में नियुक्त किया जाता है. हर दिन भगवान राम को सशस्त्र सलामी दी जाती है.

 

भगवान श्रीराम के ओरछा का राजा बनने की कहानी

धार्मिक ग्रंथों और बुंदेलखंड की जनश्रुतियों के अनुसार आदि मनु और सतरूपा ने हजारों वर्षों तक शेषशायी विष्णु को बालरूप में प्राप्त करने के लिए तपस्या की। इस पर विष्णुजी ने प्रसन्न होकर उन्हें त्रेता में राम, द्वापर में कृष्ण और कलियुग में ओरछा के रामराजा के रूप में अवतार लेकर उन्हें बालक का सुख देने का आशीर्वाद दिया। बुंदेलखंड की जनश्रुतियों के अनुसार यही आदि मनु और सतरूपा कलियुग में मधुकर शाह और उनकी पत्नी गणेशकुंवरि के रूप में जन्मे। लेकिन ओरछा नरेश मधुकरशाह कृष्ण भक्त हुए और उनकी पत्नी गणेशकुंवरि राम भक्त। एक बार मधुकर शाह ने कृष्णजी की उपासना के लिए गणेश कुंवरि को वृंदावन चलने को कहा, लेकिन रानी ने मना कर दिया। इससे क्रुद्ध राजा ने उनसे कहा कि तुम इतनी राम भक्त हो तो जाकर अपने राम को ओरछा ले आओ।

 

1200-675-20130670-thumbnail-16x9-orcha-aspera.jpg
इस पर रानी अयोध्या पहुंचीं और सरयू नदी के किनारे लक्ष्मण किले के पास कुटी बनाकर साधना करने लगीं। इन्हीं दिनों संत शिरोमणि तुलसीदास भी अयोध्या में साधनारत थे। संत से आशीर्वाद पाकर रानी की आराधना दृढ़ से दृढ़तर होती गई। लेकिन कई महीनों तक उन्हें रामराजा के दर्शन नहीं हुए तो वह निराश होकर अपने प्राण त्यागने सरयू में कूद गईं। यहीं जल में उन्हें रामराजा के दर्शन हुए और रानी ने उन्हें साथ चलने के लिए कहा।
इस पर उन्होंने तीन शर्त रख दीं, पहली- यह यात्रा बाल रूप में पैदल पुष्य नक्षत्र में साधु संतों के साथ करेंगे, दूसरी जहां बैठ जाऊंगा वहां से उठूंगा नहीं और तीसरी वहां राजा के रूप में विराजमान होंगे और इसके बाद वहां किसी और की सत्ता नहीं चलेगी। मान्यता है कि इसी के बाद बुंदेला राजा मधुकर शाह ने अपनी राजधानी टीकमगढ़ में बना ली।
इधर, रानी ने राजा को संदेश भेजा कि वो रामराजा को लेकर ओरछा आ रहीं हैं और राजा मधुकर शाह चतुर्भुज मंदिर का निर्माण कराने लगे। लेकिन जब रानी 1631 ईं में ओरछा पहुंचीं तो शुभ मुहूर्त में मूर्ति को चतुर्भुज मंदिर में रखकर प्राण प्रतिष्ठा कराने की सोची और उसके पहले शर्त भूलकर भगवान को रसोई में ठहरा दिया। इसके बाद राम के बालरूप का यह विग्रह अपनी जगह से टस से मस नहीं हुआ और चतुर्भुज मंदिर आज भी सूना है। बाद में महल की यह रसोई रामराजा मंदिर के रूप में विख्यात हुई।
1.png

किसी और को नहीं देता सलामी

बता दें कि मध्य प्रदेश की पर्यटन नगरी ओरछा को भगवान श्रीराम की राजधानी माना जाता है। इस शहर में केवल भगवान श्रीरामराजा सरकार को ही वीआईपी माना जाता है और उन्हें मंदिर खुलने पर चार गार्ड सशस्त्र सलामी देते हैं और बंद होने के समय एक गार्ड सलामी देता है। ओरछा स्थित श्रीरामराजा मंदिर में राजा के रूप में पूजे जाने वाले भगवान को सलामी देने वाला गार्ड किसी और को सलामी नहीं देता।a

 

orchha02.jpg
यह परंपरा करीब 450 सालों से तब से चली आ रही है, जब तत्कालीन राजा मधुकर शाह की रानी रामलला की प्रतिमा अयोध्या से राजा के रूप में यहां लाई थीं। इसके बाद मधुकर शाह ने भी रामलला के प्रतिनिधि के रूप में ही शासन किया और अपनी राजधानी भी बदल ली थी। बुंदेलखंड में किंवदंती है कि अयोध्या में भगवान श्रीराम बाल स्वरूप में विराजते हैं, जबकि ओरछा में राजा के रूप में। इसी कारण इस शहर में कोई दूसरा राजा नहीं होता।

Hindi News / Bhopal / Mere Ram : ये है भारत की दूसरी ‘अयोध्या’, वो मंदिर जहां राजा के रूप में पूजे जाते हैं ‘श्रीराम’, पुलिस देती है रोज सलामी

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.