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भोपाल

सरकारी महकमों की मनमानी पर अफसरों की खिंचाई, जिम्मेदारों ने जताया खेद बोले अब ऐसा नहीं होगा

सदन की कमेटी की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

भोपालAug 20, 2021 / 12:33 am

दीपेश अवस्थी

डॉ. दीपेश अवस्थी,
भोपाल। राज्य सरकार के सरकारी महकमों और उपक्रमों को स्पष्ट निर्देश हैं कि उन्हें प्रतिवर्ष सदन के पटल पर अपना लेखा जोखा पेश करना है, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। कई महकमे और सरकारी उपक्रम ऐेसे हैं जो दो-दो, तीन-तीन साल देरी से ब्यौरा सदन को दे रहे हैं। विधानसभा की समिति ने इनको आड़े हाथों लेते हुए सख्त लहजे में कहा है कि उन्हें हर साल ब्यौरा देना ही होगा। समिति के समक्ष सुनवाई के दौरान विभाग प्रमुखों ने देरी से रिपोर्ट देने के लिए खेद जताते हुए भरोसा दिलाया है कि अब ऐसा नहीं होगा। हाल ही में समाप्त हुए विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान यह रिपोर्ट सदन के पटल पर रखी गई। इसी रिपोर्ट में सरकारी उपक्रमों, विभागों की मानमानी उजागर हुई है।
तीन साल देरी से दी जानकारी –
रिपोर्ट के मुताबिक मध्यप्रदेश औद्योगिक केन्द्र विकास निगम जबलपुर का 32वां वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखा वित्तीय वर्ष 2013-14 विधानसभा के पटल पर 3 साल 10 माह देरी से रखा गया। इस संबंध में समिति ने कंपनी के सचिव से पूछा इस देरी के लिए जिम्मेदार कौन है। उन्होंने इसके लिए खेद व्यक्त करते हुए कहा भविष्य में इसका ध्यान रखा जाएगा कि ब्यौरा समय पर दे दिया जाए। उन्होंने समिति को यह भी बताया कि वित्तीय वर्ष 2014-15 से 206-17 तक का रिकार्ड सबमिट किया जा चुका है।
समय से पहले सत्र स्थगित होना बता दिया कारण –

एपी पॉवर मैनेजमेंट कंपनी जबलपुर का वर्ष 2016-17 का वार्षिक प्रतिवेदन एक साल 10 माह की देरी से पेश हुआ। समिति के समक्ष हुई सुनवाई में विभाग ने प्रिंटिग में देरी और विधानसभा सत्र निर्धारित अवधि से पहले समाप्त होने का कारण का तर्क दिया। हालांकि इन्होंने ऑडिट सहित अन्य प्रतिक्रियात्मक देरी को भी कारण बताया। समिति ने चेताया कि अब इस कार्य में देरी न हो।
विधानसभा चुनाव, आचार संहिता के कारण हुई देरी –
मध्यप्रदेश जल निगम भोपाल का वर्ष 2016-17 का वार्षिक प्रतिवेदन 20 फरवरी 2019 को सदन के पटल पर रखा गया। यह एक साल दस माह की देरी से पेश किया गया। समिति के समक्ष मौखिक साक्ष्य में विभाग ने वर्ष 2018 में होने वाले विधानसभा चुनाव और आचार संहिता को देरी का कारण बता दिया। रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने यह भी कहा कि सीएजी का कमेंट प्रतिवेदन में विलम्ब के कारण भी देरी हुई। हालांकि सदन की समिति इन तर्कों से Óयादा संतुष्ट नहीं हुई। समिति ने कहा कि आगे से ध्यान रखें की इसमें देरी न हो।
तीन माह में पेश कर दी रिपोर्ट –

विधानसभा अध्यक्ष ने पांच मई को सदन की समिति का गठन किया था। सदन के पटल पर रखे गए पत्रों का परीक्षण करने संबंधी इस समिति ने तीन माह में ही अपनी रिपोर्ट सदन के पटल पर रख दी। इस बीच समिति ने संबंधित उपक्रमों के प्रमुखों, विभाग के प्रमुख सचिव, अतिरिक्त मुख्य सचिव स्तर के अफसरों से जवाब तलब किया। साथ ही देरी से ब्यौरा दिए जाने का कारण भी पूछा। इस बीच समिति ने सुनवाई भी की। तीन माह में इनकी रिपोर्ट सदन के पटल पर रख दी।
रिपोर्ट में इन उपक्रमों का है उल्लेख –
संत रविदास मप्र हस्तशिल्प एवं हाथकरघा विकास निगम भोपाल, मप्र औद्योगिक केन्द्र विकास निगम जबलपुर, राÓय पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम भोपाल, एमपी पॉवर मैनेजमेंट कंपनी जबलपुर, मप्र जल निगम भोपाल, मप्र उऊर्जा विकास निगम, जिला खनिज प्रतिष्ठान झाबुआ, अलीराजपुर, सागर, बैतूल, बालाघाट, जबलपुर, नीमच, पन्ना, छिंदवाड़ा, दमोह, शहडोल, धार, मध्यप्रदेश राÓय लघु वनोपज व्यापार एवं विकास सहकारी संघ मर्यादित भोपाल।

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