अभी देश में एथेनॉल का उत्पादन मांग के अनुसार बहुत कम है एसे में देश में कई इलाकों का चयन कर एथेनॉल उत्पादन इकाई लगाने की तैयारियां की जा रही है। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा, बैतूल, दतिया, होशंगाबाद सहित पांच जिलों में एथेनॉल तैयार करने के उद्योग लगाए जाएंगे। एथेनॉल एक तरह का अल्कोहल है, जिसे पेट्रोल में मिलाकर गाड़ियों में फ्यूल की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। एथेनॉल का उत्पादन यूं तो मुख्य रूप से गन्ने की फसल से होता है, पर मक्का, चावल सहित शर्करा वाली कई अन्य फसलों से भी इसे तैयार किया जा सकता है।
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इन फैक्ट्रियों में गन्ना, धान, मक्का से एथेनॉल बनाने का काम किया जाएगा। एथेनॉल लेने का काम पेट्रोलियम मंत्रालय करेगा। इसके लिए सरकार ने पेट्रोलियम मंत्रालय से एमओयू किया है। एथेनॉल उद्योग से किसानों को उनकी उपज का बेहतर दाम मिलने के साथ ही गन्ना और मक्का की खेती को बढ़ावा मिलेगा।
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किसान बेहतर गुणवत्ता फसलें महंगे दामों पर बड़े बाजार, शुगर मिलों में बेच सकेंगे। तीसरे स्तर का जो गन्ना, धान और मक्का होगा, उसे इन उद्योगों को सप्लाई कर सकेंगे। इससे किसानों की आय दोगुनी हो सकेगी। ज्यादा विकल्प होने से वे अपनी फसल के दाम खुद तय करने का निर्णय ले सकेंगे। किसान धीरे-धीरे मकके की खेती कम करते जा रहे हैं, क्योंकि सरकार ने उसे समर्थन मूल्य पर खरीदना बंद कर दिया है। डी ग्रेड की धान और चावल के वाय प्रोडक्ट को भी किसान एथेनॉल उद्योगों को बेच सकेंगे, जो वर्तमान में किसान की व्यापारियों को औने-पौने दामों में बेच देते हैं।
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केंद्र सरकार ने दी खरीदने की गारंटी
केंद्र सरकार ने एथेनॉल खरीदने के लिए गारंटी देने की योजना बनाई है। एथेनॉल का उत्पादन बढ़ने से गन्ना किसानों को सीधा फायदा होगा। क्योंकि शुगर मिलों के पास से आसानी से पैसा मिल जाएगा। इसके लिए राज्य सरकार से केंद्र सरकार ने समझौता किया है। इससे प्रदेश में लगभग एक हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त निवेश होगा। करीब पांच करोड़ लीटर एथेनॉल उत्पादन का अनुमान है।
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किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री कमल पंटेल ने बताया कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए एथेनॉल उद्योग जाएंगे। यह उद्योग उन क्षेत्रों में लगाए जाएंगे जहां धान गन्ना और मक्के की खेती ज्यादा होती है। इस उद्योग से किसानों को उनकी उपज की दोगुनी कीमत मिलेगी।