प्रदेश के 12 लाख से अधिकर शासकीय कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए नया साल फीका साबित हो रहा है। केंद्रीय दर और केंद्रीय तिथि से महंगाई भत्ता देने का वादा करने वाली सरकार ने अब तक 4 फीसदी महंगाई भत्ता नहीं दिया जा रहा है। जबकि केंद्र सरकार चार फीसदी और बढ़ाने वाली है।
मध्यप्रदेश तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रदेश सचिव उमाशंकर तिवारी का कहना है कि हर बार कैबिनेट बैठक से उम्मीद होती है कि महंगाई भत्ता बढ़ाने का फैसला लिया जाएगा, लेकिन सभी को निराश होना पड़ रहा है। प्रदेश में जुलाई 2023 से 4 फीसदी महंगाई भत्ता और महंगाई राहत नहीं दिया जा रहा है।
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उमाशंकर तिवारी कहते हैं कि जहां केंद्र सरकार जनवरी से महंगाई भत्ता और राहत 46 से 50% करने जा रही है, वहीं मध्य प्रदेश सरकार के कर्मचारियों को 42% महंगाई भत्ते से काम चलाना पड़ रहा है। सेवानिवृत्ति कर्मचारियों-अधिकारियों को तो और भी ज्यादा मुसीबत के साथ जीवन गुजारना पड़ रहा है। क्योंकि बुजुर्गों को दवाई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से काफी जूझना पड़ता है और इसमें आर्थिक जरूरतें बहुत ज्यादा रहती है।
तिवारी ने कहा कि इसी प्रकार से कार्यरत कर्मचारियों के परिवारों को बढ़ती महंगाई में अपना घर चलाने के लिए जो राशि मिलना चाहिए, वह नहीं मिलने से काफी समस्या उत्पन्न हो गई है। जहां कई राज्यों ने चुनाव चलते हुए अपने कर्मचारियों को जुलाई 2023 से 42 से 46% महंगाई भत्ता/ महंगाई राहत कर दी गई है, वहीं मध्य प्रदेश में नई सरकार के गठन के बाद अब तक सरकार इस मुद्दे पर चुप है।
उमाशंकर तिवारी ने कहा कि सरकार के इस रवैये से कर्मचारी जगत में निराशा उत्पन्न हो रही है। हर कैबिनेट बैठक के पहले कर्मचारियों को लगता है इस बार सरकार हमारी सुध लेगी, लेकिन कैबिनेट बैठक हो जाती है, कर्मचारी झुनझुना पकड़ के रह जाते हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव से निवेदन है कि प्रदेश के 7.50 लाख से अधिक कार्यरत अधिकारी कर्मचारी एवं 4.50 लाख सेवानिवृत कर्मचारियों अधिकारियों को महंगाई भत्ता एवं महंगाई राहत प्रदान करने के आदेश जारी किए जाएं।