प्रदेश के सागर जिले में ट्रांसफर घोटाले का खुलासा हुआ है। यहां अतिशेष शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण के नाम पर जिलास्तरीय ट्रांसफर किए गए। अतिशेष शिक्षकों की लिस्ट में एक महिला शिक्षक का नाम ही नहीं था, फिर भी उनका ट्रांसफर कर दिया गया। खास बात यह है कि ऐसे ट्रांसफर पर स्वयं सीएम मोहन यादव रोक लगा चुके हैं।
इस मामले पर हाईकोर्ट ने भी सख्ती दिखाई। कोर्ट ने सागर जिला शिक्षा अधिकारी से इस मामले में जवाब मांगा है। इसके बाद स्कूल शिक्षा विभाग और सागर के कलेक्टर से अतिशेष शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण के नाम पर किए गए जिलास्तरीय ट्रांसफर की व्यापक जांच कराने की मांग की जा रही है।
यह भी पढ़ें : एमपी में बनेगा नया महानगर, चार जिलों के 8 हजार वर्ग किमी में आकार लेगा मेट्रोपोलिटन रीजन सागर के पथरिया अहीर के सरकारी मिडिल स्कूल की सहायक शिक्षक उषा चौरसिया का 3 सितंबर को ट्रांसफर कर दिया गया। उनका अतिशेष सूची में नाम ही नहीं था इसके बाद भी माध्यमिक विद्यालय, धूरा भेज दिया गया।
उषा चौरसिया ने हाईकोर्ट जबलपुर में याचिका दायर कर अपने ट्रांसफर को चुनौती दी।
उषा चौरसिया ने हाईकोर्ट जबलपुर में याचिका दायर कर अपने ट्रांसफर को चुनौती दी।
हाईकोर्ट में उनके वकील ने बताया कि नियमानुसार अतिशेष घोषित होने पर ही ट्रांसफर किया जा सकता है पर उषा चौरसिया, अतिशेष की सूची में शामिल ही नहीं थी। इसलिए ट्रांसफर नियम के अनुरूप नहीं है। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की एकल पीठ ने उषा चौरसिया के ट्रांसफर पर रोक लगा दी। इसके साथ ही सागर के जिला शिक्षा अधिकारी को नियम के मुताबिक उनके ट्रांसफर पर फिर से विचार करने के निर्देश दिए।