क्या कहता है गुना लोकसभा सीट का समीकरण
गुना-शिवपुरी लोकसभा सीट एमपी की वीआईपी सीटों में से एक बनी हुई है। यहां से बीजेपी प्रत्याशी और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) के सामने कांग्रेस के राव यादवेंद्र सिंह हैं। इस सीट पर यादवेंद्र यादव को इंडी अलायंस से जितना समर्थन मिलना चाहिए था। उतना नहीं मिला। यहां पर अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव और राहुल गांधी जैसे स्टार कैम्पेनर की जरुरत थी, लेकिन इनमें से किसी ने यहां प्रचार नहीं किया। इस सीट पर यादव, जाटव, लोधी और गुर्जर समाज का अच्छा खासा प्रभाव है। जो कि हार और जीत में अहम भूमिका निभाते हैं। इसी का फायदा इस बार सिंधिया को मिल सकता है। क्योंकि कांग्रेस ने गुना-शिवपुरी सीट पर कमजोर प्रचार किया है। बता दें कि, यह क्षेत्र सिंधिया का गढ़ माना जाता है।
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इधर प्रदेश की दूसरी वीआईपी सीट छिंदवाड़ा है। जहां कांग्रेस 1952 से ही राज कर रही है। बीजेपी पूरे प्रयास में ही कि कैसे भी करके कमनलाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में सेंध लगाई जाए। हालांकि, साल 2019 में कमलनाथ अपने बेटे नकुलनाथ (Nakulnath) की सीट बचाने में कामयाब हो गए थे, लेकिन बीजेपी की सटीक रणनीति और लोकल कांग्रेस नेताओं का दल-बदल करके आने से मुकाबला टक्कर का हो गया है। छिंदवाड़ा में कांग्रेस और कमलनाथ की मजबूती हैं। यहां के ग्रामीण और आदिवासी जिनके भरोसे कमलनाथ और कांग्रेस यहां से जीतती नजर आ रही है। इधर जो शहरी वोटर्स हैं, वह बीजेपी की तरफ शिफ्ट हुए हैं।
किसके नाम होगा छिंदवाड़ा का गढ़
इधर प्रदेश की दूसरी वीआईपी सीट छिंदवाड़ा है। जहां कांग्रेस 1952 से ही राज कर रही है। बीजेपी पूरे प्रयास में ही कि कैसे भी करके कमनलाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में सेंध लगाई जाए। हालांकि, साल 2019 में कमलनाथ अपने बेटे नकुलनाथ (Nakulnath) की सीट बचाने में कामयाब हो गए थे, लेकिन बीजेपी की सटीक रणनीति और लोकल कांग्रेस नेताओं का दल-बदल करके आने से मुकाबला टक्कर का हो गया है। छिंदवाड़ा में कांग्रेस और कमलनाथ की मजबूती हैं। यहां के ग्रामीण और आदिवासी जिनके भरोसे कमलनाथ और कांग्रेस यहां से जीतती नजर आ रही है। इधर जो शहरी वोटर्स हैं, वह बीजेपी की तरफ शिफ्ट हुए हैं।
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विदिशा सीट भी प्रदेश की वीआईपी सीट में से एक है। विदिशा से बीजेपी की ओर से पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) तो कांग्रेस से प्रताप भानु शर्मा मैदान में हैं। शिवराज को लाड़ली बहना जैसी योजनाओं का जमकर लाभ मिल रहा है। इस सीट पर माना जा रहा है कि बीजेपी बड़े ही आराम से यह सीट अपने नाम कर लेगी। शिवराज सिंह चौहान के प्रतिद्वंद्वी भानु प्रताप शर्मा साल 1984 में सांसद बने थे।
शिवराज के गढ़ के कांग्रेस की राह मुश्किल
विदिशा सीट भी प्रदेश की वीआईपी सीट में से एक है। विदिशा से बीजेपी की ओर से पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) तो कांग्रेस से प्रताप भानु शर्मा मैदान में हैं। शिवराज को लाड़ली बहना जैसी योजनाओं का जमकर लाभ मिल रहा है। इस सीट पर माना जा रहा है कि बीजेपी बड़े ही आराम से यह सीट अपने नाम कर लेगी। शिवराज सिंह चौहान के प्रतिद्वंद्वी भानु प्रताप शर्मा साल 1984 में सांसद बने थे।