बीजेपी के दूसरी बार के सांसद दुर्गादास उइके कई सालों तक शिक्षक रहे। उन्होंने शिक्षा विभाग में 32 साल तक शिक्षक के रूप में सेवा दी। इसके बाद राजनीति में आने के लिए अपनी सरकारी नौकरी कुर्बान कर दी। इस त्याग का प्रतिफल पहले सांसद के रूप में मिला और अब उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंत्री के रूप में चुना है।
यह भी पढ़ें : युवा बेटे को कंधा देते हुए बिलख उठे कलेक्टर, जबलपुर में भाई ने दी मुखाग्नि दुर्गादास उइके का जन्म 29 अक्टूबर 1963 में बैतूल के मीरापुर गांव में हुआ था। सूरतलाल उइके और रामकली उइके के पुत्र दुर्गादास ने एमए किया और बाद में बीएड की डिग्री भी ली। 61 साल के दुर्गादास उइके सालों पहले संघ यानि आरएसएस से जुड़ गए थे। आरएसएस ने ही उन्हें आदिवासी बाहुल्य बैतूल में राजनीतिक तौर पर आगे बढ़ाया।
सांसद दुर्गादास उइके अखिल भारतीय गायत्री परिवार से भी जुड़े हैं। उनका गायत्री परिवार से संबंध 30 साल पुराना है।आरएसएस और गायत्री परिवार से जुड़ाव के साथ ही वे इलाके के सभी सामाजिक धार्मिक कार्यक्रमों में शामिल होते रहते थे। उनकी इसी छवि का लाभ उठाकर बीजेपी ने 2019 के चुनाव में लोकसभा का प्रत्याशी बना दिया और पार्टी के भरोसे पर वे खरे भी उतरे। दुर्गादास उइके Durgadas Uike ने कांग्रेस के प्रत्याशी को 3 लाख 60 हजार 241 वोटों के भारी भरकम अंतर से हरा दिया था।
बैतूल लोकसभा सीट पर 2024 में एक बार फिर बीजेपी के दुर्गादास उइके ने जीत हासिल की। लोकसभा चुनाव में इस बार दुर्गादास यानि डीडी उइके ने कांग्रेस के प्रत्याशी रामू टेकाम को 3,79761 वोटों से शिकस्त दी। दुर्गादास उइके को 854298 वोट मिले और उनका वोट शेयर 62.5 फीसदी रहा। कांग्रेस के प्रत्याशी रामू टेकाम को 474575 वोट ही मिले और उनका वोट शेयर मात्र 35.40 फीसदी रहा।