सियासी मोर्चे पर भी सफल हुए सीएम मोहन
मुख्यमंत्री मोहन यादव न केवल सरकार चलाने में सफल साबित हुए, बल्कि राजनीतिक मोर्चे पर भी सफल रहे। 2024 के लोकसभा चुनाव में सभी 29 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल कर राजनीतिक पंडितों को हैरान कर दिया। कांग्रेस के देश में सबसे मजबूत गढ़ों में शामिल रही छिंदवाड़ा सीट पर भी 26 साल बाद जीत दर्ज की। इससे पहले अमरवाड़ा विधानसभा उपचुनाव में जीत से पार्टी में अपना कद बता चुके थे। जहां भाजपा के सभी बड़े नेता राम पर फोकस करते रहे, वहीं मोहन यादव ने कृष्ण भत और उज्जैन से खुद को जोड़कर अलग छवि बनाई। वे कृष्ण जन्मभूमि की बात करते रहे तो जन्माष्टमी का आयोजन सरकारी स्तर पर कर अपनी छवि को और बेहतर किया। भाजपा ने उत्तर प्रदेश और बिहार के चुनावों में भी उन्हें स्टार प्रचारक के रूप में काम लेकर उनका बढ़ता कद बता दिया था। हालांकि आखिरी दो उपचुनाव में से विजयपुर में मंत्री की हार हुई। इसमें स्थानीय कारण भी ज्यादा रहे। वहीं मोहन यादव ने जनता के बीच छवि भाई के रूप में गढ़ी। सभाओं में प्यारे भैया, मोहन भैया के बैनरपोस्टर इसकी गवाही देते रहे।
बूथ और शक्ति केंद्रों पर खरा उतरा संगठन
सत्ता और भाजपा संगठन के बीच बेहतर तालमेल देखा गया है। जमीनी स्तर पर सरकार की योजनाओं और छवि को बेहतर बनाने में संगठन के पदाधिकारी बूथ से लेकर शक्ति केंद्रों तक पहुंचे। लोगों तक पहुंचने के लिए बूथ भाजपा की सबसे छोटी इकाई है। यहां संगठनात्मक कामों ने सरकार के पहले वर्ष को नई ऊर्जा दी। हितग्राहियों को योजनाओं से जोडऩे और सरकार के विजन को बताने के लिए कार्यकर्ताओं को जि²मा सौंपा गया। उन्होंने सरकार की योजनाओं को घर-घर पहुंचाया। चुनौती आई तो संगठन ने की कसावट: कुछ विधायकों ने कानून-व्यवस्था से लेकर य़ूरोक्रेसी पर अनेदखी के आरोप लगाए। इस दौरान संगठन ने ऐसे नेताओं को संत चेतावनी देते हुए अनुशासन का पाठ पढ़ाया।
1. पुनर्गठन आयोग सरकारें जिले बनाती गईं। इससे विसंगतियां भी हुईं। जैसे मंडीदीप भोपाल से नजदीक है, लेकिन जिला मुलयालय रायसेन है। अब प्रशासनिक इकाई पुनर्गठन आयोग नए सिरे से सीमाओं का निर्धारण कर रहा है।
2. सुशासन में ये साइबर तहसील के तहत नामांतरण, बंटवारा के प्रकरण ऑनलाइन हल कर रहे। सरकार ई-रजिस्ट्री लाई। 22 हजार थानों की सीमा का नए सिरे से निर्धारण। भोपाल के बाद इंदौर में भी बीआरटीएस कॉरिडोर हटवाने के निर्देश।
3. औद्योगिक निवेश राज्य में और बाहर इंडस्ट्री कॉन्क्लेव शुरू कराए। 3.92 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव मिल चुके हैं। फरवरी में ग्लोबल इन्वेस्टर समिट में दुनियाभर के निवेशक आएंगे। हजारों करोड़ के निवेश प्रस्ताव मिलने की उम्मीद है।
4. नदी जोड़ो परियोजना केन-बेतवा और पार्वती- कालीसिंध-चंबल नदी जोड़ो परियोजनाएं विवादों के कारण वर्षों से लंबित थीं। केनबेतवा में एमपी-यूपी के बीच तो दूसरी परियोजना में मध्यप्रदेश और राजस्थान के बीच कई जल संरचनाएं बनेंगी।
5. मिल मजदूरों का हक इंदौर की हुकुमचंद मिल, ग्वालियर की जेसी मिल या उज्जैन की मिल, यहां काम करने वाले हजारों मजदूर वर्षों से न्याय के लिए लड़ रहे थे। उन्हें वाजिब हक दिलाने के रास्ते खोले। कुछ को तो उनका लाभ भी मिल चुका है।
6. टाइगर रिजर्व का दर्जा भोपाल, सीहोर और रायसेन के वन मंडलों से मिलकर बने रातापानी वन्यजीव अभयारण्य की सभी अड़चनें दूर कर इसे टाइगर रिजर्व घोषित कर दिया। इसी तरह माधव राष्ट्रीय उद्यान को भी रिजर्व बनाने की प्रक्रिया शुरू कराई।
7. सोयाबीन खरीदी मध्य प्रदेश सर्वाधिक सोयाबीन पैदा करे वाला राज्य रहा है। तब भी समर्थन मूल्य पर खरीदी नहीं होती थी। राज्य ने केंद्र से संवाद कर एमएसपी पर खरीदी का आग्रह किया। केंद्र ने सहमति दी। इसी खरीफ सीजन से खरीदी शुरू हो गई।
8. अवैध खनन पर रोक धार्मिक, आर्थिक महउव की नर्मदा नदी खनन माफिया के लिए अड्डा बन गई थी। इन अवैध गतिविधियों पर सलती दिखाई। ड्रोन, सैटेलाइट इमेजनरी से नजर रखने के निर्देश दिए। अतिक्रमण चिह्नित करने की प्रक्रिया शुरू कराई।
9. श्रीराम वनगमन पथ मप्र में भगवान श्रीराम व श्रीकृष्ण से जुड़े तीर्थ स्थलों के विकास और इन्हें आपस में जोडऩे का निर्णय लेकर धार्मिक स्थलों का काम शुरू कराया। धार्मिक पर्यटन में यह मील का पत्थर साबित होगा। विश्व की पहली वैदिक घड़ी का शुभारंभ कराया। गीता भवन बना रहे।
10. एमपी का छठवां एयरपोर्ट रीवा में प्रदेश का छठवां एयरपोर्ट शुरू हो चुका है। यह विंध्य क्षेत्र का पहला एयरपोर्ट है। व्यापारी, युवा वर्ग काफी समय से इसकी मांग कर रहे थे। एयर कनेक्टविटी शुरू होने से विंध्य में देश-दुनिया के पर्यटकों को सुविधा देने के प्रयास ने कई संभावनाओं के नए द्वार खोले हैं।
जब मंत्री नाराज होकर पहुंचे दिल्ली
मंत्री नागर सिंह चौहान से जब वन विभाग की जि²मेदारी ले ली गई तो वे नाराज हो गए थे। दिल्ली तक दौड़ लगा दी थी। उनकी सांसद पत्नी अनीता की भी नाराजगी सामने आई थी। हालांकि संगठन की समझाइश के बाद मामला शांत हुआ।उद्योग
प्रदेश की पहली रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्ले उज्जैन में हुई। संभाग में 5 हजार करोड़ के निवेश प्रस्ताव मिले। विक्रम उद्योगपुरी में 150 नई इंडस्ट्रीज खुलीं, 40 इंडस्ट्रीज कतार में। उद्योग के आने की रतार को देख जमीन अधिग्रहण कर रहे हैं। यहां देश की पहली स्मार्ट इंडस्ट्रियल टाउनशिप है।मोहन सरकार की अब अगले चार साल पर नजर
कोई भी खेल जीतने के लिए एकाग्रता, तनाव मुफ्त होना बेहद जरूरी है। बिना किसी दबाव के लक्ष्य पर निशाना साधकर खेल जीता जा सकता है… जनता की सेवा के माध्यम राजनीति की पिच पर राजनेता में भी यह सब गुण होना जरूरी है… यदि कोई दबाव में आकर गलत निर्णय कर बैठा तो उस राजनेता सहित टीम के सामने चुनौती बढ़ना स्वाभाविक है। इसके उलट मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपना एक वर्ष का कार्यकाल लक्ष्य पर पैनी नजरें रख सधे कदमों से तय किया… कुछ लक्ष्य पूरे हुए-बहुत कुछ अभी बाकी हैं।सिक्सलेन और फोरलेन रोड
उज्जैन प्रदेश का एकमात्र शहर होगा, जिसके सभी पहुंच मार्ग फोरलेन होंगे। 1619 करोड़ से उज्जैन-इंदौर मार्ग को सिक्सलेन में तब्दील किया जा रहा है। 3500 करोड़ रुपए से पीथमपुर-उज्जैन, मसी-उज्जैन फोरलेन तो नागदा-जावरा ग्रीन फिल्ड हाइवे का निर्माण किया जा रहा है। शहर में 127 करोड़ से छह नई सड़कें बन रही हैं।मेडिसिटी
592 करोड़ से मेडिकल कॉलेज के रूप में प्रदेश की पहली मेडिसिटी बनेगी। पिछले महीने भूमिपूजन। 550 बेड का अस्पताल होगा और 150 सीट का मेडिकल कॉलेज।6 हजार करोड़ से ज्यादा के काम पहली बार
अमूमन उज्जैन में बड़े विकास कार्य सिंहस्थ के दौरान होते थे, लेकिन पहली बार सिंहस्थ से पहले ही छह हजार करोड़ के विकास कार्य हो रहे हैं। यह संभव हुआ डॉ. मोहन यादव के सीएम बनने से। एक साल में उज्जैन ने विकास के नए आयाम गढ़े। शिप्रा को प्रदूषण से मुक्ति व सिंहस्थ क्षेत्र में स्थायी निर्माण कर स्प्रिच्युल सिटी के रूप में विकसित करने का निर्णय धार्मिक नगरी को नए आयाम दे रही है।योजनाएं-विकास की कीमत बढ़ता कर्ज, आर्थिक सेहत सुधारने के प्रयास नाकाफी
डॉ. मोहन यादव ने जब सत्ता संभाली थी, तब बजट से ज्यादा कर्ज का बोझ था। एक साल में सरकार ने खजाने की स्थिति में सुधार के प्रयास किए। स्थिति सुधरी भी, लेकिन कर्ज का बोझ बढ़ा है। यह 3.77 लाख करोड़ तक जा पहुंचा है। सह्रश्वलीमेंट्री बजट तक के हालात हो गए हैं। ज्ञात रहे कि 2024-25 के लिए करीब 5.65 लाख करोड़ का बजट पेश किया गया था। यह बीते वर्षों की तुलना में करीब 16% ज्यादा था।चालू वित्तीय वर्ष में कब-कब लिया कर्ज
27 नवंबर 2500 करोड़ का कर्ज 20 साल के लिए 2055 करोड़ का कर्ज 14 साल के लिए 9 अक्टूबर 2500 करोड़ का कर्ज 11 साल के लिए 2500 करोड़ का कर्ज 19 साल के लिए 25 सितंबर 2500 करोड़ का कर्ज 12 साल के लिए 2500 करोड़ का कर्ज 19 साल के लिए 28 अगस्त 2500 करोड़ का कर्ज 14 साल के लिए
2500 करोड़ का कर्ज 21 साल के लिए और 28 अगस्त को ही 2500 करोड़ का कर्ज 11 साल के लिए 2500 करोड़ का कर्ज 21 साल के लिए
फिलहाल ये है खजाने की स्थिति
-बाजार से कर्ज 234812.63 करोड़ -अन्य बॉण्ड 5888.44 करोड़ -19195.00 की अन्य देनदारी -15246.01 करोड़ रुपए वित्तीय संस्थाओं से कर्ज -38421.73 करोड़ रुपए राष्ट्रीय बचत फंड -62012.72 करोड़ का कर्ज तथा केंद्र सरकार से ली गई एडवांस राशि
अफसरशाही के चेहरे बदले
एक वर्ष के कार्यकाल में दो बड़े प्रशासनिक बदलाव हुए। एक अटूबर को मुंय सचिव बदले गए। केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर सेवाएं दे रहे वरिष्ठ आइएएस अनुराग जैन को सीएस की जिम्मेदारी दी गई तो एक दिसंबर से पुलिस को नए मुखिया के रूप में कैलाश मकवाना मिले। सीएम अफसरशाही को लेकर भी संत दिखे। उन्होंने कई बड़े फैसले लिए। संदेश देने की कोशिश की, सरकार के लिए जनता ही सबसे ऊपर है। शपथ लेते ही गुना में बड़ा बस हादसा हुआ था, जिसके बाद सीएम ने गुना के कलेटर तरुण राठी, एसपी विजय खत्री को हटाया। परिवहन आयुक्त संजय झा भी जिम्मेदारी से हटा दिया।
इसी तरह तीन जनवरी को शाजापुर में भी तत्कालीन कलेटर किशोर कन्याल का ‘औकात’ वाला वीडियो वायरल हुआ तो कलेटर को हटा दिया। इसी तरह सिंगरौली के चितरंगी में महिला से जूते के फीते बंधवाने वाले एसडीएम को भी हटाया गया था, जबकि सागर के शाहगढ़ में हुए दीवार हादसे के बाद यहां के कलेटर और एसपी पर भी गाज गिरी थी।
मोहन सरकार की बड़ी चुनौतियां
1. नर्सिंग घोटाला नर्सिंग घोटाले के बाद नर्सिंग शिक्षा पर लगा कलंक मिटाना। कॉलेज कम हुए। परीक्षाएं समय पर नहीं हो सकीं। हालांकि अब परीक्षाएं शुरू हुई हैं। परीक्षाएं न होने से नर्सिंग स्टाफ कम हुआ है। कोर्ट की निगरानी में जांच जारी है। कई कॉलेजों की मान्यता समाप्त हो चुकी है। घोटाले को लेकर छात्र संगठन भी मुखर हैं। 2. नहीं निकला रास्ता वर्ष 2016 से राज्य के अधिकारी और कर्मचारियों का प्रमोशन नहीं हो रहा। हाईकोर्ट ने पदोन्नति नियम निरस्त कर दिए हैं। सरकार के इस दिशा में प्रयास नाकाफी रहे। प्रमोशन का इंतजार करते-करते एक लाख से ज्यादा कर्मचारी रिटायर हो गए, लेकिन प्रमोशन का रास्ता नहीं निकला। इससे कर्मी नाराज हैं।
3. नियुक्ति के द्वार कब? मोहन सरकार ने एक लाख पदों पर नियुक्तियों का वादा किया है, प्रक्रिया दिसंबर तक शुरू होनी थी, लेकिन ज्यादातर विभागों में कागजी घोड़े ही दौड़ रहे हैं। खाली पदों की जानकारी भी नहीं भेज पाए हैं। विभागों में नियुक्तियां न होने से होने युवा ओवरएज हो रहे हैं। युवा आंदोलनरत भी हैं।
4. बजट से ज्यादा कर्ज आय से ज्यादा राज्य में खर्च है। कर्ज का बोझ बढ़ा है। लगातार कर्ज लेने का नतीजा यह है कि बजट से ज्यादा कर्ज हो गया है। कर्ज का बोझ कम करने के उपाय खोजे जा रहे हैं। सरकार में फिजूलखर्ची पर रोक लगाई गई है, लेकिन सकारात्मक परिणाम नहीं दिख रहे।
5. अपराध ने बढ़ाई चिंता राज्य में बढ़ते अपराध बड़ी चुनौती हैं। अपराधों के नए तरीके आने से लोग चिंतित हैं। साइबर क्राइम भी चुनौती है। इससे निपटने के लिए सरकार प्रयास कर रही है, लेकिन पुलता इंतजाम नहीं हो पाए हैं। लोगों को जागरूक किया जा रहा है। विपक्षी दल कांग्रेस इसको लेकर सरकार की लगातार घेराबंदी कर रही है।
6. बढ़ता प्रदूषण शहरों में बढ़ता प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए खतरे की घंटी है। चिंता यह है कि यदि प्रदूषण इसी तरह बढ़ता रहा तो कहीं दिल्ली जैसी हालत न बन जाएं, उसे रोकना किसी चुनौती से कम नहीं। प्रदूषण रोकने के लिए बजट में लगातार प्रावधान किया जा रह है, लेकिन धरातल पर यह नजर नहीं आता।
अपने वादे पूरे नहीं कर रही सरकार
4000 वकीलों के सामने मुलयमंत्री ने वकीलों के हित के लिए घोषणा की थी। यह सरकार महज घोषणा करना जानती है, वादा पूरा नहीं करती। इसलिए सरकार के कामकाज से संतुष्ट नहीं हैं। एडवोकेट प्रोटेशन एट भी लागू नहीं किया है। -पवन पाठक, अध्यक्ष, हाईकोर्ट बार एसो. ग्वालियर
निवेश प्रस्तावों के दिखेंगे बेहतर परिणाम
नया चेहरा होने के बावजूद सीएम डॉ. मोहन यादव ने शासन-प्रशासन पर मजबूत पकड़ बनाई है। औद्योगिक निवेशक लाने के लिए देश-विदेश में दौरों के भविष्य में अच्छे परिणाम दिखेंगे। शहरों में सड़क कनेक्टिविटी के लिए काम हो रहा है। -संजय गोरानी, सचिव यशवंत क्लब इंदौर