अगर आंकड़ों की बात करें तो महज एक साल में ही मध्यप्रदेश में रकबा 9 लाख से बढ़कर 12 लाख हेक्टेयर हो गया। जैविक खेती में मध्यप्रदेश देश में नंबर एक पर आ गया। सवा चार लाख हेक्टेयर रकवे में जैविक खेती कर राजस्थान दूसरे पायदान पर है। दोनों ही राज्यों में पिछले 3-4 वर्ष में जैविक खेती का रकबा लगभग दोगुना हुआ है। वहीं देश में जहां 2017-18 में 20.34 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में जैविक खेती होती थी। 2020-21 में यह आंकड़ा 38.20 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया।
जैविक उत्पाद निर्यात में 40 फीसदी बढ़ोतरी
देश से निर्यात होने वाले जैविक उत्पादों की मात्रा और मूल्य दोनों में वृद्धि हुई है। एनपीओपी के तहत वर्ष 2019-20 में 638 लाख टन के मुकाबले 2020-21 में 8.88 लाख टन भारतीय जैविक उत्पाद निर्यात किए गए। निर्यात मूल्य 689.10 से बढ़कर 1040.95 मिलियन अमरीकी डॉलर हो गया।
पिछले 15-20 सालों से गेहूं, चावल और गन्ने सहित अन्य फसलों की जैविक खेती करने वाले किसान मनु नरला ने बताया कि पैदावार भले कम हो, लेकिन जैविक खेती की गुणवत्ता एकदम खरी होती है। बाजार में फसलों की अच्छी कीमत मिलती है। खास यह भी है कि इस तरह की खेती से मुझे सुकून मिलता है।
अभी लक्ष्य दूर…
जैविक किसानों के मामले में हम पांचवें पायदान पर है। जैविक खेती का रकबा बढ़ने के साथ जैविक किसानों की संख्या भी बढ़ी है, लेकिन अभी हम इसमें लक्ष्य से थोड़े दूर हैं। मध्यप्रदेश में 626358,आंध्रप्रदेश 547338, लक्षद्वीप 489833, उत्तराखंड 454509 और राजस्थान में 446905 जैविक किसान हैं।