भोपाल. भारतीय मूल के राजेश अग्रवाल लंदन में बतौर डिप्टी मेयर सेवा दे रहे हैं। वे मूलत: इंदौर के निवासी हैं और लगातार दूसरी बार लंदन में डिप्टी मेयर फॉर बिजनेस बने हैं। कोविड, व्यापार, रोजगार और शहरीकरण को लेकर उन्होंने ‘पत्रिका’ से खास बातचीत की।
उन्होंने कहा कि वर्क फ्राम होम तो दुनिया में आना ही था, मगर कोविड के कारण यह थोड़ा जल्दी आ गया। कोविड खत्म होने के बाद भी यह जारी रहेगा। उन्होंने सुझाव दिया है कि भारत को छोटे शहरों और गांवों तक में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना चाहिए। आर्थिक मोर्चे की चुनौतियों से निपटने के लिए आर्थिक विकास और स्कील डवलपमेंट कौशल विकास पर ध्यान देने की जरूरत है।
राजेश अग्रवाल: लंदन में तीसरी लहर चल रही है और यह कठिन समय है। राहत की बात यह है कि यह लहर पहले से कम खतरनाक है। यहां की 90 फीसदी आबादी को पहला और करीब 67 फीसदी आबादी को टीके को दूसरा डोज भी लग चुका है। टीके से स्थिति नियंत्रण में है, फिर भी सावधानी जरूरी है क्योंकि यह वायरस रूप बदलता है और हो सकता है कि टीका काम न कर पाए। इसमें ढिलाई नहीं बरती जा सकती।
राजेश अग्रवाल : लंदन का हेल्थ केयर सिस्टम नेशनल हेल्थ सर्विस कहलाता है और यह पूरी तरह सरकार ही संचालित करती हैै। हमारी सेवाएं बेहद सक्षम हैं फिर भी कोविड काल में इसकी कुछ खामियां सामने आई हैं। इसी कारण अब हम इसमें निवेश बढ़ाने की बात कर रहे हैं। लोगों को मुफ्त और बेहतर इलाज मिले, इसी पर हम लगातार काम कर रहे हैं।
राजेश अग्रवाल: कोविड को हम आर्थिक व सामाजिक आपदा भी मान रहे हैं। को विड काल में आर्थिक असमानता बढ़ी है यानी गरीब और अधिक गरीब हुआ है। मुकाबला करने के लिए यहां फरलो स्कीम लागू की गई। इसमें सर्विस सेक्टर के करदाताओं को सतत वेतन दिया गया, कारोबारियों को आर्थिक मदद दी गई। इससे लोग बेरोजगार नहीं हुए और उनके पास बहुत सारी बचत मौजूद रही। अब जब बाजार खुल रहे हैं, लोग बचत को खर्च कर रहे हैं और इससे हमारी अर्थ व्यवस्था मजबूत हो रही है।
यह भी कहाराजेश अग्रवाल : देखिए, शिक्षा के लिए लंदन के दरवाजे खुले हैं और हमने पोस्ट स्टडी वर्क वीजा लागू किया है। यह दो वर्ष का है। इससे भारतीय बच्चों के लिए नए अवसर पैदा हुए हैं और यहां उनकी संख्या में अच्छी खासी बढ़ोत्तरी भी हुई है। पर्यटन के लिए ब्रिटेन का अभी खुलना मुश्किल लगता है। इस वर्ष के अंत तक संभावना है।
राजेश अग्रवाल : मुझे इन राज्यों की नीतियों के बारे में अधिक जानकारी नहीं है मगर हां यह जरूर है कि आर्थिक विकास और रोजगार पर ध्यान देना चाहिए। मेरा मानना है कि कोई व्यक्ति एक बार रोजगार से बाहर हो गया तो उसे दोबारा रोजगार से जोड़ना बेहद मुश्किल कार्य है। इसी कारण लंदन में हमारी लगातार कोशिश रही कि किसी की भी नौकरी न जाए। यही आगे चलकर हमारी ताकत भी बना।
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