लोकसभा चुनाव के पहले चरण की ठंडी शुरुआत ने राजनीतिक दलों को चौकन्ना कर दिया है। माहौल नहीं बनने से महाकोशल की चार और विंध्य की दो सीटों पर 2019 की तुलना में 9 लाख कम वोट पड़े हैं। यह हार-जीत में बड़ा अंतर पैदा कर सकते हैं। मतदाताओं का मूड भांप पाने में नाकाम रही भाजपा-कांग्रेस को रणनीति बदलने पर मजबूर होना पड़ा है। दोनों पार्टियों ने अब बाकी 23 सीटों पर और जोर लगाने की तैयारी की है। नारे से लेकर एजेंडा तक में बदलाव किया जा रहा है। सबसे ज्यादा चिंता भाजपा खेमे में है, जिसकी वजह भी बड़ी है।
दरअसल जिस दिन महाकोशल की जबलपुर, मंडला, छिंदवाड़ा व बालाघाट के साथ ही विंध्य की दो लोकसभा सीटों शहडोल और सीधी में मतदान चल रहा था, उसी समय उसके स्टार प्रचारक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दमोह में चुनावी सभा को स्बोधित कर रहे थे। उनकी ट्रांजिट विजिट भी जबलपुर में हुई थी। दमोह में तो दूसरे चरण में 26 अपे्रल को मतदान होना है। लेकिन साधने की कोशिश पहले चरण की ही थी। इसके बावजूद इन छह सीटों में आठ फीसदी कम मतदान हुआ। दमोह से लगी जबलपुर सीट में भी यह अंतर आठ फीसदी का था। जो वोटों की संख्या के लिहाज से करीब डेढ़ लाख का है।
MP Loksabha 2024 News: मध्यप्रदेश में क्यों गिरा वोट प्रतिशत, मुख्यमंत्री ने बताई यह वजह मोदी का 5वां दौरा: तीन सीटों पर सभा रोड शो
पहले चरण की कमी की भरपाई करने के लिए भाजपा जमीनी प्रचार अभियान का ह्रश्वलान बनाया है। इसके तहत सोशल व वोटर कनेक्ट पर ज्यादा जोर है। प्रधानमंत्री मोदी चुनाव प्रचार अभियान को धार देने के लिए बुधवार को राज्य के पांचवें दौरे पर राज्य की राजधानी सहित तीन सीटों सागर और होशंगाबाद के हरदा में हुंकार भरेंगे। इससे पहले मोदी जबलपुर में रोड शो, बालाघाट, पिपरिया (होशंगाबाद) और दमोह में सभा को संबोधित कर चुके हैं। यह पहला मौका है जब एक दिन में पीएम के दौरे तीन सीटों पर हो रहे हैं। उधर, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी मंगलवार को तीन सीटों पर पहुंचे
हर सीट पर फोकस, नेताओं को क्षेत्र बांटे
चुनावी माहौल को गर्म करने और कार्यकर्ताओं, मतदाताओं में उत्साह भरने भाजपा-कांग्रेस ने हर सीट पर फोकस की रणनीति बनाई है। सीएम डॉ. मोहन यादव के दौरे बढ़े हैं। पूर्व सीएम शिवराज सिंह भी मोर्चे पर डटे हैं। स्टार प्रचारकों के इतर भी पहले चरण की सीटों से खाली हुए नेताओं को बाकी जगहों पर भेजा जा रहा है। ह्रश्वलान ऐसा है कि दिनभर कोई न कोई नेता किसी न किसी सीट पर प्रचार में हिस्सा लेगा। इसमें महापौर से लेकर दूसरे नेता शामल हैं। कांग्रेस की ओर से कमलनाथ, प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी, अरुण यादव, विवेक तन्खा, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह सहित अन्य नेता मोर्चा संभाल रहे हैं।
वोट की चोट के अपने-अपने तर्क
पहले चरण में गिरे मतदान को लेकर खलबली सभी दलों में है। यह अलग बात है कि भाजपा मनोवैज्ञानिक बढ़त के लिए उसके समर्थक वोटरों के निकलने और कांग्रेस कम मतदान को अपनी जीत बता रही है, लेकिन कोई खास संदेश निकला नहीं है। दोनों ही दलों की ओर से समीक्षा की जा रही है। भाजपा ने हर बूथ पर 370 अतिरिक्त वोट का दावा किया था, जो धरा रहा गया, इसलिए अब विधायकों से लेकर जिलाध्यक्षों से जानकारी ली जा रही है। जिन्होंने गर्मी और शादी सीजन से लेकर खेती किसानी के सामान्य तर्क ही कम वोटिंग को लेकर दिए जा रहे हैं। जो गले नहीं उतर रहे हैं। इसलिए पार्टी ने नारा और एजेंडे में बदलाव का तरीका अपनाया है।
राहुल-प्रियंका दूसरे फेज के प्रचार से दूर, खरगे ने की एक सभा
दूसरे फेज की छह सीटों का चुनावी शोरगुल बुधवार शाम 6 बजे थम जाएगा। कांग्रेस में बाहर के स्टार कैपेंनर दूसरे फेज में खास नजर नहीं आए। महज सतना में खरगे ने एक सभा को संबोधित किया। राहुल और प्रियंका गांधी ने दूरी बनाकर रखी। सतना में पहले राहुल गांधी को ही आना था, लेकिन सेहत खराब होने के कारण खरगे को भेजा गया। राहुल का प्रदेश में पहले फेज में सिर्फ एक बार दौरा हुआ है। शहडोल, मंडला में सभा की थी।
लोकल नेताओं के भरोसे प्रत्याशी
कांग्रेस प्रत्याशियों के प्रचार का दारोमदार लोकल नेताओं के कंधों पर है। कमलनाथ दूसरे चरण में प्रचार करने के लिए निकले हैं। जीतू पटवारी सहित कांग्रेस के अन्य नेता मंगलवार को रायसेन, नरसिंहपुर और सोमवार को खरगोन और नर्मदापुरम दौरे पर रहे।
मोहन यादव ने बताया वोट प्रतिशत गिरने का कारण
मंगलवार को प्रेस कांफ्रेंस में डा. मोहन यादव (mp cm dr mohan yadav) ने मध्यप्रदेश में वोट प्रतिशत गिरने का कारण बताया था। यादव ने कहा था कि शादी ब्याह बहुत ज्यादा थे। फसल कटाई का समय भी है। इस कारण वोट प्रतिशत घट गया। (दूसरे फेजः टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद संसदीय क्षेत्र में 26 अप्रेल को मतदान होगा।)