क्या है NPR
एनपीआर देश के सभी नागरिकों का ब्यौरा है।
देश के हर नागरिक को एनपीआर में रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है।
NPR के माध्यम से सरकारी योजनाओं का लाभ देश के नागरिकों को मिलता है।
तत्तकालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एनपीआर की शुरुआत की थी।
मोदी सरकार में इसे केवल अपडेट किया जा रहा है।
एनपीआर देश के सभी नागरिकों का ब्यौरा है।
देश के हर नागरिक को एनपीआर में रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है।
NPR के माध्यम से सरकारी योजनाओं का लाभ देश के नागरिकों को मिलता है।
तत्तकालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एनपीआर की शुरुआत की थी।
मोदी सरकार में इसे केवल अपडेट किया जा रहा है।
एनपीआर, एनआरसी और सीएए में क्या फर्क है? NPR
NPR का प्रयोग केन्द्र सरकार, सरकारी योजनाओं को लागू करने में करती है।
बायोमेट्रिक डाटा के जरिए योजनाओं के लाभार्थियों की पहचान होती है।
एनपीआर में उसी सूचना को सही माना जाता है जो लोग देते हैं।
यह भारत की नागरिकता का प्रमाण पत्र नहीं होता है।
NPR का प्रयोग केन्द्र सरकार, सरकारी योजनाओं को लागू करने में करती है।
बायोमेट्रिक डाटा के जरिए योजनाओं के लाभार्थियों की पहचान होती है।
एनपीआर में उसी सूचना को सही माना जाता है जो लोग देते हैं।
यह भारत की नागरिकता का प्रमाण पत्र नहीं होता है।
NRC
देश में अवैध रूप से रह रहे लोगों की पहचान की जाती है।
कौन देश का नागरिक है और कौन नहीं इसके लिए सरकार नागरिकों से वैध पहचान पत्र मांगती है।
नागरिकों द्वारा दिए गए दस्तावेजों का परीक्षण सरकार द्वारा कराया जाता है।
इसके बाद वैध नागरिकों की सूची प्रकाशित की जाती है।
इस सूची में शामिल लोगों को ही देश का नागरिक माना जाता है।
देश में अभी केवल असम में एनआरसी लागू है।
देश में अवैध रूप से रह रहे लोगों की पहचान की जाती है।
कौन देश का नागरिक है और कौन नहीं इसके लिए सरकार नागरिकों से वैध पहचान पत्र मांगती है।
नागरिकों द्वारा दिए गए दस्तावेजों का परीक्षण सरकार द्वारा कराया जाता है।
इसके बाद वैध नागरिकों की सूची प्रकाशित की जाती है।
इस सूची में शामिल लोगों को ही देश का नागरिक माना जाता है।
देश में अभी केवल असम में एनआरसी लागू है।
CAA
नागरिकता कानून 1955 के तहत 2019 में सरकार संशोधन कानून लेकर आई है।
संशोधित कानून के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के शिकार हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म के लोगों को नागरिकता दी जाएगी।
नए कानून के अनुसार नागरिकता उन्हें ही मिलेगी जो 31 दिसंबर 2014 तक भारत आ गए हैं।
इस कानून से देश के मुसलमानों की नागरिकता को कोई खतरा नहीं है।
किसी भी देश या धर्म का नागरिक को भारत की नागरिकता लेने के लिए नागरिकता कानून 1955 की धारा 6 आज भी लागू है।
धारा 6 के साथ मोदी सरकार ने कोई भी छेड़छाड़ नहीं की है।