ग्वालियर के स्पर्श गुप्ता की 33वीं रैंक
ग्वालियर के स्पर्श गुप्ता ने 360 में से 318 अंक प्राप्त कर देश में 33वीं रैंक हासिल की। वे मध्यप्रदेश में रहकर परीक्षा देने वाले टॉपर हैं। जेईई-मेन में उन्हें 293वीं रैंक मिली थी। वे आइआइटी मुंबई से कम्प्यूटर साइंस करना चाहते हैं। स्पर्श ने कहा, 11वीं के साथ ही चेप्टर वाइज पढ़ाई की। कोचिंग से सभी असाइनमेंट रोज पूरे किए। दो साल सोशल मीडिया और मोबाइल से दूर रहा। बहन बीटेक कर रही हैं। पिता निरंजन गुप्ता कॉलेज में मैथ्स टीचर और माता कीर्ति भी टीचर हैं।पापा ने दिया फोन, 2 साल हाथ नहीं लगाया
इंदौर के मान्य जैन ने 306 अंक के साथ 75वीं रैंक पाई। वे आइआइटी कानपुर जोन के टॉपर हैं। 10वीं में पापा ने फोन दिलाया। माइंड डिस्ट्रेक हो रहा था, इसलिए दो साल तक इसे हाथ नहीं लगाया। रोबोटिक्स इंजीनियर बनना है।आइआइटी, रुड़की से पढ़ाई करना चाहता हूं
भोपाल सेंटर से परीक्षा देने वाले आदित्यराज कौशल को 412वीं रैंक मिली है। वे भोपाल के टॉपर हैं। फर्स्ट अटेम्प्ट में वे सफल हुए। आइआइटी, रुड़की से कम्प्यूटर साइंस की पढ़ाई करना चाहते हैंमुझे टीचर्स से पूरे समय सही गाइडेंस मिला
मैंने ओरस एकेडमी से तैयारी की हैं। यहां मैंने पढ़ाई को एंजॉय किया। मैंने रैंक का कभी नहीं सोचा बस मुझे बेस्ट परफॉर्म करना था। मैंने 11वीं से तैयारी शुरू कर दी थी। साथ ही मुझे कोचिंग से बहुत मदद मिली। मेरी ऑल इंडिया रैंक 1043 है। मैं करीब 13 से 14 घंटे पढ़ाई को देता था। मैं कंप्यूटर साइंस और इलेक्ट्रिकल इंजीनियर में एडमिशन लेना चाहता हूं। – दर्शित सिंह
कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई करना चाहता हूं
मेरी ऑल इंडिया रैंक 412 हैं और मुझे 264 अंक मिले हैं। यह मेरा फर्स्ट अटेप्ट था। मैं आइआइटी, रुड़की से कंप्यूटर साइंस करना चाहता हूं। फ्री टाइम में आराम करना पसंद करता हूं और फिट रहने के लिए मुझे फुटबॉल खेलना बहुत पसंद है। मेरा मानना है कि तनाव से मुक्ति और लक्ष्य प्रति एकाग्रता बढ़ाने के लिए माता-पिता और शिक्षकों से बातचीत करते रहना चाहिए। – आदित्यराज कौशल
एआई और एमएल जैसे क्षेत्र में रुचि रखता हूं
जेईई एडवांस में मैंने 243 अंक प्राप्त किए हैँ। मेरी ऑल इंडिया रैंक 766 है। दरअसल मेरी 6 क्लास से कोडिंग में रुचि है। मैं अब कंप्यूटर साइंस कोर्स में एडमिशन लूंगा। मैं एक सॉटवेयर इंजीनियर बनाना चाहता हूं और एआइ और एमएल जैसे क्षेत्र में रुचि रखता हूं। मुझे टाइम मैनेजमेंट में दिक्कत आई। ऐसे में मैंने खुद की स्ट्रेंथ और वीकनेस को पहचानकर कोशिश की। – शिवेन बाजपेयी
ज्यादा से ज्यादा मॉक पेपर देकर प्रैक्टिस की
मेरी रैंक मैंने दो साल ओरस एकेडमी में पढ़ाई की। यहां ज्यादा से ज्यादा मॉक पेपर दिए, जिसका मुझे सबसे ज्यादा फायदा हुआ। मैंने हर एक छोटी से छोटी डाउट को टीचर से क्लियर किया। रिलेक्स महसूस करने के लिए परिवार के साथ समय बीताता। मैं आगे कंप्यूटर साइंस में पढ़ाई करना चाहूंगा। -अभिनव बड़ेगांवकर
-केशव गर्ग
सबसे बड़ी कामयाबी मेरा सेल्फ मोटिवेशन
मेरी ऑल इंडिया रैंक 417 हैं। मैंने 264 अंक प्राप्त किए हैं। मेरी सबसे बड़ी कामयाबी सेल्फ मोटिवेशन रहा। मैंने कॉपीटीशन को पॉजिटिव रूप में लिया। मैंने जेईई की तैयारी 9वीं क्लास से शुरू कर दी थी। मैं अब आइआइटी, रुड़की में एडमिशन लेना चाहता हूं। इसके बाद मैं खुद का एक स्टार्टअप शुरू करूंगा।-केशव गर्ग
इनका कहना है
जेईई एडवांस के बाद अब स्टूडेंट्स देश की टॉप इंस्टीट्यूशन में एडमिशन लेंगे। वहीं कॅरियर ऑप्शन की बात करें तो स्टूडेंट्स में कंप्यूटर साइंस और इलेक्ट्रिकल इंजीनियर को लेकर रुझान देखने को मिल रहा है। वे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, कोडिंग और डाटा साइंस जैसे फील्ड में अपना भविष्य बनाना चाहते हैं।-नीलेश चौधरी, डायरेक्टर, ओरस एकेडमी, भोपाल