मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने ट्विटर (एक्स) पर पोस्ट करते हुए ऐलान किया था कि अपराध पर नकेल कसने के लिए लगातार बड़े कदम उठा रहे हैं। सीएम ने इसे सुशासन और सुदृढ़ कानून व्यवस्था का संकल्प बताया। उन्होंने पोस्ट में लिखा था कि ‘मोदी जी की गारंटी यानी गारंटी पूरी होने की गारंटी’ सुशासन एवं सुदृढ़ कानून व्यवस्था का है संकल्प भोपाल एवं इंदौर के बाद अब जबलपुर और ग्वालियर में लागू होगी कमिश्रर प्रणाली।’
इंदौर-भोपाल में 21 नवंबर 2021 को लागू हुई प्रणाली
मध्यप्रदेश में इंदौर और भोपाल में 21 नवंबर 2021 को पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू किया गया था। पुलिस आयुक्त प्रणाली में इंदौर नगरीय पुलिस जिले में 36 थानों और भोपाल नगरीय पुलिस जिले में 37 थानों की सीमाओं को शामिल किया गया था। दोनों शहरों में पुलिस महानिरीक्षक स्तर के अधिकारी पुलिस कमिश्नर हैं। दोनों महानगरों में पुलिस कमिश्नर सिस्टम के लिए अधिकारियों के पद और जोन का भी निर्दरण किया है।
आजादी से पहले भारत में अंग्रेजों ने बॉम्बे, कलकत्ता और मद्रास में पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू किया हुआ था। उस वक्त सारी न्यायिक शक्तियां पुलिस कमिश्नर के पास होती थीं। पुलिस कमिश्नरी सिस्टम पुलिस प्रणाली अधिनियम, 1861 पर आधारित है। देश आजाद होने के बाद यह प्रणाली समय के साथ-साथ दूसरे महानगरों में भी लागू की गई। यही वजह है कि अब भारत के कई महानगरों में यह प्रणाली लागू है।
पुलिस कमिश्नर के पास होंगे ये अधिकार
पुलिस कमिश्नरेट में पुलिस कमिश्नर के पास पुलिसकर्मियों के तबादले, लाठी चार्ज या फायरिंग के आदेश जारी करने के अधिकार होते हैं। सामान्य पुलिस व्यवस्था में डीएम को सीआरपीसी कानून-व्यवस्था संबंधी कई अधिकार दिए गए हैं, लेकिन पुलिस कमिश्नरी सिस्टम में ये सारे अधिकार डीएम की बजाय स्वत: ही पुलिस कमिश्नर के पास आ जाते हैं।