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Heart Surgery: हार्ट मरीजों के लिए राहत भरी खबर, सर्जरी की जरूरत नहीं, बिना चीरा लगे बदलेगा वॉल्व

Heart Surgery: कैथेटर से वॉल्व इम्प्लांटेशन से बच सकेगी हाई रिस्क वाले मरीजों की जान

भोपालMay 03, 2024 / 08:25 am

Astha Awasthi

Heart Surgery
Heart Surgery: हार्ट वॉल्व की समस्या से ग्रसित मरीजों की पांच से सात घंटे चलने वाली जटिल ओपन हार्ट सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ेगी। ए™स भोपाल में जल्द ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वॉल्व इ™ह्रश्वलांटेशन (टीएवीआई) की शुरूआत होने जा रही है। इसमें मरीज का हार्ट वॉल्व बिना चिरा लगाए ही बदला जाएगा। इसके लिए तीन मरीजों की कार्डियक सर्जरी विभाग में स्क्रीनिंग व अन्य जांच अंतिम चरणों में हैं।

वॉल्व खराब होने पर रुक जाता है रक्त संचार

कार्डियक सर्जरी विभाग के एचओडी डॉ. योगेश निवारिया ने बताया कि हार्ट में चार चैंबर होते हैं। सभी चैंबर में ब्लड स्लो होने पर वॉल्व खुलते हैं। जिससे यह सुनिश्चित होता कि खून सही दिशा में सही मात्रा में पहुंच रहा है या नहीं। वॉल्व खराब होने पर यह प्रक्रिया बाधित हो जाती है। कुछ बच्चों में यह स्थिति जन्मजात होती। वहीं इसकी अन्य वजह जेनेटिक, इन्फे—शन और ज्यादा उम्र भी हो सकती है।

क्यों जरूरी है टीएवीआई

हार्ट वॉल्व की समस्या से ग्रसित ऐसे मरीज जिनकी आयु ज्यादा है और अन्य बीमारियां है। पारंपरिक सर्जरी में बड़ा चीरा लगाने पर खून ज्यादा निकलता है। वहीं इम्यूनिटी कमजोर भी होती है। अन्य अंगों के खराब होने व इंफे—शन का खतरा पैदा होता है।

तीन मरीजों का हुआ चयन

डॉ. निवारिया ने बताया ऐसे में अब तक ओपन हार्ट सर्जरी करनी पड़ती थी। अब टीएवीआई में स्टंट की तरह ही कैथेटर के जरिए वॉल्व रिप्लेसमेंट होगा। इसके लिए जरूरी मशीनें आ गई हैं। तीन मरीजों का इसके लिए चयन भी किया गया है। यह तकनीक देश के गिने चुने अस्पतालों में ही मौजूद है।

खराब होने पर समस्याएं

वॉल्व खराब होने पर मरीज में कई समस्याएं देखने को मिलती हैं। यह स्थिति मुल्य रूप से बुजुर्गों में देखी जाती है। जिसके चलते उनके सीने में दर्द, बेहोशी व सांस लेने में समस्या जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं। समय पर सही इलाज ना मिलने पर हार्ट फेलियर के चलते मौत तक हो सकती है।
एम्स का कार्डियक सर्जरी विभाग लगातार प्रोग्रेस कर रहा है। प्रदेश के बाहर से लोग इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। तकनीक की मदद से प्रदेश के मरीजों को उनके राज्य में ही बेहतर इलाज की सुविधा मिलेगी। डॉ. अजय सिंह, कार्यपालक निदेशक, एम्स भोपाल

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