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भोपाल

फ्लाइट में आया अटैक तो यात्री की जान बचा लेगी ये मशीन

यूं तो हवाई यात्रा बेहद सुरक्षित रहती है पर इसमें कई दिक्कतें भी हैं। फ्लाइट में उड़ान के दौरान गंभीर रोगों से उपचार की समुचित व्यवस्था अभी तक नहीं बन सकी है। बीमार हवाई यात्रियों को अब अधिकतम मेडिकल सुविधाएं देने की कवायद की जा रही है।

भोपालFeb 02, 2024 / 02:52 pm

deepak deewan

मेडिकल सुविधाएं देने की कवायद

भोपाल. यूं तो हवाई यात्रा बेहद सुरक्षित रहती है पर इसमें कई दिक्कतें भी हैं। फ्लाइट में उड़ान के दौरान गंभीर रोगों से उपचार की समुचित व्यवस्था अभी तक नहीं बन सकी है। बीमार हवाई यात्रियों को अब अधिकतम मेडिकल सुविधाएं देने की कवायद की जा रही है।
इसके अंतर्गत भोपाल में भी नई पहल की गई है। भोपाल विमानतल यानि राजाभोज एयरपोर्ट पर एक मशीन लगाई गई है। किसी हवाई यात्री को अचानक हार्ट अटैक आता है तो इस मशीन से उसकी जान बचाई जा सकती है।
राजा भोज एयरपोर्ट पर उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला ने इस हार्ट अटैक मशीन का शुक्रवार को शुभारंभ किया। इसे AUTOMATED EXTERNAL DEFIBRILLATOR ऑटोमेटेड एक्सटर्नल डिफाइब्रिलेटर या एईडी मशीन कहते हैं। इसे शॉक मशीन भी कहा जाता है। भोपाल के राजा भोज एयरपोर्ट पर ऐसी चार मशीनें लगाई गईं हैं। मशीन के शुभारंभ मौके पर भोपाल एयरपोर्ट डायरेक्टर रामजी अवस्थी सहित समूचा एयरपोर्ट स्टाफ मौजूद था।
ऑटोमेटेड एक्सटर्नल डिफाइब्रिलेटर लगने से एयरपोर्ट पर ही मरीज को जरूरी कार्डियक फर्स्ट एड मिल सकेगी। एयरपोर्ट डायरेक्टर रामजी अवस्थी ने बताया कि हवाई यात्री को अचानक हार्ट अटैक आने की स्थिति में इस मशीन से उसकी जान बचाई जा सकती है। बाद में मरीज को अस्पताल भेजा जाएगा जहां पूर्ण उपचार किया जाएगा।
ऑटोमेटेड एक्सटर्नल डिफाइब्रिलेटर यानि एईडी मशीन या शॉक मशीन से पीड़ित को शॉक दिया जाता है। इससे मरीज का दिल सामान्य गति से कार्य करने लगता है तथा मरीज का पास के अस्पताल तक ले जाने का समय मिल जाता है।
मशीन द्वारा मरीज के हृदय के पास इलेक्ट्रिक शॉक से उसे प्राथमिक चिकित्सा प्राप्त हो जाती है। इस प्रकार यह मशीन हृदयाघात के समय दी जाने वाली सीपीआर से अधिक कारगर साबित होती है।
कितना खतरनाक है सडन कार्डिएक अरेस्ट
सडन कार्डियक अरेस्ट के केस तेजी से बढ़ रहे हैं। देश में हर साल कार्डियक अरेस्ट से करीब सात लाख मौते हो रहीं हैं। सडन कार्डियक अरेस्ट में दिल का धड़कना एकाएक बंद हो जाता है। ऐसे में तत्काल सहायता अनिवार्य है लेकिन ऐसा नहीं हो पाता। जब तक पीड़ित को चिकित्सीय सहायता मिलती है तब तक प्राय: देर हो जाती है। शुरुआती 5 मिनट में ही मदद के बिना मरीज की मौत हो जाती है।
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