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भोपाल

शरीर (हाथ-पैर) में कम्पन के लक्षण कारण और उपचार

इस रोग का प्रभाव धीरे-धीरे होता है…

भोपालSep 30, 2018 / 02:15 pm

दीपेश तिवारी

शरीर (हाथ-पैर) में कम्पन के लक्षण कारण और उपचार

भोपाल। उम्र से साथ शरीर में रोगों का आना आमतौर पर सामान्य माना जाता है। जिनके कई प्रकार से इलाज भी होते हैं। लेकिन कई रोग किसी भी उम्र में आ जाते हैं, लेकिन हमें कई बार इनका अहसास ही नहीं हो पाता। वहीं इनके लक्षणों की सप्ताहों व महीनों के बाद तीव्रता बढ़ती जाती है। तब कहीं जाकर ऐसे रोगों के बारे में पता चलता है।
डॉ. इंदु ग्रेवाल के अनुसार शरीर (हाथ-पैर) में कम्पन एक दिमाग का रोग है जो लम्बे समय दिमाग में पल रहा होता है। इस रोग का प्रभाव धीरे-धीरे होता है। पता भी नहीं पडता कि कब लक्षण शुरू हुए। अनेक सप्ताहों व महीनों के बाद जब लक्षणों की तीव्रता बढ जाती है तब अहसास होता है कि कुछ गडबड है।
जब यह रोग किसी व्यक्ति को हो जाता है तो रोगी व्यक्ति के हाथ तथा पैर कंपकंपाने लगते हैं। कभी-कभी इस रोग के लक्षण कम होकर खत्म हो जाते हैं। इस रोग से पीड़ित बहुत से रोगियों में हाथ तथा पैरों के कंप-कंपाने के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, लेकिन जब वह लिखने का कार्य करता है तब उसके हाथ लिखने का कार्य करने में असमर्थ हो जाते हैं।
ये हैं कारण…
इस बीमारी का कारण हर व्यक्ति में अलग होता है। दिमाग के कुछ हिस्सों में न्यूरोट्रांसमीटर केमिकल होते हैं। यह केमिकल पूरे शरीर या किसी विशेष हिस्से की मांसपेशियों को नियंत्रित करते हैं।
जब यह केमिकल लीक होने लगते हैं तो ट्रेमरनाम की समस्या सामने आती है। मांसपेशियों के असामान्य होने के कारण भी यह समस्या पैदा होती है। यह समस्या न्यूरोडीजेनरेटीव बीमारी के कारण भी होती है।
इस बीमारी में ब्रेनस्टेम पूरी तरह से नष्ट हो जाता है। इसके अलावा अन्य कारणों जैसे अधिक मात्रा में शराब पीना, लीवर का खराब हो जाना, पार्किंसन, थाइराइड , मेंटल डिसआर्डर, कैल्शियम, पोटाशियम की भी इस समस्या का कारण बन सकती है। कई बार यह समस्या वंशानुगत भी होती है।
शरीर (हाथ-पैर) में कम्पन (Parkinson’s disease)…
ऐसे में यदि रोगी व्यक्ति कुछ लिखने का कार्य करता भी है तो उसके द्वारा लिखे अक्षर टेढ़े-मेढ़े हो जाते हैं। रोगी व्यक्ति को हाथ से कोई पदार्थ पकड़ने तथा उठाने में दिक्कत महसूस होती है। इस रोग से पीड़ित रोगी के जबड़े, जीभ तथा आंखे कभी-कभी कंपकंपाने लगती है।
बहुत सारे मरीज़ों में ‍कम्पन पहले कम रहता है, जो कभी कभी या रुक रुक कर होता है। बाद में अधिक देर तक रहने लगता है व अन्य अंगों को भी प्रभावित करता है। प्रायः एक ही ओर (दायें या बायें) रहता है, परन्तु अनेक मरीज़ों में, बाद में दोनों ओर होने लगता है।
जब यह रोग धीरे-धीरे बढ़ता है तो रोगी की विभिन्न मांसपेशियों में कठोरता तथा कड़ापन आने लगता है। शरीर अकड़ जाता है, हाथ पैरों में जकडन होती है। मरीज़ को भारीपन का अहसास हो सकता है। परन्तु जकडन की पहचान चिकित्सक बेहतर कर पाते हैं जब से मरीज़ के हाथ पैरों को मोड कर व सीधा कर के देखते हैं बहुत प्रतिरोध मिलता है। मरीज़ जानबूझ कर नहीं कर रहा होता। जकडन वाला प्रतिरोध अपने आप बना रहता है।
शरीर (हाथ-पैर) में कम्पन (parkinson’s disease )के लक्षण कारण और उपचार…
इस संबंध में डॉ. राजकुमार बताते हैं कि शरीर (हाथ-पैर) में कम्पन एक दिमाग का रोग है, जो लम्बे समय दिमाग में पल रहा होता है। इस रोग का प्रभाव धीरे-धीरे होता है। पता भी नहीं पडता कि कब लक्षण शुरू हुए। अनेक सप्ताहों व महीनों के बाद जब लक्षणों की तीव्रता बढ जाती है तब अहसास होता है कि कुछ गडबड है।
जब यह रोग किसी व्यक्ति को हो जाता है तो रोगी व्यक्ति के हाथ तथा पैर कंपकंपाने लगते हैं। कभी-कभी इस रोग के लक्षण कम होकर खत्म हो जाते हैं। इस रोग से पीड़ित बहुत से रोगियों में हाथ तथा पैरों के कंप-कंपाने के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, लेकिन वह लिखने का कार्य करता है तब उसके हाथ लिखने का कार्य करने में असमर्थ हो जाते हैं।
जब यह रोग धीरे-धीरे बढ़ता है तो रोगी की विभिन्न मांसपेशियों में कठोरता तथा कड़ापन आने लगता है। शरीर अकड़ जाता है, हाथ पैरों में जकडन होती है। मरीज़ को भारीपन का अहसास हो सकता है।
परन्तु जकडन की पहचान चिकित्सक बेहतर कर पाते हैं जब से मरीज़ के हाथ पैरों को मोड कर व सीधा कर के देखते हैं बहुत प्रतिरोध मिलता है। मरीज़ जानबूझ कर नहीं कर रहा होता। जकडन वाला प्रतिरोध अपने आप बना रहता है।
शरीर (हाथ-पैर) में कम्पन पार्किन्सन रोग के लक्षण Parkinson’s disease Symptoms :-
– आंखें चौडी खुली रहती हैं। व्यक्ति मानों सतत घूर रहा हो या टकटकी लगाए हो ।
– चेहरा भाव शून्य प्रतीत होता है बातचीत करते समय चेहरे पर खिलने वाले तरह-तरह के भाव व मुद्राएं (जैसे कि मुस्कुराना, हंसना, क्रोध, दुःख, भय आदि ) प्रकट नहीं होते या कम नज़र आते हैं।
– खाना खाने में तकलीफें होती है। भोजन निगलना धीमा हो जाता है। गले में अटकता है। कम्पन के कारण गिलास या कप छलकते हैं।
– हाथों से कौर टपकता है। मुंह से पानी-लार अधिक निकलने लगता है। चबाना धीमा हो जाता है। ठसका लगता है, खांसी आती है।
– आवाज़ धीमी हो जाती है तथा कंपकंपाती, लड़खड़ाती, हकलाती तथा अस्पष्ट हो जाती है, सोचने-समझने की ताकत कम हो जाती है और रोगी व्यक्ति चुपचाप बैठना पसन्द करता है।
– नींद में कमी, वजन में कमी, कब्जियत, जल्दी सांस भर आना, पेशाब करने में रुकावट, चक्कर आना, खडे होने पर अंधेरा आना, सेक्स में कमज़ोरी, पसीना अधिक आता है।

ऐसे अनेक लक्षणों में से कुछ, प्रायः वृद्धावस्था में बिना पार्किन्सोनिज्म के भी देखे जा सकते हैं । कभी-कभी यह भेद करना मुश्किल हो जाता है कि बूढे व्यक्तियों में होने वाले कम्पन, धीमापन, चलने की दिक्कत, डगमगापन आदि।
राहत के लिए ये उपाय हैं असरकारक…

निम्बू के रस और नारियल पानी : डॉ. राजकुमार के अनुसार हाथों पैरों में कम्पन की समस्या से राहत पाने के लिए आपको नियमित पानी में निम्बू के रस को मिलाकर उसका सेवन करना चाहिए, इसके अलावा नारियल पानी का सेवन करने से भी इस समस्या से राहत पाने में आपको बहुत मदद मिलती है, तो यदि आपको भी ऐसा महसूस होता है, तो आप भी निम्बू या नारियल पानी का सेवन कर सकते है।
दूध पीएं : सोयाबीन को दूध में मिलाकर उसके सेवन करने से या तिलों को दूध में मिलाकर खाने से, या फिर नियमित बकरी के दूध का सेवन करने से भी आपको हाथों और पैरों में होने वाली कम्पन की समस्या से राहत पाने में मदद मिलती है।
तनाव नहीं लें : जो लोग ज्यादा स्ट्रेस में रहते है, और हमेशा अपने दिमाग में नकारात्मक विचारों को ही उत्त्पन्न करते है, उन्हें भी इस परेशानी का शिकार होना पड़ सकता है, इसीलिए जितना हो सकें आपको अपने आप को खुश रखने की कोशिश करनी चाहिए, और हमेशा अपनी सोच को भी सकारात्मक रखना चाहिए।
शरीर (हाथ-पैर) में कम्पन ( पार्किन्सन रोग (Parkinson’s disease)) के कारण :-
जानकारों का मानना है कि पार्किन्सन रोग (Parkinson’s disease) व्यक्ति को अधिक सोच-विचार का कार्य करने तथा नकारात्मक सोच ओर मानसिक तनाव के कारण होता है।
किसी प्रकार से दिमाग पर चोट लग जाने से भी पार्किन्सन रोग (Parkinson’s disease) हो सकता है। इससे मस्तिष्कि के ब्रेन पोस्टर कंट्रोल करने वाले हिस्से में डैमेज हो जाता है।

कुछ प्रकार की औषधियां जो मानसिक रोगों में प्रयुक्‍त होती हैं, अधिक नींद लाने वाली दवाइयों का सेवन तथा एन्टी डिप्रेसिव दवाइयों का सेवन करने से भी पार्किन्सन रोग (Parkinson’s disease) हो जाता है।
अधिक धूम्रपान करने, तम्बाकू का सेवन करने, फास्ट-फूड का सेवन करने, शराब, प्रदूषण तथा नशीली दवाईयों का सेवन करने के कारण भी पार्किन्सन रोग (Parkinson’s disease) हो जाता है।
शरीर में विटामिन `ई´ की कमी हो जाने के कारण भी पार्किन्सन रोग (Parkinson’s disease) हो जाता है।
तरह -तरह के इन्फेक्शन – मस्तिष्क में वायरस के इन्फेक्शन (एन्सेफेलाइटिस) ।
मस्तिष्क तक ख़ून पहुंचाने वाले नलियों का अवरुद्ध होना ।
मैंगनीज की विषाक्तता।
हाथ पांव कांपने का घरेलु उपचार…
डॉ. राजकुमार के अनुसार कुछ घरेलु उपाय हैं जो की आपके शरीर के कम्पन की समस्या को काफी हद तक कम करने में सक्षम हो सकते हैं।
कुछ चाय जैसे chamomile, laung और lavandula आदि पीने से आपके दिमाग में शांति बनती है और दिमाग की तंत्रिकाओं को आराम मिलता है इसके फलसवरूप मानसिक तनाव में कमी आती है।
यदि आपको मानसिक तनाव और टेंशन के कारण हाथ कांपने की शिकायत है तो आज से ही इन चाय का सेवन करना शुरू कर दीजिये।

– तगार की जड़ nerves और दिमाग को शांत करने वाले और अनिद्रा दूर करने वाले गुण होते हैं। तगार की अड़ की चाय रोजाना दिन में 2-3 बार पीने से हाथ पांव काम्पने में काफी आराम मिलता है।
– विटामिन B की कमी होने से भी कम्पन और दिमाग के कार्यों में बाधा पड़ने की समस्या हो सकती है इसलिए जरुरी सप्लीमेंट लीजिये साथ ही फल, सब्जियां, दाल, बीन्स, अंडा आदि से जरुरी विटामिन्स और मिनरल्स प्राप्त कीजिये।
– ध्यान और योग के साथ अपने दिन की शुरुआत कीजिये क्योंकि इससे आपका दिमाग रिलैक्स होगा और मानसिक तनाव, अनिद्रा की परेशानी दूर होगी| आप कुछ देर दिन में सुबह और शाम रनिंग या जॉगिंग करके अपने दिमाग को कण्ट्रोल में रख सकते हैं।
इनसे रहें दूर: शराब, मैदा जैसी refined शुगर से दूर रहे क्योंकि refiend शुगर आपके खून में ग्लूकोस के स्टार को असंतुलित करते हैं जिससे आपके शरीर में कम्पन की समस्या पैदा होती है।
डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
अगर आपको हाथों में कंपन महसूस हो रहा है, तो डॉक्टर को दिखाएं, जिसमें ये स्थितियां शामिल हैं…
– अगर यह समय के साथ-साथ बद्तर होती जा रही है।
– आराम करने के दौरान बद्तर और कुछ काम करने के दौरान ठीक हो जाती है।
– किसी अन्य सिंड्रोम के साथ होती है, जैसे सिरदर्द, कमजोरी, असामान्य रूप से जीभ हिलना, मांसपेशियों में खिंचाव, या अन्य गति जिनको आप नियंत्रित नहीं कर सकते। यदि आपकी रोजाना की गतिविधियों को प्रभावित कर रही हैं।
हाथों में कंपकपी की समस्या में ये खाएं…
डॉ. राजकुमार कहते हैं कि जिन लोगों को कंपन की समस्या होती है, वे पाते हैं कि उनका वजन कम हो रहा है। वे वजन को बनाए रखने के लिए कैलोरी की उच्च मात्रा का सेवन करते हैं, ताकि वजन घटने की समस्या से बचा जा सके। वजन घटने का कारण भूख कम लगना या खाने या निगलने में कठिनाई महसूस होना भी हो सकता है।
यह भी हो सकता है कि आपका शरीर पोषक तत्वों को कुशलतापूर्वक अवशोषित नहीं कर पा रहा हो या फिर कंपन के लक्षणों का मुकाबला करने के लिए आप अतिरिक्त उर्जा का उपयोग कर रहे हों।
इसलिए जिन लोगों को हाथों में कंपकपी की समस्या है, उनके लिए एक अच्छा संतुलित आहार आवश्यक है। जिसके तहत उन्हें खट्टे फल,हरी पत्तेदार सब्जियां,मांस,दूध के उत्पाद,नट (बादाम, सुपारी आदि),दाल,अंडे,मछली खाने चाहिए।

ये भी करते हैं मदद…
1. जटामांसी : हाथ-पैर कांपने पर या किसी दूसरे अंग के अपने आप हिलने पर जटामांसी का काढ़ा 2 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम नियमित सेवन करना चाहिए।

2. लहसुन : शरीर का कम्पन दूर करने के लिए बायविडंग एवं लहसुन के रस को पकाकर सेवन करने से रोगी को लाभ मिलता है। लहसुन के रस से शरीर पर मालिश करने से रोगी का कंपन दूर होता है। 4 जावा (कली) लहसुन छिलका हटाकर पीस लें। इसे गाय के दूध में मिलाकर प्रतिदिन सेवन करने से कम्पन के रोगी का रोग ठीक हो जाता है।
3. ध्यान व योगा : इस समस्या से बचने के आसान उपचार है की आप नियमित सुबह उठ कर ध्यान व योगा करें, ऐसा करने से आपके दिमाग को रिलैक्स रहने में मदद मिलती है, साथ ही मानसिक तनाव व् अनिंद्रा की समस्या से भी राहत मिलती है, और आपको शाम के समय भी पार्क आदि में वॉक या जॉगिंग के लिए जरूर जाना चाहिए।

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