गणेश विसर्जन दस दिवसीय गणेश चतुर्थी उत्सव के समापन का प्रतीक है। इस दस दिवसीय उत्सव के दौरान, भक्त गणपति की पूजा करते हैं, जिन्हें बाधाओं को दूर करने वाले और नई शुरुआत के देवता के रूप में भी जाना जाता है। भक्त भगवान गणेश से उनके परिवारों को आशीर्वाद देने और अगले साल पुनः पूजा के लिए वापस आने की प्रार्थना करते हैं।
गणेश विसर्जन की विधि और नियम (Ganpati Visarjan viddhi)
गणेश चतुर्थी में लोग अपने घरों में भी बप्पा की प्रतिमा लाते हैं और उसे विधिपूर्वक स्थापित करते हैं। फिर अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति जी का विसर्जन धूम के साथ तालाब, नदी या झील में किया जाता है। अगर आप घर में ही गणेश जी की मूर्ति का विसर्जन करना चाहते हैं तो आइए जानते हैं गणपति विसर्जन की विधि के बारे में- -गणेश विसर्जन से पहले पूरे परिवार के साथ बप्पा की विधिपूर्वक पूजा करें। -इसके बाद बप्पा को लड्डू, फल और मोदक का भोग लगाएं। -तत्पश्चात गणेश जी की आरती करें और मंत्रों का जाप करें।
-फिर किसी खुले स्थान पर बड़े और साफ बर्तन में शुद्ध पानी भरें। पानी की मात्रा गणेश जी की मूर्ति के अनुसार रखें। -पानी में गंगाजल मिलाएं और मंत्रों का जप करें। -जयकारों के साथ बप्पा की मूर्ति को उठाएं और पानी में धीरे-धीरे विसर्जित करें।
-गणपति जी की प्रतिमा विसर्जित हो जाने के बाद उस पानी को पीपल पेड़ के नीचे या गमले में डाल सकते हैं। -पूजा में उपयोग हुई सामग्रियों को गणेश जी की प्रतिमा के साथ ही विसर्जित कर दें।
गणेश विसर्जन मुहूर्त (Ganpati Visarjan muhurt)
गणेश विसर्जन के लिए अनंत चतुर्दशी तिथि सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस साल अनंत चतुर्दशी तिथि 17 सितंबर को है। आइए जानते है मुहूर्त – चतुर्दशी तिथि आरंभ- 16 सितंबर को दोपहर 3 बजकर 10 मिनट परचतुर्दशी तिथि समाप्त- 17 सितंबर को सुबह 11 बजकर 44 मिनट पर
अपराह्न मुहूर्त (शुभ) – 15:19 से 16:51
सायाह्न मुहूर्त (लाभ) – 19:51 से 21:19
रात्रि मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर)- 22:47 से 03:12 (18 सितंबर)