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भोपाल

UPSC के पूर्व अध्यक्ष ने बताया आईएएस ऑफिसर्स के एरोगेंसी का कारण

प्रशासन अकादमी में डॉ. दीपक गुप्ता की पुस्तक दि स्टील फ्रेम – ए हिस्ट्री ऑफ द आईएएस पुस्तक पर चर्चा का आयोजन

भोपालApr 29, 2019 / 08:19 am

hitesh sharma

UPSC के पूर्व अध्यक्ष ने बताया आईएएस ऑफिसर्स के एरोगेंसी का कारण

भोपाल। जब भी कोई आम व्यक्ति आईएएस बनता है तो उसकी पर्सनालिटी में चेंज जरूर आता है। उसमें कांफिडेंस बढ़ता है, सेल्फ इस्टीम बढ़ती है जो सकारात्मकता का प्रतीक है। ट्रेनिंग के दौरान उसे सिविल सर्विसेज के मायने समझ आते हैं।
आम जनता के बीच रहकर आम जनता के काम कर ऑफिसर अपनी जिम्मेदारी निभाता है। अक्सर ऐसा कहा जाता है कि आईएएस अधिकारी में एरोगेंसी ज्यादा होता है। मेरा मानना है कि यह एरोगेंसी नकारात्मक रवैये को दर्शाता है। आईएएस बनना काफी टफ टास्क होता है। सिविल सर्विसेस के लिए 10 लाख लोग एप्लाई करते हैं और उनमें से 100 सिलेक्ट होते हैं। शायद इसी वजह एरोगेंसी आ जाती है।
यह बात संघ लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष और भारतीय प्रशासनिक सेवा के 1974 बैच के अधिकारी डॉ. दीपक गुप्ता का। शनिवार को आरसीवीपी नरोन्हा प्रशासन अकादमी में एमपी आईएएस ऑफिसर्स एसोसिएशन, क्लब लिटरेटी और दि सेटरडे क्लब के संयुक्त तत्वावधान में डॉ. गुप्ता की लिखी पुस्तक दि स्टील फ्रेम – ए हिस्ट्री ऑफ दि आईएएस पर चर्चा हुई।
जनता और मीडिया को करना चाहिए सपोर्ट

डॉ. गुप्ता ने चर्चा में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने प्रशासनिक सुधार की दृष्टि से यह व्यवस्था की थी कि किसी भी अधिकारी का तबादला दो साल से पहले नहीं होगा। यदि तबादला करना भी है तो तबादला बोर्ड के पास एक प्रक्रिया के तहत मामला जाएगा। अधिकांश राज्यों में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कमेटी तो बना दी गई, लेकिन नियमों का पालन नहीं हो पा रहा।
यदि कोई अधिकारी अ’छा काम कर रहा है, इमानदार है। फिर भी उसका बार-बार तबादला किया जा रहा है तो मीडिया के साथ आम जनता को आगे आना होगा। सरकार से सवाल करने होंगे। क्योंकि आईएएस ऑफिसर्स एसोसिएशन में शामिल ऑफिसर्स की भी अपनी सीमाएं हैं, वे भी सरकार का एक हद तक ही विरोध कर सकते हैं।
आईएएस ही आईएएस की समस्या नहीं समझ पाता

डॉ. गुप्ता ने नौकरी के दौरान का किस्सा सुनाते हुआ कहा कि मेरा तबादला हुआ तो मैंने सीनियर से पूछा कि मेरे ब”ाों की पढ़ाई का क्या होगा। सीनियर्स ने कहा कि यह तुम्हारी समस्या है, मैं क्या कर सकता हूं। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद ही आईएएस अस्तित्व में आया।
इसलिए पुस्तक के माध्यम से सभी को आईएएस की हिस्ट्री बताना चाहता हूं। राजनीति और ब्यूरोक्रेसी दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं यदि वो एक ट्रेक पर चलेंगे तभी समाज का विकास होगा। दोनों को कई कठिनाईयों का सामना करना पड़ेगा लेकिन मिलकर कठिनाई दूर की जा सकती है।

आईएएस पर हमेशा प्रेशर रहता है

सीनियर आईएएस अशोक बर्णवाल ने कहा कि अक्सर ये बातें होती हैं कि आईएएस का महत्व घटा है, राजनीति के सामने आईएएस को झुकना पड़ता है, उन पर नेताओं का प्रेशर होता है। ईमानदार और बेईमान अधिकारी हर दौर में होते रहे हैं।

हमें आम जनता की क्वालिटी ऑफ लाइफ पर किस तरह काम करना चाहिए। डॉ. गुप्ता ने कहा कि आईएएस अ’छा काम कर रहे हैं। कंपेयर तो हमेशा होता रहा है। क्लब लिटरेटी की प्रेसीडेंट डॉ. सीमा रायजादा ने बताया कि डॉ. दीपक गुप्ता ने अपनी पुस्तक के लेखन में भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसरों पर लिखी अनेकों पुस्तकों का अध्ययन किया है और एक ऐसी पुस्तक तैयार की जिसे सभी सिविल सर्विसेज के अफसर और बुद्धिजीवियों को पढऩा चाहिए।

अशोक वर्णवाल, अंटोनी डिसा ने पूछे प्रश्न चर्चा के दौरान पूर्व आईएएस अधिकारी अतुल सिन्हा, भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी जीवी रश्मि और तेजस्वी नायक ने पुस्तक के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डाला। एमपी आईएएस ऑफिसर्स ऐसोसिएशन भोपाल के सचिव डॉ. संजय गोयल ने अतिथियों का आभार प्रकट किया और आईएएस एसोसिएशन की ओर से डॉ. दीपक गुप्ता को स्मृति चिन्ह भेंट किया गया।

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