पत्रिका बता रहा है कि 100 दिन में किस से काम बढ़े तो एक्सप्रेस-वे के निर्माण की रफ्तार बढ़ेगी। अभी यह काम पिछड़ गया तो आने वाले पांच साल का लक्ष्य भी पिछड़ जाएगा। इन 100 दिनों में 20 फीसदी तक एक्सप्रेस-वे के निर्माण कार्य को पूरा करने के लिए वे कौन से कदम सरकार को उठाना चाहिए, बता रही पत्रिका की रिपोर्ट…।
सिंहस्थ के लिए अहम मालवा-निमाड़ पथ
2028 में होने वाले सिंहस्थ को देखते हुए मालवा-निमाड़ विकास पथ अहम है। 450 किमी लंबा यह पथ मंदसौर, उज्जैन-इंदौर, बुरहानुपर को जोड़ेगा। इससे कई कनेक्टिंग नेटवर्क जुड़ेंगे। कनेक्टिंग मार्ग का काम चल रहा है। उज्जैन-इंदौर कनेक्टिंग रोड के लिए 5000 करोड़ से ज्यादा के प्रोजेक्ट मंजूर हैं। 100 दिन में एक्सप्रेस-वे का भूमि सर्वे व भूमि अधिग्रहण शुरू होना चाहिए। ये भी पढ़ें: आज आपके खाते में आएंगे 2000 रुपए, ये है चेक करने का आसान तरीका ?
ये 6 एक्सप्रेस-वे 5 साल में बनाने का वादा
नर्मदा प्रगति पथ : 867 किमी लंबा ये एक्सप्रेस-वे अमरकंटक, डिंडौरी, शाहपुरा, जबलपुर, नर्मदापुरम, बडवाह व अलीराजपुर को जोड़ेगा। विंध्य एक्सप्रेस-वे: 676 किमी लंबा ये एक्सप्रेस-वे भोपाल, दमोह, कटनी, रीवा, सीधी व सिंगरौली को जोड़ेगा। अटल प्रगति पथ: 299 किमी लंबा ये एक्सप्रेस-वे मुख्य रूप से भिंड, मुरैना, श्योपुर को जोड़ेगा। मालवा निमाड़ विकास पथ: 450 किमी लंबा ये एक्सप्रेस-वे मंदसौर, उज्जैन, इंदौर व बुरहानुपर को जोड़ेगा।
बुंदेलखंड विकास पथ: 330 किमी लंबा ये एक्सप्रेस-वे मुख्य रूप से भोपाल-छतरपुर को जोड़ेगा। मध्यभारत विकास पथ : 746 किमी लंबा ये एक्सप्रेस वे मुख्य रूप से बैतूल को मुरैना से जोड़ेगा।
बजट अहम: पहले से इंतजाम जरूरी
सभी 6 एक्सप्रेस-वे के लिए बजट अहम है। इसलिए सबसे पहले जुलाई में होने वाले विधानसभा सत्र में ही मुख्य बजट में सभी एक्सप्रेस-वे के लिए बजट का प्रावधान करना होगा। पहले चरण में लागत का 30% बजट रखना होगा। भूमि अधिग्रहण व चिह्नांकन-आवंटन के लिए भी बजट का प्रावधान पहले करना होगा। यह काम 100 दिन में हो सकता है। इसमें केंद्र से मिलने वाली मदद के लिए भी बजट प्रस्ताव भेजना होगा। विभागीय मंत्री-अफसरों की टीम को भी दिल्ली जाकर संबंधित केंद्रीय मंत्रियों की मदद लेनी होगी। संकल्प-पत्र में हाईवे के जिक्र होने के कारण केंद्रीय मदद का रास्ता खुलेगा।
सर्वे की शिकायतें पहले हल करनी होंगी
-एक्सप्रेस-वे के लिए पहले रूट निर्धारण के हिसाब से सर्वे कर जमीन चिह्नित करनी होगी। यह 30 दिन में हो सकता है। फिर रूट घोषित कर जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया शुरू की जा सकती है। -अटल एक्सप्रेस वे किसानों की असहमति से उलझा है। इसके सर्वे को किसानों ने गलत ठहराया है। इसलिए सर्वे और किसानों की सहमति संबंधित मुद्दों का निराकरण 30 दिन में करना होगा। -छह एक्सप्रेस वे के काम को लेकर पहले से प्लान-डीपीआर बनाया जा सकता है। डीपीआर संबंधी काम के टेंडर 100 दिन में हो सकता है। तब काम आगे बढ़ेगा व टेंडर प्रक्रिया 100 दिन में पूरी होगी।
अटल एक्सप्रेस-वे की राह में कई परेशानी
2017 में अटल एक्सप्रेस वे की घोषणा हुई थी। यह भिंड, मुरैना, श्योपुर के रास्ते कोटा को जोड़ेगा। पहले केंद्र की जिस योजना में यह था, वह ठंडे बस्ते में चली गई। फिर ‘भारतमाला’ में शामिल कर सर्वे शुरू किया, तब 299 किमी लंबा बनाने की बात हुई। 2021 में अलाइनमेंट सर्वे हुआ। मार्च 2023 में तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह ने नए सिरे से सर्वे कराया। पहले ये 162 गांवों से गुजरता, नए सर्वे में 214 गांव से गुजर रहा है। 36 गावं के किसानों आपत्ति ली। चंबल के बीहड़ों से रास्ता रखने पर एनजीटी में आपत्ति उठी, अलाइनमेंट बदला।