दिग्विजय ने ट्वीट कर कहा कि सीबीआई ने व्यापमं जांच में दोषी भाजपा के पूर्व मंत्री लक्ष्मीकान्त शर्मा को निर्दोष साबित कर दिया, जबकि शिवराज सरकार ने ही उन्हें गिरफ्तार कर जेल भिजवाया था। अब भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय और नरोत्तम मिश्रा उसी सीबीआई को हनीट्रैप कांड की जांच सौंपना चाहते हैं। क्या इसे उनका अपराधबोध माना जाए।
हनीट्रैप कांड में अब तक क्या हुआ जानें
मामले का खुलासा हुआ, पांच महिलाएं गिरफ्तार
19 सितंबर: प्रदेश में बड़े राजनेता और नौकरशाहों को फंसाकर उन्हें ब्लैकमेल करने वाली महिलाओं के गिरोह का खुलासा हुआ। यह गिरोह इंदौर निगम के इंजीनियर हरभजन सिंह की शिकायत के बाद सामने आया था। पुलिस ने 5 महिलाओं और उनके कार ड्राइवर को गिरफ्तार किया। उनसे लैपटॉप, मोबाइल व 14.17 लाख रुपए बरामद किए गए थे।
सरकार को अस्थिर करने 7 विधायकों को फंसाने का प्लान
20 सितंबर: गिरफ्तार पांच महिलाओं का काम सिर्फ ब्लैकमेलिंग तक सीमित नहीं था। वे सरकार को अस्थिर करने के षड्यंत्र में भी थीं। एटीएस सूत्रों का कहना है कि इंटेलीजेंस के पास सूचना थी कि भाजपा से जुड़े एक पूर्व मंत्री के इशारे पर गिरोह का इस्तेमाल कर कांग्रेस के 7 विधायकों को हनी ट्रैप में फंसाने का प्लान था। इसमें श्वेता विजय जैन की भूमिका अहम थी। इसकी तह तक जाने के लिए एटीएस को जिम्मा सौंपा। इसके बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ भी पूरे मामले की मॉनीटरिंग करते रहे।
शंका न हो, इसलिए स्पाय कैमरे से बनाए जाते थे वीडियो
21 सितंबर: गिरफ्तार आरती दयाल से पूछताछ में महत्वपूर्ण तथ्य सामने आए। आरती ने कबूल किया कि उसके कई रसूखदारों से अंतरंग संबंध रहे हैं। कुछ को लाइजनिंग में इस्तेमाल करती थी तो कुछ को ब्लैकमेल। आरती ने कबूला था कि वह स्पाय कैमरे से वीडियो तैयार करती थी। मोबाइल से वीडियो बनाने में शंका हो जाती है। उसने मोबाइल में स्पाय कैमरा फिट कर रखा था। इंजीनियर हरभजन के साथ ही कुछ अन्य लोगों के वीडियो भी मिले। इसमें सिर्फ हरभजन को छोड़कर बाकी लोग भोपाल के हैं।
केंद्रीय मंत्री समेत भाजपा के बड़े नेता तक पहुंची आंच
22 सितंबर: राज्य सरकार ने इंदौर नगर निगम के इंजीनियर हरभजन सिंह के हनी ट्रैप से हुए खुलासे के बाद इस मामले के फैलते दायरे को देखते हुए एसआईटी गठित करने का फैसला लिया। आरोपी पांच महिलाओं के कॉल डिटेल्स रेकॉर्ड (सीडीआर) और एसएमएस से चौंकाने वाले तथ्य उजागर हुए हैं। इसमें एक केंद्रीय मंत्री और भाजपा संगठन के बड़े पदाधिकारी तक भी आंच पहुंची।
सरकार ने गठित की एसआईटी, श्रीनिवास वर्मा को सौंपी कमान
23 सितंबर: मामले की जांच के लिए एसआईटी (विशेष जांच टीम) गठित कर दी गई। हनी ट्रैप में नेताओं, अधिकारियों और कारोबारियों के शामिल होने के खुलासे के बाद राज्य सरकार ने यह कदम उठाया। एसआईटी की कमान आईपीएस डी. श्रीनिवास वर्मा को दी गई। टीम में विकास सहवाल एसपी सायबर सेल, मनोज कुमार सिंह कमांडेंट 25वीं बटालियन, जितेन्द्र सिंह एसपी साइबर सेल इंदौर, पलासिया टीआई शशिकांत चौरसिया को शामिल किया गया।
24 घंटे में बदल दिया एसआईटी चीफ, एडीजी शमी को कमान
24 सितंबर: राज्य सरकार ने हनी ट्रैप कांड में गठित एसआईटी के चीफ को 24 घंटे में ही बदल दिया। अब कमान काउंटर इंटेलीजेंस एडीजी संजीव शमी के हाथ होगी। सरकार की ओर से तर्क दिया गया कि इस मामले में हाईप्रोफाइल लोग शामिल हैं। जांच में पूर्व मंत्री, बड़े नेता और आइएएस-आइपीएस अफसरों के दायरे में होने से उच्च स्तरीय दबाव आ सकता है। ऐसे में श्रीनिवास जूनियर अफसर हो जाएंगे।