उर्दू अकादमी की सचिव डॉ नुसरत मेहदी ने बताया कि, 27 वर्ष पुरानी लाइब्रेरी में बेशकीमती किताबें मौजूद हैं। जिनको सुरक्षित किया जाना आवश्यक था। डिजिटल होने के बाद लोग अपनी सुविधानुसार अपनी पसंद की किताबें ऑनलाइन पढ़ सकते हैं। यदि अकादमी आकर भी किताबों से लाभ उठाना चाहे तो वह सुविधा भी उपलब्ध रहेगी।
लाइब्रेरी में बैठकर पढऩे का इंतजाम भी है। लाइब्रेरी की बेशकीमती किताबों को सुरक्षित करने, साहित्यप्रेमियों, शोधार्थियों, विद्यार्थियों के समय, आवश्यकता और सुविधा को देखते हुए उर्दू अकादमी की लाइब्रेरी को डिजिटल किया गया है।
100 साल से अधिक पुरानी अरबी, फारसी और उर्दू की किताबें भी मौजूद वर्तमान में अकादमी की अपनी किताबों के साथ अनेक साहित्यकारों और अन्य लोगों द्वारा डोनेट की गई उनकी बहुमूल्य किताबें भी शामिल हैं। लाइब्रेरी में ऐसे लोगों के नाम का कॉनर्स भी बनाए गए हैं।
इनके अलावा उर्दू भाषा और साहित्य से सम्बन्धित पुस्तकें पत्र-पत्रिकाएं विशेषकर ड्रामा, बच्चों के साहित्य, पत्रकारिता से सम्बन्धित किताबें, रसायल के खास नंबर उपलब्ध हैं। यहां 100 साल से अधिक पुरानी अरबी, फारसी और उर्दू की किताबें भी यहां बड़ी संख्या में मौजूद हैं। डिजिटल होने के बाद भी पुस्तकालय में एक रीडिंग रूम की व्यवस्था है जिसमें एक साथ 25 व्यक्ति बैठकर पढ़ सकते हैं।