ऐसे में इन लोगों को नवंबर तक डेंगू के कहर से बचने के लिए ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है। अकेले
भोपाल में डेंगू का आंकड़ा 141 पहुंच गया है। जिसमें से 60 मरीज जुलाई और 27 केस अकेले अगस्त के 12 दिनों में दर्ज किए गए। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग सतर्क हो गया है। अस्पतालों को निर्देश दिए गए हैं कि हर संदिग्ध मरीज की जांच की जाए।
संक्रमित व्यक्ति को आइसोलेट करना जरूरी
सीएमएचओ डॉ. प्रभाकर तिवारी ने बताया कि मुख्य रूप से डेंगू एडीज मादा मच्छर के काटने से फैलता है। वहीं संक्रमित व्यक्ति को यदि दूसरी प्रजाती का मच्छर काटे और उसके बाद स्वस्थ व्यक्ति को काट ले तो वो भी बीमारी की चपेट में आ सकता है। इसलिए सरकारी अस्पतालों में डेंगू के मरीजों के लिए अलग से वार्ड तैयार किए गए हैं।
इसलिए मादा मच्छर से ज्यादा खतरा
नर मच्छर की तुलना में मादा मच्छरों के काटने का डर अधिक रहता है। मादा मच्छर के सेंसिंग ऑर्गन ज्यादा एक्टिव होते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें अंडे देने के लिए जरूरी पोषक तत्व इंसानों के रक्त से मिलसे हैं। ऐसे में वे हमारे शरीर से निकलने वाली कार्बन डाईऑक्साइड, यूरकि एसिड, लैक्टिक एसडि, अमोनिया की महक की तरफ आकर्षित होते हैं।