गुना संसदीय सीट (guna lok sabha constituency) मध्यप्रदेश की सबसे हॉट सीट इसलिए बन गई है क्योंकि ज्योतिरादित्य सिंधिया एक बार फिर गुना संसदीय सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। सिंधिया वर्तमान में मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री भी हैं। कांग्रेस ने हाल ही में लोकसभा चुनाव के लिए अपने प्रभारियों की घोषणा की है, इसमें पूर्व मंत्री एवं विधायक जयवर्धन सिंह को गुना लोकसभा क्षेत्र का प्रभारी बनाया है। इसके अलावा कांग्रेस ने प्रियव्रत सिंह को राजगढ़ का चुनाव प्रभारी बनाया है। इसके अलावा कांग्रेस के कई बड़े दिग्गजों को भी अहम लोकसभा सीटों की जिम्मेदारी दी गई है।
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लोगों की धड़कनें बढ़ाने वाली सीटों में गुना सीट भी है। क्योंकि इस सीट से एक बार फिर सिंधिया परिवार का ही सदस्य चुनाव मैदान में है। भाजपा के दिग्गज नेता एवं केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया परंपरागत गुना-शिवपुरी संसदीय सीट से चुनाव मैदान में है। ग्वालियर संभाग में आने के कारण यह सिंधिया राजघराने का वर्चस्व भी है। सिंधिया के खिलाफ जो भी चुनाव लड़ेगा, वो नाम चौंकाने वाला ही होगा। इससे पहले पिछले लोकसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी परंपरागत गुना-शिवपुरी सीट से चुनाव हार गए थे। तब वे कांग्रेस में थे और भाजपा के केपी यादव ने उन्हें हरा दिया था। केपी यादव भी कभी सिंधिया के समर्थक रह चुके हैं। लेकिन सिंधिया अब भाजपा में है और केपी यादव भी भाजपा में है।
अब यादवेंद्र सिंह यादव (yadvendra singh yadav) के चुनाव लड़ाने की अटकलें लग रही है। यादव बहुल इस क्षेत्र में कांग्रेस देशराज सिंह यादव (deshraj singh yadav) के बेटे यादवेंद्र सिंह यादव को सिंधिया के खिलाफ मैदान में उतार सकती है। ओबीसी समुदाय के यादवेंद्र सिंह यादव अशोक नगर जिले के मुंगावली के रहने वाले हैं। यादवेंद्र के पिता देशराज दो बार लोकसभा का चुना लड़ चुके हैं और दो बार विधायक भी रहे हैं। उनके भाई जिला पंचायत सदस्य, पत्नी जनपद सदस्य और उनकी मां जनपद सदस्य जैसे पदों पर हैं। भाजपा के पूर्व नेता देशराज सिंह रामजन्म भूमि आंदोलन में शामिल हुए थे, उनके बेटे यादवेंद्र सिंह भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गए थे। इस क्षेत्र में अच्छी पकड़ होने के कारण कांग्रेस यादवेंद्र को भी मैदान में उतार सकती है। इस सीट पर 7 मई को मतदान होगा।
मुरैना – रामनिवास रावत
भिंड – लाखन सिंह यादव
ग्वालियर – अशोक सिंह
गुना – जयवर्धन सिंह
सागर – नितेंद्र राठौर
टीकमगढ़ – यादवेंद्र सिंह
दमोह – मुकेश नायक और हर्ष यादव
खजुराहो – पूर्व विधायक आलोक चतुर्वेदी
सतना – राजेंद्र सिंह
रीवा – डॉ. गोविंद सिंह
सीधी – विनय सक्सेना
शहडोल – डॉ. अशोक मर्सकुले
जबलपुर – लखन घनघोरिया
मंडला – कदीर सोनी
बालाघाट – रजनीश सिंह
छिंदवाड़ा – सुनील जायसवाल
होशंगाबाद – सुखदेव पांसे
विदिशा – एनपी प्रजापति और पीसी शर्मा
भोपाल – महेंद्र जोशी
राजगढ़ – प्रियव्रत सिंह
देवास – सज्जन सिंह वर्मा
उज्जैन – रवि जोशी
मंदसौर – मीनाक्षी नजटराजन और नरेंद्र नहाटा
रतलाम – बाला बच्चन
धार – उमंग सिंघार।
इंदौर – शोभा ओझा और सत्यनारायण पटेल
खरगौन – डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ
खण्डवा – आरके डोंगने
बैतूल – आरिफ मसूद और सुखदेव पांसे