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Chhath Puja 2023: छठी मईया को बेहद पसंद हैं ये चार फल, इनके बिना अधूरी मानी जाती है छठ पूजा

Chhath Puja : आपको बता दें कि छठ महापर्व (Chhath Puja) में छठी मईया की पूजा का विशेष महत्व होता है। यदि आप इसे पहली बार कर रहे हैं, तो कुछ नियमों को जानना बेहद जरूरी है। दरअसल इस महापर्व में छठी मईया को विशेष रूप से फलों का भोग लगाया जाता है, माना जाता है कि छठ पूजा के लिए इन सभी फलों का होना अनिवार्य है, नहीं तो यह पूजा अधूरी मानी जाती है।

भोपालNov 16, 2023 / 11:37 am

Sanjana Kumar

छठ पूजा (Chhath Puja) की शुरुआत 17 नवंबर 2023, शुक्रवार से हो जाएगी। चार दिवसीय यह महापर्व 20 नवंबर को संपन्न होगा। हर साल कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन छठ महापर्व मनाया जाता है। सनातन धर्म में छठ महापर्व का विशेष महत्व माना जाता है। माना जाता है कि छठ (Chhath Puja) के दौरान महिलाएं अच्छी फसल, सुख और समृद्धि की कामना के लिए 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखती हैं। इसे सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। पवित्र नदियों में पूजा कर स्नान करती हैं। मुख्य व्रत 19 और 20 नवंबर को किया जाएगा। महिलाएं छठी मईया की पूजा करेंगी। फिर डूबते सूर्य को अघ्र्य देंगी। वहीं व्रत का पारण अगले दिन उगते सूर्य की पूजा-अर्चना कर किया जाता है। चार दिन तक चलने वाला यह पर्व सभी के लिए बहुत खास होता है।

आपको बता दें कि छठ (Chhath Puja) महापर्व में छठी मईया की पूजा का विशेष महत्व होता है। यदि आप इसे पहली बार कर रहे हैं, तो कुछ नियमों को जानना बेहद जरूरी है। दरअसल इस महापर्व में छठी मईया को विशेष रूप से फलों का भोग लगाया जाता है, माना जाता है कि छठ पूजा के लिए इन सभी फलों का होना अनिवार्य है, नहीं तो यह पूजा अधूरी मानी जाती है। आप भी जानें किन फलों के बिना अधूरी मानी जाती है छठी मईया की पूजा…

भोपाल में 6 साल पहले छठ महापर्व की शुरुआत

आपको बता दें कि मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में 6 साल पहले करीब 20 जगहों पर छठ (Chhath Puja in Bhopal, MP) महापर्व पूजा की शुरुआत हुई थी। छठ (Chhath Puja in Bhopal, MP) महापर्व मनाने का उत्साह और उल्लास हर साल बढ़ता जा रहा है। पिछले साल 2022 में 50 से ज्यादा जगहों पर छठ पूजा की गई थी। वहीं इस बार भी 50 से ज्यादा जगहों पर छठ पूजा का आयोजन किया जाएगा।

कई विसर्जन घाटों और कुंडों पर खास इंतजाम

कई विसर्जन घाटों और कुंडों पर छठ (Chhath Puja in Bhopal, MP) पूजा का खास इंतजाम किया गया है। भोजपुरी एकता मंच (Chhath Puja in Bhopal, MP) के अनुसार इस महापर्व की शुरुआत शुक्रवार से होगी। खरना शनिवार को मनाया जाएगा। बड़ी संख्या में समाज के लोग इस दौरान कमला पार्क पहुंचेंगे।

इन स्थानों पर सजाए गए घाट (Chhath Puja in Bhopal, MP)

छठ (Chhath Puja in Bhopal, MP) पूजा के सामूहिक कार्यक्रमों का शहर में 50 से ज्यादा स्थानों पर आयोजन किया गया है। मुख्य कार्यक्रम शीतलदास के बगीचे में होगा। इसके अलावा कलियासोत, जाटखेड़ी द्वारका नगर, राजेंद्र नगर, पुराना सुभाष गार्डन, खटलापुरा घाट, काली मंदिर घाट, नंबर पांच, अशोक गार्डन, करोद, बगसेवनिया विश्वकर्मा मंदिर, स्वामी विवेकानंद कॉलोनी, गौरी शंकर परिषद, सरस्वती मंदिर, बरखेड़ा और शिव मंदिर, अयोध्या नगर और अन्य स्थानों के मंदिरों में पूजा कुंड बनाए गए हैं।

पहली बार छठ पूजा करने जा रही हैं, तो जरूर जानें कि इन फलों को जरूर सूप में सजा लें…क्योंकि इन फलों के बिना अधूरी मानी जाती है छठी मईया की पूजा…

श्रीफल या नारियल

छठ पूजा में नारियल या श्रीफल चढ़ाना बेहद जरूरी है। माना जाता है कि छठी मईया को श्रीफल चढ़ाने से घर में मां लक्ष्मी का वास होता है और जीवन कीसारी परेशानियां दूर हो जाती हैं।

गन्ना

छठी मईया की पूजा में गन्ना सबसे जरूरी फल माना गया है। इसे पूजा में सबसे पहले शामिल किया जाता है। गन्ना ना हो तो पूजा की शुरुआत ही नहीं की जा सकती। इसीलिए गन्ने के बिना छठ पूजा अधूरी मानी जाती है। दरअसल छठी मईया को गाना बेहद प्रिय है। इस वजह से यह फल पूजा में शामिल किया जाता है। कई लोग छठ पूजा के दौरान गन्ना का घर बनाकर उसमें परिवार के साथ बैठकर पूजा करते हैं। ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि बनी रहती है और खुशहाली का आगमन होता है।

कदलीफलम या केला

छठ पूजा में छठी मईया को केला चढ़ाना भी अनिवार्य माना गया है। माना जाता है कि केले के बिना छठी मईया की पूजा अधूरी रह जाती है। दरअसल पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि भगवान विष्णु और छठी मईया को यह फल बेहद प्रिय है। इस फल को बहुत शुद्ध माना जाता है। इस फल को चढ़ाने से छठी मईया प्रसन्न होती हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।

सिंघाड़ा

छठ पूजा में छठी मईया को सिंघाड़ा चढ़ाया जाता है। मान्यता है कि यह फल भी छठी मईया को बेहद पसंद है। इसीलिए इस फल के बिना भी छठी मईया की पूजा अधूरी मानी जाती है। इस फल को अर्पित करने से मां का आशीर्वाद हमेशा आप पर बना रहता है।

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