मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले की बंदर हीरा खदान आदित्य बिरला ग्रुप ( Aditya Birla ) के एस्सेल माइनिंग ( Essel mining Industries Limited ) को मिल गई है। खदान में 3.50 करोड़ कैरेट हीरे के भंडार का अनुमान है, जिसकी कीमत 55 हजार करोड़ आंकी गई है। सरकार को 41.55 फीसदी लाभ मिलेगा, जो 23 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा होगा।
खदान का ठेका तय होने के बाद प्रदेश सरकार एक साल में शुरू करवाकर रायल्टी वसूलना शुरू कर देगी। इसके लिए खनिज विभाग अपनी दस्तावेजी प्रक्रियाओं को जल्द पूरा करेगा और ठेगा पानी वाली कंपनी को आधिपत्य दे देगा।
छतरपुर की बंदर हीरा खदान के लिए राज्य सरकार ने आफसेट प्राइज 60 हजार करोड़ तय किया है और इसके लिए बुलाई गई निविदा में पांच कंपनियां शामिल हुई थी। इनके लिए 11 हजार करोड़ रुपए का टर्न ओवर अनिवार्य किया गया था। मंगलवार को ऑनलाइन नीलामी में अडानी, रूंगटा और बिरला ग्रुप ने अपनी-अपनी बोली लगाई। 11 घंटे तक चली इस प्रक्रिया में बिरला के एस्सेल माइनिंग ग्रुप को ठेका मिल गया। पर्यावरण, माइनिंग और वाइल्ड लाइफ मंजूरी के बाद कंपनी अगले एक से डेढ़ साल में हीरा खोजना शुरू कर सकती है। प्रदेश सरकार ने आफसेट मूल्य के आधार पर बेस रायल्टी 11.50 प्रतिशत तय की थी। इस सरकारी बोली से आगे चलकर 30.5 प्रतिशत पर बोली खत्म हुई जो कुल मिलाकर 41.55 प्रतिशत रही। इससे राज्य सरकार को करीब 23 हजार करोड़ रुपए रायल्टी के रूप में मिलेंगे जो सरकारी बोली के राजस्व का चार गुना होगा। सरकार एक साल में यह राजस्व हासिल करने की कोशिश करेगी।
रियो टिंटो ने छोड़ा था काम
इससे पहले नीरव मोदी की पार्टनरशिप वाली रियो टिंटो को राज्य सरकार ने हीरे ढूंढने का ठेका दिया था। तब शर्त थी कि रियो टिंटो खदान से निकलने वाले हीरे निर्यात नहीं करेगी और हीरे की कटिंग और पॉलिशिंग मध्य प्रदेश में ही करेगी। कंपनी को इसमें मुनाफा नहीं दिखा तो वो यह प्रोजेक्ट छोड़ गई। यह भी कहा जाता है कि यह कंपनी बड़ी मात्रा में हीरे लेकर जा चुकी थी, जबकि कुछ ही हीरे राज्य सरकार के खजाने में जमा करके गई है।