उधर, विपक्ष के तौर पर सदन में कांग्रेस से बहुजन समाज पार्टी आगे रही। इसके विधायकों ने औसतन ४३२ सवाल पूछे। कांग्रेस विधायकों का औसत ३५० प्रश्न का रहा। इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉम्र्स (एडीआर) की रिपोर्ट के अनुसार १४ वीं विधानसभा में २०९ विधायकों द्वारा ५१३८९ प्रश्न पूछे गए।
विधायकों के निशाने पर लोक निर्माण विभाग, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और राजस्व विभाग रहे। सबसे कम सवाल सामान्य प्रशासन, सहकारिता और आदिम जनजाति कल्याण विभाग के लगे। यह रिपोर्ट गुरुवार को पत्रकार वार्ता में जारी की गई।
रमेश मेंदोला: ५ साल में ३ सवाल
इंदौर २ के भाजपा विधायक रमेश मेंदोला सवाल पूछने के मामले में सबसे पीछे रहे। ५ साल में उनके द्वारा महज ३ सवाल लगाए गए। सबसे नीचे के पांच विधायकों में सभी भाजपा के ही हैं। मेंदोला के अलावा नागर सिंह चौहान, नानाभाऊ मोहोड़, मथुराप्रसाद और राजेंद्र मेश्राम ने सरकार से औसतन हर साल २ सवाल पूछे। रामनिवास रावत: लगाई सवालों की झड़ी विधानसभा में सबसे अधिक सवाल पूछने वाले टॉप ५ विधायक कांग्रेस से ही रहे। इनमें रामनिवास रावत ने व्यक्तिगत तौर पर रिकार्ड तोड़ मुद्दे उठाए , उन्होंने कुल ६२० प्रश्न सरकार से पूछे। रावत के अलावा मुकेश नायक, डॉ गोविंद सिंह, आरिफ अकील और निशंक जैन ने ६ सौ का आंकड़ा पार किया और वे पहले पांच स्थान पर रहे।
कर सुधार और नगरीय विकास पर फोकस
विधानसभा की कार्यवाही का विश्लेषण करने वाले एडीआर के अरुण गुर्टू, सीके नायडू, रघुराज सिंह व रोली शिवहरे ने बताया कि पांच साल तक सरकार का फोकस कर सुधार और नगरीय विकास पर ही रहा। इसका पता विधानसभा में पेश विधेयकों से चलता है। एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक कुल १४२ विधेयक पेश हुए थे, इनमें से १३५ पारित कर दिए गए। सबसे अधिक विधेयक वित्त, वाणिज्यिक कर, नगरीय विकास व पर्यावरण विभाग के पास हुए। सामाजिक विकास और शिक्षा से जुड़े सबसे कम विधेयक सरकार ने सदन में रखे।