जनार्दन मिश्रा v/s सिद्धार्थ तिवारी
पहला मामला रीवा का है। यहां सांसद जनार्दन मिश्रा और त्यौंथर से भाजपा विधायक सिद्धार्थ तिवारी आमने-सामने आ गए हैं। इनके बीच तकरार की शुरूआत उस वक्त हुई जब एक कार्यक्रम के दौरान सांसद जनार्दन मिश्रा ने कांग्रेस के स्व. नेता श्रीनिवास तिवारी को लेकर विवादित बात कह दी। जनार्दन मिश्रा ने कहा कि तिवारी ने लूट, गुंडागर्दी और भ्रष्टाचार की राजनीति की है। अगर आज शहर की सड़क में एक गड्ढ़ा होता है तो अखबार की सुर्खियां बन जाता है लेकिन कभी यहां की सड़कों पर गड्ढे ही गड्ढे हुआ करते थे। तब यहां के नेता श्रीनिवास तिवारी हुआ करते थे। वे यहां सर्वे-सर्वा माने जाते थे, उनके लिए एक विशेष नारा भी दिया जाता था कि दादा न आहीं दऊ आए। वोट न देहा तऊ आए। ये कैसे दऊ थे जो अपने कार्यकाल में शहर की सड़कों के गड्ढे तक नहीं भरवा पाए। स्व. श्रीनिवास तिवारी त्यौंथर विधायक सिद्धार्थ तिवारी के दादा थे लिहाजा उन्होंने सांसद के बयान पर आपत्ति जताई और कहा कि किसी दिवंगत नेता पर इस तरह की टिप्पणी दुर्भाग्यपूर्ण है, जिस नेता ने अपना पूरा जीवन जनता की सेवा में न्यौछावर किया उसे किसी के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है। इसके बाद भी सांसद जनार्दन मिश्रा नहीं रूके और फिर बयान दिया कि पोता बीजेपी में मर्ज हुआ है बीजेपी पोते में मर्ज नहीं हुई है। जो सच है वो तो सुनना पड़ेगा, दादा ने लूट…पक्षपात और भ्रष्टाचार किया था..तो किया था। यह भी पढ़ें