निर्माण विभाग काफी हद तक जिमेदार बताए जाते हैं। जिन्होंने हवा को साफ रखने के इंतजाम नहीं किए। जबकि केंद्र व राज्य सरकारें 5 वर्षों में सड़क निर्माण, निगरानी स्टेशनों की स्थापना, हरियाली बढ़ाने, सड़कों के कच्चे किनारों को पेविंग ब्लॉक से ढंकने में 1500 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है।
सागर, मंडीदीप में स्थिति खराब
प्रदेश के सागर व रायसेन के मंडीदीप में स्थिति खराब है। यहां गुरुवार को एक्यूआइ 300 के पार पहुंच गया था। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार जब सूचकांक इस स्तर पर पहुंच जाता है। भोपाल, ग्वालियर समेत दूसरे शहरों में भी स्थिति ठीक नहीं थी, यहां एक्यूआई 200 के पार हो गया था। ये भी पढ़ें: मोहन सरकार की बड़ी सौगात ! आ रही नई योजना, अब घर बैठे सबको मिलेगा राशन मप्र में यह है वायु प्रदूषण की स्थिति
नोट: वायु गुणवत्ता सूचकांककी यह स्थिति गुरुवार की है। सागर कलेक्टर कार्यालय- 320 मंडीदीप नया औद्योगिक क्षेत्र- 310 भोपाल टीटी नगर- 276 भोपाल कलेक्टर कार्यालय- 258 भोपाल पर्यावरण परिसर- 285 दमोह श्रीवास्तव कॉलोनी- 257 ग्वालियर डीडी नगर- 238
ग्वालियर सिटी सेंटर- 268 ग्वालियर महाराज बाड़ा- 226 इंदौर छोटी ग्वालटोली- 214 जबलपुर गोविंद भवन- 203 कटनी गोले बाजार- 210 खंडवा लोकसेवा केंद्र- 219 नरसिंहपुर जिला शिक्षा केंद्र- 263
पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र-2- 243
ये विभाग ऐसे फेल
लोक निर्माण विभाग: सड़कों की गुणवत्ता ठीक नहीं रहती, बार-बार खराब होने से वातावरण में धूल फैल रही। नगरीय विकास: एक्शन प्लान के बावजूद प्रदूषण फैलाने वाले कारकों पर प्रतिबंध नहीं लगा पाए। किसान कल्याण एवं कृषि विभाग: पराली जलाने की घटनाओं पर 100 फीसद रोक नहीं लगा सके। परिवहन विभाग: पुराने वाहनों को सड़कों से बाहर नहीं कराया। पर्यावरण विभाग: निगरानी कागजों तक। कुछ मामले जुर्माना से मामले आगे नहीं बढ़ते।