बढ़ सकती है सिलिकोसिस की बीमारी
वायु प्रदूषण की रोकथाम नहीं होने के चलते इसका सबसे अधिक खामियाजा मजदूरों को भुगतना पड़ेगा। जिले के कुछ खदानों में इन नियमों की अनदेखी के चलते कई मजदूरों को सिलिकोसिस जैसी खतरनाक बीमारी का भी खतरा उत्पन्न होने की संभावना जताई जा रही है। प्रोसेस हाउसों की ओर से भी काम में लिए जा रहे केमिकल के कारण क्षेत्र का वायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा है।
होगी यही पर जांच
रेस्पिरेबल डस्ट सैम्पलर मशीन वायु स्थितियों में टोटल सस्पेंडेड पार्टिकल्स (टीएसपी) की निगरानी के लिए है। यह उच्च मात्रा के तहत वायु में मौजूद 10 माइक्रोन से बड़े कणों को अलग करता है। इन मोटे कणों को 0.5 माइक्रोन आकार के फिल्टर पर हवा को छानने से पहले अलग किया जाता है और सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर (एसपीएम) के टीएसपी और श्वसन योग्य अंश की माप करता है। सैम्पलर 1.4 क्यूबिक मीटर प्रति मिनट की मामूली प्रवाह दर पर हाई फ्लो रेट ब्लोअर की मदद से हवा खींचता है। इन मशीनों के माध्याम से हवा की जांच की जाएगी।
महावीर मेहता, क्षेत्रीय अधिकारी राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल
वायु प्रदूषण की रोकथाम नहीं होने के चलते इसका सबसे अधिक खामियाजा मजदूरों को भुगतना पड़ेगा। जिले के कुछ खदानों में इन नियमों की अनदेखी के चलते कई मजदूरों को सिलिकोसिस जैसी खतरनाक बीमारी का भी खतरा उत्पन्न होने की संभावना जताई जा रही है। प्रोसेस हाउसों की ओर से भी काम में लिए जा रहे केमिकल के कारण क्षेत्र का वायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा है।
होगी यही पर जांच
रेस्पिरेबल डस्ट सैम्पलर मशीन वायु स्थितियों में टोटल सस्पेंडेड पार्टिकल्स (टीएसपी) की निगरानी के लिए है। यह उच्च मात्रा के तहत वायु में मौजूद 10 माइक्रोन से बड़े कणों को अलग करता है। इन मोटे कणों को 0.5 माइक्रोन आकार के फिल्टर पर हवा को छानने से पहले अलग किया जाता है और सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर (एसपीएम) के टीएसपी और श्वसन योग्य अंश की माप करता है। सैम्पलर 1.4 क्यूबिक मीटर प्रति मिनट की मामूली प्रवाह दर पर हाई फ्लो रेट ब्लोअर की मदद से हवा खींचता है। इन मशीनों के माध्याम से हवा की जांच की जाएगी।
महावीर मेहता, क्षेत्रीय अधिकारी राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल