भीलवाड़ा में टेक्सटाइल उद्योग को महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब और मध्यप्रदेश के मुकाबले दो से चार रुपए महंगी बिजली मिल रही है। प्रदेश में 9 से 11 दिसंबर तक राइजिंग राजस्थान ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट जयपुर में होगी। इससे पहले भीलवाड़ा में समिट हो चुकी है। टेक्सटाइल उद्यमियों ने नए निवेश के बजाय विस्तार पर ज्यादा जोर दिया। एक उद्योग समूह ने सोलर प्लांट लगाने की योजना बनाई है।
टेक्सटाइल उद्योगों काे देश में सबसे ज्यादा महंगी बिजली राजस्थान तो सबसे सस्ती बिजली पंजाब में दी जा रही है। पंजाब के मुकाबले हमारे यहां करीब तीन रुपए प्रति यूनिट महंगी है। गुजरात और मध्यप्रदेश के मुकाबले भी राजस्थान में दो रुपए से ज्यादा का अंतर है। जिन राज्याें में बिजली की दरें राजस्थान के आसपास है, उनमें टेक्सटाइल उद्योगों काे सरकार एक से दाे रुपए प्रति यूनिट अलग से छूट भी दे रही है।
मध्यप्रदेश सरकार ने भीलवाड़ा से मात्र 120 किमी दूर नीमच, मंदसौर नेशनल हाईवे पर डेनिम उद्योग के लिए भूमि एवं अन्य सहायता की घोषणा की है। इसी का नतीजा है कि भीलवाड़ा में लगने वाले दाे नए डेनिम प्राेजेक्ट नीमच में संचालित है। अन्य में भी उत्पादन हो रहा है।अन्य नए प्राेजेक्ट भीलवाड़ा के बजाय दूसरे राज्याें में जा रहे हैं।
सोलर प्लांट से भी नहीं मिल रहा फायदा राज्य सरकार ने रिप्स योजना के तहत बिजली में राहत की घोषणा की। इसमें कोई भी उद्यमी नया प्लांट लगाता है तो सात साल इलेक्टि्रसिटी ड्यटी में 40 पैसा प्रति यूनिट की छूट का प्रावधान है। इसके अलावा रूप टॉप प्लांट जहां लगे हैं, उन्हें नेट मिटरिंग सिस्टम के कारण मोहभंग हो रहा है। इसमें बिजली उत्पादन करने वाले उद्यमी अपने यहां बची बिजली को ग्रिड पर देने पर मात्र 2.70 रुपए प्रति यूनिट के दर से देनी पड़ती है। उसे जरूरत पड़ने पर उद्यमी को 7.80 रुपए प्रति यूनिट की दर से खरीदनी पड़ती है। ऐसे में 5 रुपए का अतिरिक्त भार वहन करना पड़ता है।
रेस्को पर रोक रेस्को मोड में प्लांट लगाने पर रोक लगा दी गई है। पहले इस योजना के तहत कोई भी व्यक्ति किसी की भी जमीन व छत किराए पर लेकर सोलर प्लांट लगा कर बिजली की आपूर्ति कर सकता था, लेकिन अब इस रेस्को मोड पर रोक लगा दी गई है। इसके कारण भी कोई भी व्यक्ति सोलर प्लांट लगाने में रुचि नहीं ले रहे हैं।