किसान इसी बार चने की बुवाई पर ज्यादा जोर दे रहे हैं। जिले में 27 हजार हैक्टेयर में चना बोया है। आधा नवंबर बीतने के बाद भी दिन के तापमान में ज्यादा गिरावट नहीं आई। इसका असर गेहूं की बुवाई पर पड़ रहा है। अभी गेहूं 12,500 हैक्टेयर में ही बोया गया है। राहत की बात यह है कि गेहूं की बुवाई में अभी समय है। दो-तीन दिन से रात के समय सर्दी का असर तेज है। मौसम में यह बदलाव गेहूं की फसल के लिए अनुकूल होगा।
बुवाई के लिए चाहिए नमी कृषि विशेषज्ञों के अनुसार रबी फसल की बुवाई जमीन में नमी और तापमान पर निर्भर करती है। बढ़े तापमान में बुवाई से फसल जलने और उत्पादन प्रभावित होने की आशंका रहती है। नमी कम होने पर बुवाई करने से किसानों की बीज लागत बढ़ जाती है। ज्यादा तापमान में बीज के अंकुरण में दिक्कत आती है। इसके खराब होने की आशंका भी रहती है।
सर्दी का पड़ना जरूरी कांदा के किसान बालू गाडरी ने बताया कि इस बार दिन में गर्मी रहने से सरसों की बुवाई कम की गई है। इसके मुकाबले चने का रकबा बढ़ा है। अब सर्दी बढ़ने लगी है तो गेहूं की बुवाई ज्यादा करेंगे। गर्मी में सरसों की बुवाई में अंकुरण की दिक्कत आती है। किसान रामधन ने बताया कि इस बार अक्टूबर में सरसों व चने की बुवाई के लिए मौसम अनुकूल नहीं था।
अब गिरा पारा इस बार तापमान ज्यादा रहा है। किसान बुवाई के लिए पारा गिरने का इंतजार करते हैं। अक्टूबर में तापमान कम होता तो सरसों का रकबा बढ़ता। अब दो-तीन दिन से सर्दी का असर तेज होने से गेहूं की बुवाई के लिए मौसम अनुकूल हो गया।
जीएल कुमावत, संयुक्त निदेशक कृषि विभाग भीलवाड़ा रबी फसल का लक्ष्य और बुवाई (हैक्टेयर) फसल लक्ष्य बुवाई प्रतिशत