भीलवाड़ा कृषि उपज मंडी समिति अतिक्रमण की चपेटे में है, मंडी प्रशासन अपने ही प्लेटफार्मों (नीलामी चबूतरों) पर हो रहे अवैध कब्जों को खाली करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। मंडी में स्थित छह नीलामी चबूतरों पर पूरी तरह से व्यापारियों ने कब्जा कर रखा है। इनमें फलमंडी में बने चबूतरों पर लोकार्पण से पूर्व ही कब्जे हो चुके है। जिले के विभिन्न हिस्सों से आने वाले किसानों के लिए बनाए नीलामी चबूतरों पर अब ख्ुाले में अवैध रूप से कारोबार हो रहा है।
नीलामी चबूतरों पर कब्जे से किसानों की उपज खुले में सड़क पर बिखरी रहती है, हालात यह है कि किसानों को नीलामी चबूतरों पर बैठने तक की जगह नहीं दी जा रही है। मंडी सचिव, संबधित कर्मचारी तक इस संदर्भ में कार्रवाई नहीं कर रहे है। राजस्थान पत्रिका ने समाचार अभियान के जरिए किसानों की पीड़ा उजागर करने पर मंडी प्रशासन ने तीन साल में कब्जा धारक व्यापारियों को तीन बार नोटिस थमाए, यह नोटिस कुल ६४ व्यापारियों को थमाए, लेकिन एक भी व्यापारी से मंडी प्रशासक अवैध कब्जा मुक्त नहीं करा सका।
फल मंडी में जीर्ण शीर्ण एवं जर्जर हुए नीलामी चबूतरे की मरम्मत के लिए भी मंडी प्रशासक यहां कब्जा जमा कर बैठे व्यापारियों को नहीं हटा पा रहा है। हालात यह है कि छह माह पूर्व मंडी प्रशासन ने चबूतरे के एक हिस्से की छत गिरा दी, लेकिन शेष हिस्सा अभी भी रामभरोसे है। समूचा प्लेटफार्म खाली नहीं होने से यहां शुरू होने वाला निर्माण कार्य भी अधर में है।
क्षतिग्रस्त हिस्से के नीचे अभी भी व्यापारियों, खरीदार की भीड़ बनी रहती है। इसी नीलामी चबूतरे पर मंडी प्रशासन ने चेतावनी स्वरूप प्लेटफार्म पर अतिक्रमण भण्डारण दंडनीय अपराध है तथा यह प्लेटफार्म कृषि जिंसों के खुली बिक्री के उपयोग के लिए समेत कई चेतावनी लिखवा रखी है, लेकिन मिली भगत होने से मंडी खुद ही प्रभावी कार्रवाई नहीं कर रही है।