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CG Crime News: दिनदहाड़े लूट की वारदात… राशन कार्ड सर्वे के नाम पर आरोपियों ने डेढ़ लाख से अधिक रुपए लेकर हुए फरार सुप्रीम कोर्ट के आदेश के परिपालन में राज्य के पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग द्वारा
सर्वे के इन आंकड़ों के आधार पर नगरीय निकायों और पंचायतों के चुनाव में आरक्षण के लिए प्रपोजल तैयार किया जाना है। राज्य शासन द्वारा सर्वे के लिए जिला प्रशासन को निर्देश जारी किया गया था। जिसमें बताया गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में मार्च 2021 में निर्णय पारित किया है।
इसके परिपालन में त्रि-स्तरीय पंचायतों और
नगरीय निकायों के आम चुनाव के लिए आरक्षण के संबंध में ओबीसी वर्ग के सर्वेक्षण का कार्य जरूरी है। सर्वे में अन्य पिछड़े वर्ग की जनसंख्या का वार्ड और ग्राम वाइस जानकारी जुटाने कहा गया था। बताया जा रहा है कि सर्वे से प्राप्त जानकारी के आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग के संबंधित व्यक्ति की आर्थिक स्थिति व पिछड़ेपन के आधार पर डाटाबेस तैयार किया जाएगा। इसी के आधार पर पिछड़ा वर्ग कृयाण आयोग द्वारा राज्य शासन को आरक्षण के प्रतिशत के संबंध में प्रतिवेदन सौंपा जाएगा।
53 बिंदुओं में जुटाई जानकारी
अन्य पिछड़ा वर्ग के सामाजिक आर्थिक सर्वे के लिए बीएलओ को दो भागों में 53 बिंदुओं का परिपत्र उपलब्ध कराया गया था। जिसमें परिवार द्वारा दी गई जानकारी भरकर हस्ताक्षर कराना है। परिपत्र में पहले भाग में परिवार के मुखिया के साथ सदस्यों के नाम, आयु, जाति, मतदाता सूची में नाम, वैवाहिक स्थिति, शिक्षा, रोजगार, वेतन, आय, बैंक खाता, राजनैतिक प्रतिनिधित्व संबंधित जानकारी होगी। वहीं दूसरे भाग में पारिवारिक व घरेलू विवरण जैसे भूमि, फसल, सिंचाई के स्रोत, ऋा की जानकारी, पशुधन, अचल संपत्ति, शासन प्राप्त लाभ, राशन कार्ड. मकान की स्थिति, वाहन, पेयजल स्रोत, खाना पकाने के इंधन से संबंधित जानकारियां भरवाया जा रहा है।
लंबी-चौड़ी जानकारी ने बढ़ाई परेशानी
सर्वे के कार्य में लगाए गए कर्मचारियों ने बताया कि पत्रक में मांगी गई लंबी-चौड़ी जानकारी के कारण समय पर काम पूरा करने में दिक्कत हो रही थी। दूसरी ओर इसके लिए 25 सितंबर का मियाद तय किया गया था। ऐसे में जल्दबाजी के दबाव में विकृप निकाला गया और फार्म परिवारों के घर छोड़कर भरने का समय दिया गया। प्रारंभिक जानकारी में केवल संया भेजना था। इसे देखते हुए यह किया गया। जिला प्रशासन द्वारा मतदाता सूची का पुनरीक्षण कार्य में लगाए गए बूथ लेबल अधिकारी (बीएलओ) को सर्वे की भी जिमेदारी दी गई थी। बीएलओ को घर-घर जाकर मतदाता सूची में शामिल नामों के साथ अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों के अलग से सामाजिक और आर्थिक स्थिति को लेकर भी जानकारी जुटाना था। इस तरह बीएलओ के पास दोहरी जिमेदारी हो गई थी। दोहरी जिमेदारी के कारण सर्वे का पिछड़ गया था।