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Ganesh Utsav 2024 : इस बार एआई अवतार में दर्शन देंगे भगवान गणेश, तैयारियों में जुटे मूर्तिकार…

इस बार गणेशोत्सव में भगवान गणेश आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) अवतार में नजर आएंगे। गणेश उत्सव समितियां इस बार एआई से जेनरेट फोटोज के आधार पर प्रतिमाओं की डिमांड लेकर मूर्तिकारों के पास पहुंच रहे हैं।

भिलाईAug 13, 2024 / 04:37 pm

चंदू निर्मलकर

Durg News: प्रति वर्ष अनुसार इस वर्ष भी गणेश उत्सब की धूम रहने वाली है। लेकिन इस बार गणेशोत्सव में भगवान गणेश आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अवतार में नजर आएंगे। गणेश उत्सव समितियां इस बार कृत्रिम बुद्धिमत्ता यानी एआई से जेनरेट फोटोज के आधार पर प्रतिमाओं की डिमांड लेकर मूर्तिकारों के पास पहुंच रहे हैं। लिहाजा मूर्तिकार भी इसी के अनुरूप बुद्धि के देवता भगवान गणेश की प्रतिमाओं का निर्माण कर रहे हैं।

एआई जनरेटेड मूर्तियों की है काफी डिमांड

भगवान गणेश की मिट्टी से प्रतिमाओं के निर्माण के लिए पूरे देश में विख्यात शिल्पग्राम थनौद के मूर्तिकार लव चक्रधारी बताते है कि उनके पास हर दूसरी समिति के लोग एआई जेनरेटेड फोटो लेकर पहुंच रहे हैं और उसी के अनुरूप प्रतिमाओं की डिमांड कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इससे पहले तक मूर्ति निर्माण के लिए समितियों से जुड़े लोग देवी-देवताओं की साधारण (प्रिंटेड) फोटो लेकर उनके पास पहुंचते थे और उसी के प्रतिरूप में प्रतिमाओं का निर्माण कराते थे। इस बार हालात बदल गए हैं। उन्होंने बताया कि थनौद में इस बार 40 वर्कशॉप में प्रतिमाओं का निर्माण किया जा रहा है। हर वर्कशॉप में एआई जेनरेटेड फोटो के आधार पर प्रतिमाओं के आर्डर है।

गणेशजी के साथ शिव भक्ति का भी माहौल

मूर्तिकार राधेश्याम चक्रधारी बताते हैं कि इस बार पंडालों में गणेश के साथ भगवान शिवजी की भी प्रतिमाओं की डिमांड है। अधिकतर समितियों की पसंद भगवान गणेश की प्रतिमा के बैकग्राउंड में भगवान शिव जी के स्वरूप अथवा सामने पूजा के लिए शिवलिंग की प्रतिमा हैं। लिहाजा इस बार शिवजी की प्रतिमाएं भी बनाई जा रही हैं।

अलग की चाह में एआई की मदद

उन्होंने बताया कि प्रतिमा अलग दिखने की चाह में एआई का इस्तेमाल किया गया। इसमें प्रतिमाओं की भाव-भंगिमा, डिजाइन, रंगाई व साज-सज्जा मनचाहे ढंग से कराई जा सकती है। हालांकि इस तरह की प्रतिमा निर्माण ज्यादा श्रम वाला व महंगा होता है।

झांकियों का है ट्रेंड

उन्होंने बताया कि भगवान गणेश की एक प्रतिमा की जगह झांकियों की डिमांड ज्यादा है। उन्होंने बताया कि आम तौर पर समितियां मूर्ति स्थापना और विसर्जन से पहले शोभायात्रा का आयोजन करती हैं। इसमें एकल प्रतिमा की जगह झांकियां बेहतर लगती हैं। इसलिए अब समिति के लोग मूर्तियों के साथ झांकी बनवाने पर भी फोकस कर रहे हैं।

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