इसमें सर्वे के जरिए गांवों को सिवरेज और ड्रेनेज का बेहतर सिस्टम तैयार करने में मदद की जाएगी। ऐसे गांव जहां वाटर लेवल नीचे है, उनकी बेहतर व्यवस्था का रास्ता भी खुल सकेगा। पेयजल व सिंचाई के लिए गांवों की जरूरत के हिसाब से मैपिंग की जाएगी। इसमें पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय भी शामिल रहेगा। सीएसवीटीयू का जहां यूएवी विमान इसमें सहयोगी होगा तो वहीं रविवि की हाईटेक प्रयोगशाला और मशीने काम में ली जाएगी।
सर्वे का यह भी फायदा एक दशक बाद का दुर्ग संभाग उम्मीदों से भरा टेक फ्रेंडली होगा। सीएसवीटीयू दुर्ग संभाग के एक लाख ग्रामीण विद्यार्थियों को कंप्यूटर फ्रेंडली बनाएगा। इसकी शुरुआत कर दी गई है। विश्वविद्यालय आने वाले दस वर्षों तक सैकड़ों गांव गोद लेगा। हर गांव में कंप्यूटर सेट और टीचर्स देकर नॉलेज शाला खोली जाएगी। बच्चे संभाग का नाम रौशन करें इसके लिए करियर गाइडेंस दिया जाएगा। इस नॉलेज शाला में ग्रामीण विद्यार्थियों को मुफ्त कंप्यूटर शिक्षा मिलेगी। अभी 42 गांवों में इसकी शुरुआत की रूपरेखा तैयार कर ली गई है।