राशि राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत उपलब्ध फसल अवशेष को जलाने के बजाए सुरक्षित प्रबंधन करने वाले किसानों को यह राशि राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत उपलब्ध कराई जाएगी। राज्य शासन के निर्देश पर कृषि विभाग ने इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी किया है। विभाग के संयुक्त सचिव केसी पैकरा ने नोटिफिकेशन में योजना के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी भी तय कर दी है। योजना के क्रियान्वयन व निरीक्षण की जिम्मेदारी कृषि विभाग के अफसरों की होगी।
50 फीसदी किसान जला देते है पुआल
जिले में 1 लाख25 हजार किसान परिवार करीब 1 लाख27 हजार हेक्टर रकबे में खरीफ की फसल लेते हैं। इनमें से करीब आधे किसान धान की कटाई के बाद अवशेष छोड़ देते हैं। जिन्हें या तो जला दिया जाता है, अथवा सूखकर सडऩे के लिए छोड़ दिया जाता है। जिले के मैदानी इलाकों में पुआल जलाने की शिकायत ज्यादा रहती है।
जिले में 1 लाख25 हजार किसान परिवार करीब 1 लाख27 हजार हेक्टर रकबे में खरीफ की फसल लेते हैं। इनमें से करीब आधे किसान धान की कटाई के बाद अवशेष छोड़ देते हैं। जिन्हें या तो जला दिया जाता है, अथवा सूखकर सडऩे के लिए छोड़ दिया जाता है। जिले के मैदानी इलाकों में पुआल जलाने की शिकायत ज्यादा रहती है।
मोबाइल एप से होगा सत्यापन
चयनित किसान द्वारा फसल अवशेष के प्रबंधन कार्य का मोबाइल एप से सत्यापन किया जाएगा। इसके लिए मोबाइल से प्रबंधन की प्रक्रिया की फोटो खींचकर एप पर जियो टैग के माध्यम से अपलोड किया जाएगा। इस आधार पर नियमानुसार प्रबंधन की पुष्टि होने पर राशि स्वीकृत की जाएगी।
चयनित किसान द्वारा फसल अवशेष के प्रबंधन कार्य का मोबाइल एप से सत्यापन किया जाएगा। इसके लिए मोबाइल से प्रबंधन की प्रक्रिया की फोटो खींचकर एप पर जियो टैग के माध्यम से अपलोड किया जाएगा। इस आधार पर नियमानुसार प्रबंधन की पुष्टि होने पर राशि स्वीकृत की जाएगी।
एनजीटी के सख्त रवैये के बाद उठाया कदम खेतों में बचे हुए अवशेष जलाए जाने से दिल्ली में उपजे हालात को देखते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के सख्त रवैये के बाद राज्य शासन द्वारा ऐहतियातन यह कदम उठाया गया है। एनजीटी ने नवंबर 2016 में इस संबंध में राज्य सरकारों को निर्देश जारी किया था। जिसमें उन्होंने किसानों को आर्थिक सहायता के प्रावधान के लिए भी कहा था।
सीधे बैंक खाते में आएगी राशि
प्रबंधन के जियो टैगिंग के बाद उप संचालक कृषि द्वारा भौतिक सत्यापन किया जाएगा। इसके बाद राशि स्वीकृत कर संबंधित किसान के बैंक खाते में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटीएल) के माध्यम से डाल दिया जाएगा। इससे लिए पंजीयन के समय किसानों को बैंक खाते की जानकारी भी जमा कराना होगा।
प्रबंधन के जियो टैगिंग के बाद उप संचालक कृषि द्वारा भौतिक सत्यापन किया जाएगा। इसके बाद राशि स्वीकृत कर संबंधित किसान के बैंक खाते में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटीएल) के माध्यम से डाल दिया जाएगा। इससे लिए पंजीयन के समय किसानों को बैंक खाते की जानकारी भी जमा कराना होगा।
अधिकतम लाभ 2 हेक्टर यानि 5 एकड़ के लिए किसी भी वर्ग का किसान, जोत की सीमा कोई नहीं, लेकिन किसानों को अधिकतम लाभ 2 हेक्टर यानि 5 एकड़ के लिए दी जाएगी। पट्टा अथवा लीज की जमीन पर भी राशि दी जाएगी। यह जमीन मालिक के बजाए उस पर खेती करने वाले किसान को मिलेगा।
लाभ प्रथम आएं प्रथम पाएं के आधार पर
योजना का लाभ प्रथम आएं प्रथम पाएं के आधार पर, पहले 20 फीसदी किसानों को मिलेगा। लघु व सीमांत, अनुसूचित जाति, जनजाति व महिला किसानों को प्राथमिकता दी जाएगी।1 नवंबर से 15 दिसंबर के बीच ग्राम सभा में नाम अनुमोदित कराकर कृषि विभाग में पंजीयन। पंजीयन के साथ जरूरी दस्तावेज व बैंक खाता की जानकारी।पंजीयन के बाद सूची का अनुमोदन जिला व जनपद पंचायत के कृषि स्थायी समिति द्वारा कराई जाएगी। खरीफ के अलावा रबी फसल के बाद भी अवशेष प्रबंधन पर किसानों को आर्थिक लाभ मिलेगा।
योजना का लाभ प्रथम आएं प्रथम पाएं के आधार पर, पहले 20 फीसदी किसानों को मिलेगा। लघु व सीमांत, अनुसूचित जाति, जनजाति व महिला किसानों को प्राथमिकता दी जाएगी।1 नवंबर से 15 दिसंबर के बीच ग्राम सभा में नाम अनुमोदित कराकर कृषि विभाग में पंजीयन। पंजीयन के साथ जरूरी दस्तावेज व बैंक खाता की जानकारी।पंजीयन के बाद सूची का अनुमोदन जिला व जनपद पंचायत के कृषि स्थायी समिति द्वारा कराई जाएगी। खरीफ के अलावा रबी फसल के बाद भी अवशेष प्रबंधन पर किसानों को आर्थिक लाभ मिलेगा।