मैत्रीबाग में आया भौंकने वाला हिरण का जोड़ा, इधर बंगाल टाइगर लाने तैयारी तेज
Bhilai Maitri Bagh Zoo: भिलाई के मैत्री बाग जू में भौंकने वाला हिरण का जोड़ा लाया गया है। जिसके बाद पर्यटकों की चहल-पहल बढ़ गई है। वहीं आने वाले समय में जल्द ही बंगाल टाइगर लाए जाएंगे…
Bhilai Maitri Bagh Zoo: कानन पेंडारी जू से मैत्रीबाग में दो जोड़ा भौंकने वाला हिरण लाया गया है। खाली पड़े मगर के बाड़े में भी हलचल बढ़ गई है। एक मगर का जोड़ा लाया जाना था, जिसमें से एक पहुंच गया है। नए मेहमानों के आने से पर्यटकों की चहल-पहल बढ़ रही है। आने वाले कुछ दिनों में शेष वन्य प्राणियों की आमद होगी।
मैत्रीबाग में मगर का बाड़ा पिछले कुछ साल से खाली पड़ा था। अब उसमें एक मगर पहुंच चुका है। प्रबंधन ने मगर के बाड़े को पूरी तरह से नए रूप में पहले ही तैयार कर दिया है। नए मगर के खुराक का इंतजाम भी किया जा रहा है। वहीं जोड़ा आने के बाद पर्यटकों को सतह पर भी यह देखने को मिलेगा।
भौंकने वाला हिरण
Bhilai Maitri Bagh Zoo: मैत्रीबाग में भौंकने वाला हिरण एक ही रह गया था। अब दो जोड़ा आ जाने से कुल पांच हो चुके हैं। पुराने को अभी अलग से रखा गया है, कुछ दिनों में दोस्ती होने के बाद उनको एक साथ एक बाड़े में रखा जाएगा।
मैत्रीबाग के केज में बंगाल टाइगर एक-एक कर खत्म हो चुके हैं। इस वजह से अब प्रबंधन कानन पेंडारी जू से बंगाल टाइगर लाने की तैयारी कर रहा है। इस माह के अंत तक एक मगर और एक जोड़ा बंगाल टाइगर भी ला लिया जाएगा।
रॉयल बंगाल टाइगर धीरे-धीरे हो गए
मैत्रीबाग में रॉयल बंगाल टाइगर सबसे पहले भुवनेश्वर से एक जोड़ा लाए थे। इसका नाम शंकर व पार्वती (पारो) था। मैत्रीबाघ में उनकी ही संतान लंबे वक्त तक रही। फिर धीरे-धीरे कम होती गई। इनकी संख्या पहले बढ़कर करीब आधा दर्जन हो गई थी, उम्र होने के बाद एक-एक कर इनकी मौत होती गई। 30 दिसंबर 2014 को दुर्गा की मौत हो गई थी। 2 जुलाई 2015 को सांप के डसने से नर्मदा चल बसी। वह गणेश की संतान थे।
21 अगस्त 2019 को सतपुड़ा (15 साल) की भी कैंसर से मौत हो गई। 15 जनवरी 2021 को वसुंधरा ने दम तोड़ा। इसके बाद नंदी की मौत हो गई। इस तरह से वह नस्ल ही खत्म हो गई। इसके बाद से मैत्रीबाग के बाड़े में नए जोड़े के आने का इंतजार किया जा रहा है।
बदले में दिया जाएगा सांभर
मैत्रीबाग प्रबंधन बंगाल टाईगर के बदले में कानन पेंडारी जू को सांभर देने की तैयारी कर रहा है। मैत्रीबाग में सांभर की तादाद अधिक होते जा रही है। इस वजह से एक्सचेंज में उसे देने में दिक्कत नहीं होगी। दो दर्जन से अधिक सांभर इस वक्त मैत्रीबाग में मौजूद है।
सांभर को दिया जाता रहा है एक्सचेंज में
2009 में बिलासपुर कान्हा पेंडांरी को 4 सांभर दिए, एक्सचेंज में भालू लाए, 2010 में नागपुर जू को 5 नग सांभर दिए, एक्सचेंज में एक जोड़ा तेंदुआ लेकर आए थे, 2011 में रायपुर के नंदन वन जू को 6 नग सांभर दिए, एक्सचेंज में पीकॉक, कॉकाटील लाए थे। 2012 में शोलापुर जू को 5 नग सांभर दिए थे।
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