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भरतपुर

स्वाद गया तो पांच मिनट में ले ली पहली खुराक

– तीन बार पॉजिटिव रिपोर्ट आने पर डॉ. गौरव कपूर ने दी कोरोना को पटकनी

भरतपुरMay 25, 2021 / 03:36 pm

Meghshyam Parashar

स्वाद गया तो पांच मिनट में ले ली पहली खुराक

भरतपुर. कोरोना बीमारी से ज्यादा उसका खौफ खतरनाक है, जो लोगों को तनाव दे रहा है। कोरोना से ज्यादा तनाव घातक हो रहा है। ऐसे में पॉजिटिव आने पर भी मनोबल को नहीं गिरने दें। मानसिक रूप से मजबूत होकर हम इस बीमारी को हरा सकते हैं। मैंने भी उपचार के साथ हौसलों को बनाए रखा। हिम्मत की बदौलत ही तीन रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद भी कोरोना को हरा दिया। यह कहना है सैटेलाइट हॉस्पिटल में तैनात डॉ. गौरव कपूर का।
डॉ. कपूर बताते हैं कि मुझे अस्वस्था महसूस हुई और मुंह का स्वाद चला गया। इस पर मैंने तुरंत पांच मिनट में ही पहली खुराक ले ली। इसके बाद 12 एवं 16 मई को भी रिपोर्ट पॉजिटिव आई, लेकिन मैंने नियमित रूप से दवा का सेवन किया। इसके बाद मेरी 20 मई को रिपोर्ट नेगेटिव आ गई। डॉ. कपूर कहते हैं कि लक्षणों को कतई नजरअंदाज नहीं करें। थोड़ी से भी लक्षण नजर आने पर चिकित्सक से संपर्क करें। वह कहते हैं कि यदि हम खुद ही दवा ले लेते हैं तो यह बीमारी उस समय दब जाती है, लेकिन कुछ दिनों बाद प्रचंड रूप में सामने आती है, इसका काफी नुकसान उठाना पड़ता है। डॉ. कपूर ने बताया कि कोरोना होने पर तुरंत उपचार शुरू कर दें और घर में ही आइसोलेट हो जाएं। इससे कोरोना को हराने का कोई बेहतर तरीका नहीं है। वह कहते हैं कि देश-विदेशों में सभी जगह गाइड लाइन में पहली बात घरों पर रहने की कही गई। इससे हम संक्रमण को रोक सकते हैं। यदि बीमार व्यक्ति तुरंत ही घर में आइसोलेट हो जाएगा तो आगे बीमारी का फैलाव नहीं होगा। इससे परिवार एवं समाज सभी सुरक्षित हो सकेंगे।
बोले: तनाव को बिल्कुल भी नहीं दें जगह

डॉ. कपूर कहते हैं कि कोरोना को पटकनी देने के लिए सबसे जरूरी यह है कि कभी भी खुद के ऊपर तनाव को हावी नहीं होने दें। सकारात्मक सोच के साथ नियमित दवा, पौष्टिक भोजन, खूब सारा पानी पिएं और सफाई रखें। इससे हम जल्द ही इस जंग को जीत सकेंगे। इस बीमारी में सकारात्मक दृष्टिकोण दवा सरीखा काम करता है। ऐसे में मन में किसी भी प्रकार के डर को हावी नहीं होने दें। हम कोरोना के डर को हराकर ही इस बीमारी को हरा सकते हैं।
खुद बीमार फिर भी मरीजों को फोन पर दिया परामर्श

डॉ. गौरव कपूर की एक बात आम मरीजों को बहुत आकर्षित करती है कि जब वे खुद कोरोना संक्रमित थे तो परिचित और आम मरीजों को फोन पर ही परामर्श देते रहे। साथ ही खुद फोन कर बताते कि क्या खाना है और क्या नहीं। अक्सर यह बात बहुत कम डॉक्टरों में देखने को मिलती है, लेकिन डॉक्टर के इसी व्यवहार के कारण मरीजों की भीड़ लगी रहती है। मरीज दिन हो या रात, उन्हें फोन कर परामर्श लेने में भी परहेज नहीं करते हैं।

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